भारत में शुरू हुआ हाई-टेक e-पासपोर्ट—RFID चिप और डिजिटल सुरक्षा के साथ अब होगा सफर और आसान

Story by  ओनिका माहेश्वरी | Published by  onikamaheshwari | Date 19-11-2025
India’s Passport Seva 2.0 upgrade: What’s new in MEA’s tech-powered passport system
India’s Passport Seva 2.0 upgrade: What’s new in MEA’s tech-powered passport system

 

आवाज द वॉयस/ नई दिल्ली 

भारत अपने पासपोर्ट सिस्टम में एक बड़े सुधार के तहत अगली पीढ़ी के ई-पासपोर्ट शुरू करने जा रहा है। इन पासपोर्ट में अत्याधुनिक सुरक्षा फीचर्स शामिल होंगे, जैसे इंटरलॉकिंग माइक्रोलेटर, रिलीफ टिंट, और एन्क्रिप्टेड बायोमेट्रिक डेटा स्टोर करने वाली एम्बेडेड RFID चिप

नई व्यवस्था के तहत सभी नए पासपोर्ट सीधे ई-पासपोर्ट होंगे, जबकि मौजूदा साधारण (नॉन-इलेक्ट्रॉनिक) पासपोर्ट उनकी समाप्ति तिथि तक मान्य रहेंगे। सरकार का लक्ष्य है कि जून 2035 तक ई-पासपोर्ट पूरी तरह लागू कर दिए जाएँ।

हर ई-पासपोर्ट में लगा RFID चिप और एंटीना फोटो, फिंगरप्रिंट और अन्य व्यक्तिगत जानकारी को ICAO मानकों के अनुसार डिज़िटली साइन किए गए एन्क्रिप्टेड फॉर्मेट में सुरक्षित रखता है। कॉन्टैक्टलेस डेटा रीडिंग की सुविधा इमिग्रेशन काउंटर पर पहचान सत्यापन को तेज़, सरल और ज़्यादा भरोसेमंद बनाती है, जिससे धोखाधड़ी और छेड़छाड़ की आशंका काफी घट जाती है।

अब तक विदेश मंत्रालय (MEA) भारत में 80 लाख से अधिक ई-पासपोर्ट, और विदेशों में भारतीय मिशनों के माध्यम से 60,000 से ज़्यादा ई-पासपोर्ट जारी कर चुका है।

RFID चिप व्यक्तिगत और बायोमेट्रिक जानकारी को सुरक्षित रूप से स्टोर करता है, जबकि एंटीना बिना छुए डेटा पढ़ने की सुविधा देता है, जिससे पासपोर्ट की टिकाऊपन भी बढ़ती है। मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार, नया सिस्टम पासपोर्ट फर्जीवाड़े को काफी हद तक रोक देगा और एक व्यक्ति द्वारा कई पासपोर्ट लिए जाने की समस्या पर भी नियंत्रण होगा।
सिस्टम आवेदक के बायोमेट्रिक डेटा को सेंट्रल सर्वर से मिलान करता है और उसी नाम से जारी किसी भी मौजूदा पासपोर्ट को तुरंत फ़्लैग कर देता है।

AI-संचालित पासपोर्ट सेवा 2.0

पासपोर्ट सेवा प्रोग्राम 2.0 (PSP V2.0), जो मई 2025 में लागू हुआ, अब देशभर में
✔ 37 रीजनल पासपोर्ट ऑफिस (RPO)
✔ 93 पासपोर्ट सेवा केंद्र (PSK)
✔ 451 पोस्ट ऑफिस पासपोर्ट सेवा केंद्र (POPSK)
में कार्यरत है।

इसका ग्लोबल वर्ज़न — GPSP V2.0 — 28 अक्टूबर 2025 को लॉन्च किया गया था, ताकि विदेशों में भारतीय मिशनों में पासपोर्ट सेवाओं को बेहतर बनाया जा सके।

नए सिस्टम में AI-आधारित चैटबॉट और वॉइस बॉट शामिल हैं, जो
— आवेदन में सहायता
— शिकायत निवारण
— ऑनलाइन डॉक्यूमेंट अपलोड
— ऑटो-फिल्ड फॉर्म
— UPI/QR आधारित भुगतान
जैसी सेवाएँ उपलब्ध कराते हैं।

उन्नत बायोमेट्रिक और फेसियल रिकग्निशन तकनीक, AI-आधारित अलर्ट और डेटा एनालिटिक्स सिस्टम को अधिक सुरक्षित और प्रभावी बनाते हैं। यह सिस्टम डिजिलॉकर, आधार और पैन से भी जुड़ा है, जिससे दस्तावेज़ों का सत्यापन और आसान हो जाता है।

अन्य विशेषताओं में शामिल हैं—
• डॉक्यूमेंट वैलिडेशन के लिए रोबोटिक प्रोसेस ऑटोमेशन (RPA)
• टचस्क्रीन फ़ीडबैक सिस्टम
• इलेक्ट्रॉनिक सिग्नेचर पैड
• रियल-टाइम MIS डैशबोर्ड
इसके अलावा, 17 भाषाओं में सहायता देने वाला नेशनल कॉल सेंटर भी नागरिकों की मदद करता है।

नोएडा, चेन्नई और बेंगलुरु स्थित तीन अत्याधुनिक डेटा सेंटर इस पूरे अपग्रेडेड सिस्टम को मजबूत सुरक्षा और बेहतर थ्रेट मैनेजमेंट के साथ सपोर्ट करते हैं।

MEA के अनुसार, हर साल 1.5 करोड़ से अधिक पासपोर्ट जारी होने के साथ, इस प्रोग्राम ने सेवाओं को अधिक सुलभ और कुशल बनाया है, जिससे नागरिकों का विश्वास बढ़ा है। सभी 37 RPO में मोबाइल पासपोर्ट सेवा वैन भी उपलब्ध कराई गई हैं ताकि कम सेवा वाले क्षेत्रों में भी पहुँच सुनिश्चित की जा सके।
भारत के 543 लोकसभा क्षेत्रों में से केवल 32 क्षेत्रों में PSK या POPSK अभी नहीं हैं, और इन्हें भी अगले छह महीनों में कवर करने की योजना है।