रमजान 2024 पर खास चर्चा : समस्त धर्मों ने किसी न किसी रूप में व्रत और उपवास को अपनाया, बोले धार्मिक विद्वान

Story by  मोहम्मद अकरम | Published by  [email protected] | Date 20-03-2024
Interfaith Discussion on Fasting in Different Religious traditions
Interfaith Discussion on Fasting in Different Religious traditions

 

मोहम्मद अकरम / नई दिल्ली

दिल्ली के निजामुद्दीन इलाके जंगपुरा में मौजूद सीआईएसआरएस में कई संस्थानों द्वारा (Interfaith Discussion on Fasting in Different Religious traditions) ‘विभिन्न धार्मिक परंपराओं में उपवास पर अंतरधार्मिक चर्चा’ विषय पर चर्चा का आयोजन किया गया. जिसमें सभी धर्मों के विद्वान शामिल हुए.कहा,व्रत, उपवास धर्म का साधन माना गया है.

संसार के समस्त धर्मों में किसी न किसी रूप में व्रत और उपवास को अपनाया है. व्रत के आचरण से पापों का नाश, पुण्य का उदय, शरीर और मन की शुद्धि, अभिलषित मनोरथ की प्राप्ति और शांति की सिद्धि होती है. जिस के माध्यम से व्यक्ति अल्लाह के करीब होता है. मुस्लिमों में रमजान का एक महीना उपवास है तो हिन्दू धर्म में हर पर्व पर व्रत का विशेष महत्व होता है.उसे रखने के अलग-अलग नियम हैं.

परीक्षा जीवन का लक्ष्य 

जकात फाउंडेशन ऑफ इंडिया के संस्थापक चेयरमैन डॉ सैयद जफर महमूद ने इस्लामिक दृष्टिकोण से कहा कि बड़ी तस्वीर जो देखने की जरूरत है वह है कि ईश्वर ने मनुष्य को क्यों बनाया? पवित्र कुरान में अल्लाह ने इस हवाले से बताया है ताकि हम तुम्हारा इम्तेहान ले सकें.

तुम मे से कौन से लोग ज्यादा कड़ी मेहनत, कोशिश कर, अपने संसाधनों का उपयोग अन्य लोगों के जीवन को बेहतर बनाने में लगे हैं. यह परीक्षा जीवन का लक्ष्य है, इसलिए इसके कई उपकरण हैं, जिसमें एक रमजान का उपवास है.

जरूरतमंदों के बीच मदद

जफर महमूद ने कहा कि रमजान के रोज़े में मुसलमान सुबह सूरज निकलने से एक घंटा पहले खाना पीना बंद कर देते और शाम को सूरज डूबने के बाद इफ्तार करते हैं. इसमें यह सीखा जाता है कि हमारे बीच में जरूरतमंद लोग हैं, गरीब हैं, उनके लिए हमारे जो संसाधन हैं उनमें से कम करके हम अपने ऊपर कम खर्च करें और जिन लोगों को जरूरत है उसके ऊपर बांटे.

जिम्मेदारी को समझने की जरुरत

इस्लाम में इस हवाले से आगे कहा गया है कि समाज में, पूरी मिल्लत में जो पूरी दौलत है उस दौलत को सभी में बांटना है. जफर महमूद ने आगे कहा कि हमारे ऊपर जो बड़ी जिम्मेदारी है उसे समझने की जरूरत है.

उपवास या व्रत रखना हमारे देश में सांस्कृतिक पहचान

वहीं, CHOMP के लिए राष्ट्रीय सलाहकार डॉ रीता डार ने कहा कि उपवास या व्रत रखना हमारे देश में सांस्कृतिक पहचान है. यहां जितने धर्म के लोग हैं सबके यहां किसी तरह से उपवास रखे जाते हैं. बहुत सारे लोग सप्ताह के सोमवार, रविवार को रखते हैं और बहुत सारे गैर मुस्लिम लोग भी रमजान के दिनों में व्रत रखते हैं.

Dr. Syed Zafar Mahmood

 

इंसान अपने मालिक के नजदीक हो जाता है

Institute of Harmony and Peace Studies के संस्थापक निदेशक फादर एमडी थॉमस ने कहा कि सिर्फ उपवास या व्रत के दौरान फल नहीं खाने, भूखे प्यासे रहने का नाम नहीं बल्कि इससे इंसान अपने मालिक के नजदीक हो जाता है. जैसे दूसरे धर्मों में उपवास या व्रत रखा जाता है उसी ईसाई धर्म में भी उपवास रखा जाता है.

यह चर्चा Catholic Bishops Conference of India, Christian Institute for the Study of Society, Zakat Foundation of India, Institute of Harmony and Peace Studies, Truth Seekers International, National Dalit Christian Watch के तत्वाधान में हुआ.प्रोग्राम संचालन डॉ दरनेल ने किया और आखिर में फादर अरविंद पेतर धन्यवादी भाषण के साथ प्रोग्राम का समपन्न हुआ.

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