प्रो. मेहर फातिमा हुसैन
जामिया मिल्लिया इस्लामिया, जिसे एनएएसी (NAAC) से A++ मान्यता प्राप्त है, वर्ष 2025में अपना 105वाँ स्थापना दिवस मना रही है। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान स्थापित यह विश्वविद्यालय आज भी अपने राष्ट्रवादी इतिहास और प्रगतिशील, समावेशी शिक्षा के आदर्शों पर अडिग है।
शुरू से ही जामिया ने हर प्रकार के औपनिवेशिक प्रभुत्व का विरोध किया और स्वावलंबन, राष्ट्रभक्ति, सामुदायिक सहयोग और स्वदेशी भावना का प्रतीक बनकर उभरी। यह संस्थान राष्ट्रीय और वैश्विक जीवन के सर्वोत्तम गुणों को आत्मसात करने का प्रयास करता है।
विश्वविद्यालय ने आधुनिक, वैज्ञानिक शिक्षा, ज्ञान और प्रशिक्षण को बढ़ावा देने में सराहनीय कार्य किया है। साथ ही, इसकी सांस्कृतिक जीवंतता हर साल आयोजित तालिमी मेला में दिखाई देती है, जो स्थापना दिवस समारोह का एक अहम हिस्सा है।
महात्मा गांधी की “नई तालीम” की पद्धति से प्रेरित होकर जामिया आज भी ऐसे शैक्षणिक और सामाजिक प्रयास करती है जो चरित्र निर्माण और समुदाय विकास में सहायक हों। यहाँ क्रेच, डे-केयर सेंटर, नर्सरी, स्कूलों से लेकर स्नातक, स्नातकोत्तर, पीएचडी, पोस्ट-डॉक्टोरल अध्ययन और अनुसंधान तक सभी स्तरों की शिक्षा उपलब्ध है।
इस व्यापक ढांचे के कारण देश और विदेश के सभी आयु वर्गों के विद्यार्थी और शोधार्थी यहाँ अध्ययन का अवसर पाते हैं। जामिया में दी जाने वाली शिक्षा केवल रोजगार या करियर तक सीमित नहीं है, बल्कि यह मानव विकास, राष्ट्र निर्माण और सामाजिक परिवर्तन के आदर्शों को भी आगे बढ़ाती है।
विश्वविद्यालय समान अवसर और समावेशन के लिए निरंतर प्रयासरत है। यहाँ हाशिए पर रहने वाले समुदायों, मुस्लिमों, महिलाओं, दिव्यांग व्यक्तियों और उत्कृष्ट खिलाड़ियों के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं, जिससे उन्हें मुख्यधारा में लाया जा सके।
जामिया के अंतर्गत सामाजिक विज्ञान, मानविकी, उत्तर-पूर्व अध्ययन, विदेशी और भारतीय भाषाएँ, महिला अध्ययन, इस्लामिक अध्ययन, मीडिया, विज्ञान, दंत स्वास्थ्य, इंजीनियरिंग, प्रौद्योगिकी, नैनो-टेक्नोलॉजी, एरोनॉटिक्स, कानून, पर्यटन, धर्म, संस्कृति और अंतरराष्ट्रीय संबंधों जैसे अनेक विषय शामिल हैं।
शैक्षणिक ईमानदारी और उत्कृष्टता को बनाए रखते हुए जामिया समुदाय से जुड़ाव, आउटरीच कार्यक्रमों और सामाजिक सहयोगों के माध्यम से सीखने की प्रक्रिया को “कार्य करते हुए सीखना” (learning by doing) के रूप में आगे बढ़ाता है।
रेज़िडेंशियल कोचिंग एकेडमी (RCA) यहाँ सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी के लिए निशुल्क कोचिंग और हॉस्टल सुविधा देती है, विशेष रूप से महिला अभ्यर्थियों के लिए। वर्षों से RCA ने उत्कृष्ट परिणाम दिए हैं।
जामिया के विद्यार्थी और शोधार्थी कई प्रकार की छात्रवृत्तियों और शुल्क माफी योजनाओं से लाभान्वित होते हैं, जैसे,डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम स्कॉलरशिप, मुषिरुल हसन डॉक्टोरल फैलोशिप, मेरिट-कम-मीन्स स्कॉलरशिप, तथा राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति उच्च शिक्षा छात्रवृत्ति आदि।
विश्वविद्यालय के कई भवनों और संस्थानों का नाम डॉ. ज़ाकिर हुसैन, सरोजिनी नायडू, बी अम्मा (अबादी बानो बेगम), डॉ. के.आर. नारायणन, नवाब मंसूर अली खान पटौदी, अनवर जमाल किदवई, मुंशी प्रेमचंद, नोम चॉम्स्की, एडवर्ड सईद जैसी महान हस्तियों के नाम पर रखा गया है, जो इसके लोकतांत्रिक और समानतावादी दृष्टिकोण को दर्शाता है।
जामिया ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संस्थानों से कई समझौता ज्ञापन (MoUs) किए हैं, जिससे शिक्षा, अनुसंधान और ज्ञान के वैश्विक आदान-प्रदान को बल मिला है। यहाँ के शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम और छात्र-केंद्रित पहलकदमियाँ लगातार संस्थागत सुधार और आधुनिक बदलावों को प्रोत्साहित करती हैं।
2025 में जब जामिया अपना 105वाँ स्थापना दिवस मना रही है, तब यह फिर से अपने समावेशी, सतत और हरित शिक्षा के संकल्प को दोहरा रही है। “ग्रीन कैंपस” और “प्लास्टिक-मुक्त” पहलें इसके पर्यावरणीय प्रतिबद्धता को दर्शाती हैं।
अपनी समृद्ध ऐतिहासिक धरोहर और प्रगतिशील दृष्टि के साथ जामिया मिल्लिया इस्लामिया ने राष्ट्र निर्माण, आधुनिक वैज्ञानिक शिक्षा और मानवीय विकास के क्षेत्र में जो भूमिका निभाई है, वह वास्तव में अद्वितीय और प्रेरणादायक है।
(लेखिकासरोज़िनी नायडू महिला अध्ययन केंद्र,जामिया मिल्लिया इस्लामियामें कार्यरत हैं)