ज़मा ख़ान: नीतीश सरकार के इकलौते मुस्लिम मंत्री — बिहार की नई सियासत का उभरता चेहरा

Story by  अर्सला खान | Published by  [email protected] | Date 20-11-2025
Zama Khan: The only Muslim minister in the Nitish government – ​​the emerging face of Bihar's new political landscape
Zama Khan: The only Muslim minister in the Nitish government – ​​the emerging face of Bihar's new political landscape

 

अर्सला खान/नई दिल्ली

पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में जब 20 नवंबर को नीतीश कुमार ने रिकॉर्ड 10वीं बार बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, तो मंच पर मौजूद चेहरों में एक नाम विशेष रूप से ध्यान खींच रहा था — मोहम्मद ज़मा ख़ान। जनता दल यूनाइटेड (JDU) की ओर से मंत्री बने ज़मा ख़ान सिर्फ एक राजनीतिक चेहरा नहीं, बल्कि बिहार की नई NDA सरकार के इकलौते मुस्लिम मंत्री हैं।
 
ऐसे में उनके राजनीतिक सफ़र, निजी पृष्ठभूमि और सामाजिक पहचान को लेकर लोगों में दिलचस्पी बढ़ गई है। बिहार विधानसभा चुनाव में मोहम्मद ज़मा ख़ान ने कैमूर जिले की चैनपुर सीट से JDU के टिकट पर जीत दर्ज की, और उन्होंने RJD उम्मीदवार बृज किशोर बिंद को हराया। 
 
कौन हैं मोहम्मद ज़मा ख़ान?

कैमूर जिले के चैनपुर के नौघरा गांव में जन्मे मोहम्मद ज़मा ख़ान एक साधारण मुस्लिम परिवार से आते हैं। उनकी शुरुआती पढ़ाई-लिखाई उत्तर प्रदेश के वाराणसी में हुई, जहां से उन्होंने 12वीं तक की शिक्षा पूरी की। दिलचस्प बात यह है कि एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया था कि उनके पूर्वज मूल रूप से हिंदू राजपूत थे, जिन्होंने बाद में इस्लाम धर्म अपना लिया। इसलिए उनका सामाजिक और सांस्कृतिक रिश्ता दोनों समुदायों से जुड़ता है।
 
 
नीतीश सरकार के इकलौते मुस्लिम मंत्री

2025 में फिर से सत्ता में लौटते हुए नीतीश कुमार की नई कैबिनेट में कुल 26 मंत्रियों ने शपथ ली। इनमें सम्राट चौधरी, विजय सिन्हा, रमा निषाद, श्रेयसी सिंह, मदन सहनी जैसे कई बड़े नाम शामिल रहे। लेकिन सबसे खास रहे ज़मा ख़ान, जो NDA गठबंधन में मुस्लिम समुदाय की एकमात्र प्रतिनिधिता कर रहे हैं। जेडीयू कोटे से मंत्री बनाए गए ज़मा ख़ान इससे पहले की सरकार में भी अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री रह चुके हैं। उनके विभाग में किए गए कामों की वजह से उन्हें संगठन और सत्ता—दोनों जगह मजबूत पहचान मिली।
 
 
चैनपुर से लगातार दूसरी जीत

2025 के विधानसभा चुनावों में ज़मा ख़ान ने कैमूर जिले की चैनपुर सीट से JDU के टिकट पर चुनाव लड़ा और दूसरी बार जीत हासिल की।
उन्होंने RJD के उम्मीदवार बृज किशोर बिंद को हराकर एक बार फिर सीट पर कब्ज़ा कायम रखा।
2020 में भी उन्होंने इसी सीट से शानदार जीत दर्ज की थी, उस समय BSP के टिकट पर।
 
 
ज़मा ख़ान का संघर्षभरा राजनीतिक सफ़र

ज़मा ख़ान की राजनीति की शुरुआत साल 2004 में हुई थी। उस समय उन्होंने चैनपुर विधानसभा से बहुजन समाज पार्टी (BSP) की टिकट पर चुनाव लड़ा, लेकिन हार का सामना करना पड़ा। फिर 2010 में उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर अपनी किस्मत आज़माई—पर परिणाम वही रहा, हार। 2015 में वह दोबारा BSP में लौटे और चुनाव लड़ा। इस बार वह सिर्फ 600 वोटों से हारे, लेकिन जनता में अपनी पकड़ दिखा दी।
 
 
2020 में मिली पहली बड़ी सफलता

लगातार संघर्ष के बाद 2020 वह साल था जब मोहम्मद ज़मा ख़ान का राजनीतिक सितारा चमका। BSP उम्मीदवार के रूप में उन्होंने करीब 25,000 वोटों के बड़े अंतर से जीत हासिल की और पहली बार विधानसभा पहुंचे। उस समय वह बिहार में BSP के अकेले विधायक बने थे। लेकिन राजनीति में परिस्थितियां बदलने में देर नहीं लगती—जनवरी 2021 में उन्होंने BSP छोड़कर JDU जॉइन कर लिया। उनके JDU में शामिल होते ही नीतीश कुमार ने उन्हें मंत्रिमंडल में जगह दी और वे अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री बने। उनके काम को लेकर विभाग में कई योजनाओं को रफ्तार मिलती दिखाई दी।
 
 
UP से भी है ज़मा ख़ान का कनेक्शन

हालांकि ज़मा ख़ान बिहार की राजनीति का अहम चेहरा हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश के वाराणसी शहर ने उनकी शिक्षा और शुरुआती जीवन पर गहरा प्रभाव छोड़ा है।बनारस की गंगा-जमुनी तहज़ीब और सांस्कृतिक मिश्रण ने उनके व्यक्तित्व को और मजबूत बनाया। वो अक्सर बताते हैं कि बनारस ने उन्हें सामाजिक समरसता, हिंदू-मुस्लिम एकता और सामुदायिक मेलजोल का महत्व सिखाया।
 
 
सियासत में बढ़ती भूमिका और भविष्य की उम्मीदें

नीतीश कुमार की नई सरकार में ज़मा ख़ान की भूमिका बेहद अहम मानी जा रही है। चूंकि वे NDA सरकार में एकमात्र मुस्लिम चेहरा हैं, इसलिए अल्पसंख्यक समुदाय की उम्मीदें उनसे बढ़ गई हैं। उनकी दोबारा जीत यह संकेत है कि वे सिर्फ अपने समुदाय ही नहीं, बल्कि पूरे क्षेत्र में लोकप्रिय नेता हैं। उनकी राजनीतिक यात्रा संघर्ष, दृढ़ता और लगातार सीखते रहने का उदाहरण है। कई बार हारने के बावजूद वे राजनीति में टिके रहे और आज बिहार सरकार के महत्वपूर्ण मंत्री बनकर उभरे हैं।
 
 
ज़मा ख़ान की कहानी सिर्फ एक नेता की जीत की कहानी नहीं है— यह इस बात का प्रमाण है कि लगातार मेहनत, लोगों के बीच जुड़ाव और धैर्य से सफलता मिलती है। बिहार के इकलौते मुस्लिम मंत्री का यह उदय NDA सरकार में अल्पसंख्यक समुदाय की नई भूमिका और प्रतिनिधित्व की ओर भी संकेत करता है।
चैनपुर से पटना तक का यह सफ़र अभी और आगे बढ़ने वाला है, और बिहार की राजनीति में ज़मा ख़ान एक मजबूत आवाज़ के रूप में उभर रहे हैं।