18 वीं लोकसभा में आजादी के बाद सबसे कम मुस्लिम सांसद, ओवैसी का ‘पंजा’ , यूसुफ पठान ने अधीर  रंजन को किया ‘हुक’

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 05-06-2024
18 वीं लोकसभा में आजादी के बाद सबसे कम मुस्लिम सांसद, ओवैसी का ‘पंजा’ , यूसुफ पठान ने अधीर  रंजन को किया ‘हुक’
18 वीं लोकसभा में आजादी के बाद सबसे कम मुस्लिम सांसद, ओवैसी का ‘पंजा’ , यूसुफ पठान ने अधीर  रंजन को किया ‘हुक’

 

मलिक असगर हाशमी / नई दिल्ली

सियासी दलों द्वारा 18 वीं लोकसभा चुनाव के लिए कम संख्या में मुस्लिम उम्मीदवार देने के कारण आजादी के बाद पहली बार बेहद कम संख्या में संसद में उनकी मौजूदगी होगी. इस बार अलग-अलग पार्टियों ने 37 सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवार दिए थे. मगर उनमें से कुछ ही ऐसी सीटें थीं जहां से उनका जीतना संभव था. यही नहीं चुनाव लड़ रहे कुछ नामचीन चेहरांे का प्रदर्शन भी ऐसा नहीं रहा है कि वे लोकसभा पहुंच सकें.

उनमें जम्मू-कश्मीर की महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला शामिल हैं. उमर को तिहाड़ जेल में बंद एक कैदी से हरा मिली. कैदी ने जेल में रहते हुए चुनाव लड़ा.इसके विपरीत यूसुफ पठान, कम उम्र की इकरा चौधरी जैसे कुछ नए मुस्लिम चेहरे 19 वीं लोकसभा में नजर आएंगे. ओवैसी ने पांचवीं बार लोकसभा चुनाव जीता है.

देश भर में कम से कम 15 मुस्लिम उम्मीदवारों ने लोकसभा सीटें जीती हैं, जिनमें टीएमसी उम्मीदवार और पूर्व भारतीय क्रिकेटर यूसुफ पठान भी शामिल हैं, जिन्होंने कांग्रेस के दिग्गज नेता अधीर रंजन चैधरी के गढ़ बहरामपुर में आरामदायक जीत हासिल की.

इस साल लोकसभा चुनाव में कुल 78 मुस्लिम उम्मीदवार मैदान में थे, जो पिछले चुनावों की तुलना में काफी कम है. पिछले चुनाव में विभिन्न दलों ने 115 मुस्लिम उम्मीदवार मैदान में उतारे थे.

मौलाना मोहिबुल्लाह और कम उम्र इकरा चौधरी बने सांसद

सहारनपुर से कांग्रेस उम्मीदवार इमरान मसूद ने 64,542 मतों से जीत हासिल की, जबकि कैराना से समाजवादी पार्टी की 29 वर्षीय उम्मीदवार इकरा चौधरी ने भाजपा के प्रदीप कुमार को 69,116 मतों से हराया.गाजीपुर से मौजूदा सांसद अफजल अंसारी ने 5.3 लाख वोट हासिल कर सीट जीती, जबकि एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने अपनी निकटतम प्रतिद्वंद्वी भाजपा की माधवी लता कोपेला पर 3,38,087 वोटों के अंतर से हैदराबाद सीट बरकरार रखी.

लद्दाख में निर्दलीय उम्मीदवार मोहम्मद हनीफा ने 27,862 मतों के अंतर से जीत हासिल की, जबकि एक अन्य निर्दलीय उम्मीदवार अब्दुल रशीद शेख ने 4.7 लाख वोट हासिल करके जम्मू-कश्मीर की बारामूला सीट जीती. उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के मोहिबुल्लाह ने रामपुर सीट पर 4,81,503 वोट हासिल कर जीत दर्ज की, जबकि जिया उर रहमान ने संभल में 1.2 लाख वोटों के अंतर से जीत दर्ज की.

जम्मू-कश्मीर की अनंतनाग-राजौरी सीट पर नेशनल कॉन्फ्रेंस के मियां अल्ताफ अहमद ने जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती को 2,81,794 वोटों से हराया. श्रीनगर में एनसी उम्मीदवार आगा सैयद रूहुल्लाह मेहंदी को 3,56,866 वोट मिले.

