हज मिशन की धर्मनिरपेक्ष छवि पर क्या बोले लियाकत अली अफाकी, सीईओ हज कमेटी ऑ इंडिया

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 12-06-2024
Secular image of Haj Mission, said Liaquat Ali Afaqui, CEO Haj Committee of Indiaओ हज कमेटी ऑ इंडिया
Secular image of Haj Mission, said Liaquat Ali Afaqui, CEO Haj Committee of Indiaओ हज कमेटी ऑ इंडिया

 

मंसूरुद्दीन फरीदी /नई दिल्ली

हजआधिकारिक, राजनयिक और प्रशासनिक आधार परभारत सरकार का विदेश में सबसे बड़ा मिशन है.इसका एक खूबसूरत पक्ष भी है, जो भारत के धर्मनिरपेक्ष चेहरे को दर्शाता है.दरअसल, इस मिशन को सफल बनाने के लिए छह मंत्रालय और भारतीय हज समिति के मंत्री से लेकर अधिकारी और स्वयंसेवक तक दिन-रात काम करते हैं.

दिलचस्प बात यह है कि इनमें हिंदू, मुस्लिम, सिख और ईसाई  धर्म के लोग शामिल हैं,जो इस आध्यात्मिक यात्रा को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं.इस बात का खुलासा हज कमेटी ऑफ इंडिया के मुख्य कार्यकारी अधिकारी और आईआरएस लियाकत अली अफाकी ने आवाज द वाॅयस से खास बातचीत के दौरान किया.

लियाकत अली अफाकी ने कहा कि यह हज मिशन का सबसे खूबसूरत पहलू है जो देश की सभ्यता, संस्कृति और मूल्यों को दर्शाता है.भारत की गंगा-जमनी सभ्यता की मिसाल धार्मिक  सहिष्णुता और सद्भाव का वर्णन करता है.

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इस संबंध में सबसे पहले स्मृति ईरानी साहिबा का नाम लूंगा, जिनके हज के बारे में ज्ञान ने मुझे दंग कर दिया.इस धार्मिक कर्तव्य के बारे में उनसे ज्यादा जानने का मैं दावा नहीं कर सकता.तकनीक से जुड़ने के लिए दिए गए निर्देश भी बहुत उपयोगी साबित हुए.

उनके साथ मैं अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय के सचिव कटिथला श्रीनिवास और संयुक्त सचिव (हज) सीपीएस बख्शी का भी नाम लूंगा.श्रीनिवास साहब को हज के बारे में इतना ज्ञान है कि आप आश्चर्यचकित हो जाएंगे.वह कब कौन सा प्रतिनिधिमंडल सऊदी अरब गए थे और हज में क्या बदलाव किये गये हैं, श्रीनिवास साहब को सब मौखिक याद है.

अगर मैं बख्शी साहब की बात करूं तो आपको ये जानकर आश्चर्य होगा कि अलग-अलग मंत्रालयों के बीच समन्वय का श्रेय उन्हें जाता है. अगर आप उनके सामने कोई समस्या लेकर आते हैं तो वो उसे चुटकियों में हल कर देते हैं.

लॉरेंस जेम्स भारत की हज समिति के सदस्य हैं.ये नाम और चेहरे हज मिशन को सफल बनाने में अहम भूमिका निभाते हैं, लेकिन इनके बारे में कोई नहीं जानता.इनकी सेवाएं पर्दे के पीछे हैं.

उन्होंने कहा कि यह हज मिशन सरकार के छह मंत्रालयों की कड़ी मेहनत का नतीजा है, जिसमें नोडल मंत्रालय अल्पसंख्यक मामलों का मंत्रालय है. इसके साथ गृह मंत्रालय, विदेश मंत्रालय, नागरिक उड्डयन मंत्रालय, मंत्रालय हैं. वित्त, स्वास्थ्य मंत्रालय की प्रमुख भूमिका होती है.

अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय ने 600 लोगों की एक टीम सऊदी अरब भेजी है. ये स्वयंसेवक अपना समय हज यात्रियों की देखभाल में बिताते हैं.आवाज द वॉयस से बात करते हुए उन्होंने कहा कि स्मृति ईरानी ने अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री के तौर पर हज मिशन के लिए बेहतरीन काम किया है.

उनकी सऊदी अरब यात्रा तो सुर्ख़ियों में रही, लेकिन हज मिशन को सफल बनाने में उन्होंने जो व्यक्तिगत दिलचस्पी दिखाई, वह अभूतपूर्व है. उनके साथ काम करते हुए, मुझे आश्चर्य हुआ कि वह हज के बारे में हर चीज़ जानती हैं .हर विवरण को समझती हैं.

