प्राचीन ग्रंथों, उपनिषदों का फारसी अनुवाद दारा शिकोह की कोशिशों से हुआ : प्रो. इरफान हबीब

Story by  मोहम्मद अकरम | Published by  [email protected] | Date 17-02-2024
The first Persian translation of ancient Sanskrit texts, Upanishads, was done in Shahjahanabad through the efforts of Dara Shikoh: Prof. Irfan Habib
The first Persian translation of ancient Sanskrit texts, Upanishads, was done in Shahjahanabad through the efforts of Dara Shikoh: Prof. Irfan Habib

 

मोहम्मद अकरम / नई दिल्ली

शाहजहांनाबाद एक ऐसा इतिहास है जहां राजा से लेकर आम जनता तक सभी का इतिहास जुड़ा हुआ है. शाहजहानाबाद की साहित्यिक और सांस्कृतिक गतिविधियां हमारे इतिहास का हिस्सा हैं.

यहाँ के राजाओं ने कई पुस्तकों का फ़ारसी में अनुवाद करवाया था, प्राचीन संस्कृत पुस्तकों, उपनिषदों का पहला फ़ारसी अनुवाद दारा शिकोह की कोशिशों से शाहजहांनाबाद में हुआ था. इतना ही नहीं शाहजहांनाबाद में उर्दू भाषा पैदा हुई.
 
जो आज भारतीयों की भाषा है. यह भाषा कहीं और की नहीं बल्कि शाहजहांनाबाद की भाषा है, हमारे देश की भाषा है जो धीरे-धीरे पूरे उपमहाद्वीप तक पहुंच गई.
 
ये बातें मशहूर और जाने-माने इतिहासकार प्रोफेसर इरफान हबीब ने अंजुमन तरक्की उर्दू द्वारा आयोजित समारोह के दूसरे रोज़ इंडिया इंटरनेशनल सेंटर के कमला देवी कॉम्प्लेक्स में वीडियो के माध्यम से कहीं.
 
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दुर्लभतम पुस्तकों के साथ-साथ दुर्लभतम पांडुलिपियों

इस अवसर पर प्रोफेसर इरफान हबीब ने अंजुमन तरक्की हिंद को एक सक्रिय और गतिशील संगठन बताया और कहा कि जब भी अंजुमन में मुझे याद किया जाता है, तो मैं खुशी से यहां आता हूं क्योंकि अंजुमन आज अपनी परंपराओं और इन लक्ष्यों को पूरा कर रही है.
 
जिस तरह से एसोसिएशन ने अपने पुस्तकालय को आधुनिक तरीके से व्यवस्थित किया है, उसके कारण दुर्लभतम पुस्तकों के साथ-साथ दुर्लभतम पांडुलिपियों तक पहुंच आसान हो गई है.
 
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दिल्ली एक पूर्व-वैदिक शहर है

वहीं, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के इतिहास विभाग के प्रोफेसर अली नदीम रिजवी ने कहा कि दिल्ली एक पूर्व-वैदिक शहर है. दिल्ली में युग दर युग, सल्तनत और मुगल काल के उच्च शिक्षा संस्थानों का जिक्र किया.
 
दूसरी सेशन की मेजबानी मुआज़ बिन बिलाल और प्रोफेसर समी रफीक़ ने की और सीएसडीएस एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. हिलाल अहमद ने वक्ता के रूप में भाग लिया.
 
इस बैठक का शीर्षक था शाहजहांनाबाद का आध्यात्मिक माहौल. अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग के प्रोफेसर समी रफीक ने शाहजहांनाबाद के भोजन की विशेषताओं पर विस्तृत चर्चा की.
 
पछताओ गे हो ये बस्ती उजाड़ कर 

विशेषज्ञों ने "बेहतर नहीं मकान कोई इस मकान से" शीर्षक के तहत शाहजहानाबाद की हवेलियों पर अपने विचार व्यक्त किये. इस बैठक की मेजबानी उज़मा अज़हर ने की. पवन कुमार वर्मा ने शाहजहानाबाद की पुरानी हवेली एवं उद्योग की विशेषताओं की चर्चा की.
 
दूसरी तरफ, अतुल कुमार खन्ना ने वर्तमान युग में हवेलियों के महत्व और उनकी स्थिति पर एक संक्षिप्त उपदेश दिया, जिसका शीर्षक था "पछताओ गे हो ये बस्ती उजाड़ कर".
 
प्रोग्राम के आखिर में, आग़ा खान ट्रस्ट के प्रोजेक्ट मैनेजर रितेश नंदा ने अपनी बातचीत में शाहजहानाबाद की इमारतों से संबंधित आगा खान ट्रस्ट की गतिविधियों का उल्लेख किया और दिल्ली में इमारतों और इमारतों की सुरक्षा पर भी जोर दिया.