यूसुफ पठान ने  अधीर चौधरी को हरा कर चौंकाया

पश्चिम बंगाल की बहरामपुर सीट पर पहली बार चुनाव लड़ रहे यूसुफ पठान ने लोकसभा में कांग्रेस के नेता और छह बार के सांसद अधीर रंजन चैधरी को 85,022 वोटों से हराया. अधीरंजन को कांग्रेस का बड़ा नेता माना जाता है.

बहरामपुर उनका गढ़ रहा है, पर पहली बार चुनाव लड़ते हुए पठान ने उन्हें शिकस्त दे दी.17वीं लोकसभा यानी 2019 के आम चुनाव में कुल 27 मुस्लिम उम्मीदवार चुनकर आए थे. ऐसे में देश के आम मुसलमानों की समझ है कि सियासी दलों के कम संख्या में मुस्लिम उम्मीदवारों के मैदान में उतारने से इनका कम तादाद में पहुंचना लाजमी है.

इसी सोच की वजह से कई मुस्लिम बुद्धिजीवियों एवं सेक्युलर संगठनों ने मुसलमानों को कम उम्मीदवारी देने पर सवाल उठाए थे.

आजादी के बाद पहली बार मुस्लिम सांसद सबसे कम

हालांकि, कम संख्या में मुस्लिम उम्मीदवारों का संसद में पहुंचना कोई नया नहीं है.अब तक सबसे कम संसद में पहुंचने वाले मुस्लिम सांसदों की संख्या 22 है. 16वीं लोकसभा चुनाव के लिए सबसे कम 22 मुस्लिम प्रत्याशी चुने गए थे. इसके विपरीत 1980 में सवार्धिक संख्या में मुस्लिम चुनकर निचले सदन में पहुंचे थे. तब 49 मुसलमानों ने चुनाव जीता था, जिनमें सर्वाधिक कांग्रेस से थे.

पिछले आम चुनाव में तथाकथित सेक्यूर पार्टियों कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, राजद, जदयू, बसपा , राकांपा, वाम दलों ने 115 मुसलमानों को चुनाव लड़ाया था. इस बार सभी ने मिलकर 78 उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं. पिछले यानी 17वीं लोकसभा में बीजेपी का मुस्लिम चेहरा पश्चिम बंगाल के सौमित्र खान थे और पार्टी ने सर्वाधिक 303 सीटें जीती थीं. इस बार बीजेपी का मुस्लिम चेहरा मलप्पुरम से डॉ अब्दुल सलाम हैं, जिनके बारे में एग्जिट पोल में जीत दिखाया गया था. अलग बात है कि वह जीत का स्वाद नहीं चख पाए.

37 सीटों पर थे मुस्लिम उम्मीदवार

इस बार 37 ऐसी सीटें रहीं, जहां मुस्लिम उम्मीदवार मजबूती से चुनाव लड़े. मलप्पुरम, बहरामपुर, हैदराबाद, बारामूला, धुबरी, अमरोहा, कोलकाता दक्षिण, औरंगाबाद, कटिहार, मधुबनी, सिवान, किशनगंज, लक्षदीप, सहारनपुर, रामपुर, अनंतनाग, कैराना, भुवनेश्वर, करीमगंज, अररिया, श्रीनगर, बेंगलुरु सेंट्रल, वाटकरा, पोन्नानी, संभल, गाजीपुर, रायगंज, मालदा उत्तर, मालदा दक्षिण, जंगीपुर, मुर्शिदाबाद, कृष्णानगर, डायमंड हार्बर, उलूबेरिया, आसनसोल, वर्धमान और बीरभूम सीट से मुस्लिम उम्मीदवारों के संसद में पहुंचने की उम्मीद की जा रही थी, पर इनमें से कुछ ही सीट पर उनकी जीत हो पाई.

वैसे, इस समय मुस्लिम उम्मीदवार के तौर पर देश के मुसलमानों की नजरें महबूबा मुफ्ती, उमर अब्दुल्ला, एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी, बदरुद्दीन अजमल, तारिक अनवर, क्रिकेटर यूसुफ पठान, नसीरुद्दीन शाह की भतीजी साहिरा हलीम शाह, इम्तियाज जलील, इकरा अहमद, अशरफ फातमी, कुंवर दानिश अली, अब्दुल सलाम, हमदुल्ला सईद, आगा सैयद रूहुल्ला मेहंदी, सज्जाद लोन पर ज्यादा टिकी हुई. मगर में इनमें से कई नामचीन चेहरे चुनाव नहीं जीत पाए.