 उन्होंने कहा कि जो लोग धार्मिक यात्रा पर जाते हैं, उन्हें कष्ट नहीं होना चाहिए.वे अल्लाह के मेहमान हैं.ये गरीब हैं, जिनमें से अधिकांश ग्रामीण क्षेत्रों से हैं, इसलिए इन्हें बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराना बहुत महत्वपूर्ण और आवश्यक है.

लियाकत अली अफाकी का कहना है कि हर हज पिछले साल के हज से अलग क्यों है, इसका एक जवाब यह है कि प्रौद्योगिकी के उपयोग ने हज के स्वरूप को बदल दिया है. अब हज यात्रियों के लिए यह महत्वपूर्ण है.सुविधाएं मोबाइल ऐप के रूप में उनके हाथ में हैं.

तकनीक ने हज यात्रियों के लिए शिकायत दर्ज करना या किसी को ढूंढना बेहद आसान बना दिया है.इस संबंध में स्वेधा ऐप एक क्रांतिकारी बदलाव है, जिसका उपयोग आज हर हज यात्री कर रहा है.

हज यात्रियों की बड़ी समस्याएं दूर हो गई हैं.टेक्नोलॉजी ने ऐसा सिस्टम बना दिया है कि अगर आप इस ऐप से अपने सामान का बारकोड स्कैन करते हैं तो अगर आपका सामान खो भी जाता है तो हम उसे ऐप के जरिए ढूंढ सकते हैं.

दूसरी शिकायत हज यात्रियों के खो जाने के बारे में थी, आपातकालीन स्थिति में, हर सुविधा में एक एसओएस बटन प्रदान किया गया है.किसी तरह आप खो जाते हैं, आपको अपना रास्ता नहीं मिल रहा है, आप इधर-उधर भटक रहे हैं, तो आप इस एसओएस बटन को दबाएँ.

हमारे केंद्र पर एक आपातकालीन कॉल प्राप्त करेगा.हम एक बटन दबाकर उसके स्थान का पता लगा लेंगे.उसे आवश्यक सहायता प्रदान करेंगे.लियाकत अली अफाकी ने आवाज द वॉयस को बताया कि भारत और सऊदी अरब के बीच मैत्रीपूर्ण संबंधों का हज मिशन की सफलता और हज यात्रियों को बेहतर सुविधाएं प्रदान करने पर बहुत सकारात्मक प्रभाव पड़ा है.

हमारे अच्छे संबंधों का ही नतीजा है कि भारत का कोटा 175 हजार तक पहुंच गया है.उनका कहना है कि यह भारत सरकार का सबसे बड़ा मिशन है. इसका आयोजन भारत सरकार करती है,लेकिन ध्यान देने वाली बात यह है कि यह मिशन विदेशी धरती पर है.इसलिए इस बात की 100 फीसदी गारंटी नहीं दे सकते कि आपको वहां कोई दिक्कत नहीं होगी.

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भारतीय हज समिति के सीईओ लियाकत अली अफाकी ने कहा कि आपसी संबंधों के कारण, मध्य क्षेत्र में मदीना में भारतीय हज यात्रियों के लिए आवास की व्यवस्था की गई है जो पैगंबर की मस्जिद के सबसे करीब है.

पहले यह संभव नहीं था. केवल 70% हज यात्रियों को सेंट्रल में रहने का मौका मिलता था, लेकिन इस बार हमारे मंत्री के कारण 100% भारतीय तीर्थयात्री सेंट्रल में रहने में सक्षम थे.जब हाई अपसाइड या बुलेट ट्रेन की बात आई तो लियाकत अली अफाकी ने कहा कि यह एक क्रांतिकारी कदम था जिसने हज यात्रा को आसान बना दिया.यादगार बन गया.

यह एक अनोखा अनुभव है.पहली बार, भारत के 35000 हज ने यात्रियों ने जेद्दा से मक्का तक बुलेट ट्रेन से यात्रा की, जो कि यात्रा में 6 घंटे लगते थे, अब केवल 6 घंटे लगते हैं आधा घंटा.यह सरकार के प्रयासों का नतीजा है. लियाकत अली अफाकी ने कहा कि इस साल की हज यात्रा को अनुकरणीय कहा जा सकता है.हम हज यात्रा को आसान बनाने में सफल हुए हैं.