Hajj 2025: Imam of Kaaba's historic sermon - a message of unity, patience and justice to Muslims
मक्का, अराफात के मैदान से—
हज 2025 के पवित्र अवसर पर काबा के इमाम, शेख डॉ. सालेह बिन अब्दुल्लाह बिन हुमैद ने अराफात के मैदान से ऐतिहासिक और भावनात्मक उपदेश दिया, जिसमें उन्होंने पूरी मुस्लिम उम्मत को एकता, तक़वा, इंसाफ़ और परहेज़गारी का संदेश दिया.
अपने खुतबे की शुरुआत में उन्होंने फ़िलिस्तीनी मुसलमानों के लिए विशेष दुआ करते हुए कहा, "ऐ अल्लाह! फिलिस्तीनी भाइयों को दुश्मनों पर फतह अता फरमा, उनकी भूख, दुख, बेघर होने की हालत और तकलीफ़ों को दूर कर, उन्हें अमन व शांति दे और हर बुराई से महफूज़ रख." उन्होंने आगे दुआ की, "मुस्लिम हुक्मरानों को सफलता, हिदायत और तक़वा अता फरमा. उन्हें लोगों की भलाई और इंसाफ़ के लिए खड़ा कर.
इमाम ने अपने उपदेश में मुसलमानों को संबोधित करते हुए कहा, "ऐ ईमान वालों! अल्लाह से डरो और परहेज़गार बनो, क्योंकि तक़वा ही दुनिया और आख़िरत में कामयाबी की कुंजी है." उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि अल्लाह ने इंसान को नेक बनने, अच्छाई फैलाने और बुराई से दूर रहने का आदेश दिया है.
भ्रष्टाचार और अन्याय के खिलाफ चेतावनी
उन्होंने चेताया कि धरती पर फ़साद फैलाना (भ्रष्टाचार और अन्याय) अल्लाह की नजर में एक गंभीर अपराध है. उन्होंने कहा कि मुसलमानों को चाहिए कि वे हमेशा सच बोलें, अच्छाई की तरफ़ बुलाएं और सब्र से काम लें, क्योंकि सब्र करने वालों को अल्लाह तआला पूर्ण इनाम देता है.
शुक्र और दुआ की ताक़त पर ज़ोर
शेख सालेह बिन हमैद ने मुसलमानों को अल्लाह के प्रति शुक्रगुज़ार बनने की प्रेरणा दी. उन्होंने कुरआन का हवाला देते हुए कहा, "अल्लाह ने वादा किया है कि जो लोग शुक्र अदा करेंगे, वह उनकी नेमतों और बरकतों में इज़ाफ़ा करेगा." उन्होंने दुआ करने को ‘क़ुबूलियत का दरवाज़ा’ बताया और कहा कि मुसलमानों को हर वक्त अल्लाह को याद करना चाहिए, चुपके से और दिल से दुआ करनी चाहिए.
इस्लामी मूल्यों और कुरान की श्रेष्ठता पर ज़ोर
अपने संबोधन में उन्होंने इस्लामी मूल्यों की व्याख्या करते हुए बताया कि इस्लाम एक मुकम्मल और अंतिम दीन है. उन्होंने कहा, "हम तौरात, इंजील और सभी पवित्र किताबों पर ईमान रखते हैं और अल्लाह ने कुरआन को उन सबका संरक्षक बनाया है." उन्होंने यह भी कहा कि अल्लाह ने इंसान के कर्मों और हर घटना को ‘लौह-ए-महफ़ूज़’ (संरक्षित पट्टिका) में पहले ही दर्ज कर रखा है.
मुस्लिम उम्मत के लिए एकता और इंसाफ का संदेश
शेख ने मुसलमानों को आपसी विवादों में अल्लाह और उसके रसूल के आदेशों की तरफ़ लौटने का निर्देश दिया. उन्होंने कहा, "अगर तुम्हारे बीच कोई झगड़ा हो, तो उसे कुरान और सुन्नत के अनुसार हल करो." उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि अल्लाह के अलावा कोई मददगार या नुक़सान से बचाने वाला नहीं है.
अंत में उन्होंने दुआ की:
"ऐ अल्लाह! दुनिया के पूरब-पश्चिम में फैले मुसलमानों की हालत सुधार दे. उन्हें एकजुट कर, उनके दिलों में मोहब्बत भर दे, उनके बीच से फूट और नफ़रत को दूर कर."
हज 2025 का यह ऐतिहासिक खुतबा केवल एक धार्मिक भाषण नहीं, बल्कि समूचे इस्लामी जगत के लिए एक मार्गदर्शक और चेतावनी है – जो अल्लाह के प्रति आस्था, इंसाफ़ की राह और सब्र की ताक़त को अपनाने की ओर बुलाता है.