आवाज़ द वॉयस /नई दिल्ली
हाल ही में एक धार्मिक उपदेश में, तब्लीग़ी जमात के प्रमुख मौलाना मुहम्मद साद कांधलवी ने कहा कि भारत में हिंदुओं और मुसलमानों के बीच पूर्वाग्रह (prejudice) का कारण यह है कि कई मुसलमान अपने देशवासियों के प्रति सम्मान की भावना खो चुके हैं,वही भावना जो पैगंबर मुहम्मद (P.B.U.H) ने दूसरों के प्रति दिखाई थी।
उन्होंने ये टिप्पणियाँ अक्टूबर के आखिरी सप्ताह में मेवात में आयोजित तब्लीग़ी जमात के एक बड़े इज्तिमा (Congregation) में कीं। इस कार्यक्रम में लाखों लोगों ने भाग लिया और खबरों के अनुसार, इसे एक अनुकरणीय (exemplary) और शांतिपूर्ण तरीके से आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम से मौलाना साद के भाषण का एक वीडियो तब से सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है।
मौलाना साद ने कहा, "मुसलमान यह भूल गए हैं कि अपने देशवासियों का सम्मान कैसे करना है। आपसी सम्मान का यह रवैया खत्म होता जा रहा है, हालांकि इस्लाम हमें दूसरे धर्मों के अपने भाइयों और बहनों के प्रति गहरा सम्मान दिखाने की शिक्षा देता है।"
उन्होंने धार्मिक धर्मांतरण (religious conversion) के मुद्दे पर भी बात की और स्पष्ट किया कि इस्लाम आस्था के मामलों में ज़बरदस्ती या धोखे की अनुमति नहीं देता है।
उन्होंने कहा, "इस्लाम सम्मान सिखाता है—यह आपको किसी को भी जबरन परिवर्तित करने, या उन्हें इस्लाम में लाने के लिए धमकाने या लालच देने की अनुमति नहीं देता है। धर्म में कोई ज़बरदस्ती नहीं है। इस्लाम शांति का धर्म है और हर किसी को अपनी पसंद के रास्ते पर चलने की अनुमति देता है।"
मौलाना साद ने आगे समझाया कि इस्लाम में एकमात्र "बाध्यता (compulsion)" खुद मुसलमानों पर नमाज़ (prayer) के संबंध में लागू होती है: "यदि कोई मुसलमान नमाज़ की उपेक्षा करता है, तो उसे याद दिलाया जाना चाहिए और प्रोत्साहित किया जाना चाहिए—लेकिन यह नियम गैर-मुसलमानों पर लागू नहीं होता है।"
मेवात का यह इज्तिमा इस साल एक और कारण से चर्चा में रहा—यह हिंदू-मुस्लिम सद्भाव (harmony) का प्रतीक बन गया। मुस्लिम स्वयंसेवकों के साथ-साथ, कई स्थानीय हिंदुओं ने भी इस कार्यक्रम को सफल बनाने में योगदान दिया। कुछ ने चाय के स्टॉल लगाए, कुछ ने शाकाहारी बिरयानी की व्यवस्था की या अन्य प्रकार की सेवाएँ प्रदान कीं।
इस सहयोग और आपसी सम्मान ने कई लोगों को आश्चर्यचकित किया, जो एकता की एक दिल को छू लेने वाली छवि पेश करता है। मुसलमानों का यह विशाल जमावड़ा शांतिपूर्वक संपन्न हुआ—बिना किसी शोर, अराजकता या किसी गड़बड़ी के। प्रतिभागियों ने शांति से आए और शांति से चले गए, जो शांति और सह-अस्तित्व का संदेश छोड़ गए।
What did Maulana Saad say about religious conversion?
— mansooruddin faridi (@mfaridiindia) November 4, 2025
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