आवाज द वाॅयस/ पुणे
आज के दौर में जब चारों ओर स्वार्थ और छल-कपट की खबरें आम हो चली हैं, तब महाराष्ट्र के धुलिया जिले में रहने वाले अमीन शेख ने ईमानदारी और इंसानियत की एक अनोखी मिसाल पेश की है. बेहद गरीब हालात में रहते हुए भी अमीन ने लालच को ठुकराया और करीब दस लाख रुपये का सोना उसके असली मालिक को लौटाकर यह साबित कर दिया कि सच्चाई और नैतिकता आज भी ज़िंदा हैं.
अमीन शेख पेशे से कबाड़ बीनने का काम करते हैं. एक रोज़ वे विकास हाई स्कूल के पीछे रहने वाले भूषण राजपूत के घर से कबाड़ लेने गए थे। कबाड़ इकट्ठा कर के जब वे उसे लॉरी में भरकर घर ले गए, तो उनकी मां ने सामान को अलग करते हुए देखा कि उसमें एक मंगलसूत्र और चार सोने की चूड़ियाँ भी हैं. माँ ने इन गहनों को सुरक्षित रखने के लिए अलमारी में रख दिया और अमीन ने तुरंत राजपूत परिवार से संपर्क किया. जब भूषण राजपूत को यह खबर मिली कि उनका सोना सुरक्षित है, तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा. उन्होंने अमीन की ईमानदारी से प्रभावित होकर उन्हें 15,000 रुपये का मोबाइल फोन इनाम में दिया.
इस घटना की शुरुआत 8 जून को हुई थी, जब भूषण राजपूत अपनी माँ के साथ नंदुरबार किसी कार्यक्रम में जाने वाले थे. कार्यक्रम रद्द होने के बाद गहने वापस अलमारी में रख दिए गए, लेकिन गलती से वही गहने रद्दी अखबारों के साथ रखे रह गए. अमीन जब घर से कबाड़ लेने आए, तो गहने भी उसी के साथ कबाड़ में चले गए। अगले दिन जब गहने नहीं मिले, तो घर में हड़कंप मच गया. संदेह हुआ कि सोना शायद कबाड़ में चला गया है. राजपूत परिवार ने तुरंत अमीन से संपर्क किया, लेकिन अमीन ने वो कबाड़ पहले ही होलसेलर को बेच दिया था. सीसीटीवी फुटेज भी खंगाले गए, लेकिन कोई ठोस जानकारी नहीं मिली.
फिर अमीन ने अपने परिवार से बात की और जब उन्होंने अपनी अम्मी से फोन पर पूछा, तो पता चला कि सोना सुरक्षित है और अलमारी में रखा गया है. उस समय उनकी अम्मी मध्य प्रदेश के सेंधवा गई हुई थीं, लेकिन लौटने के बाद उन्होंने राजपूत परिवार को वह पूरा सोना सौंप दिया. इस घटना का एक और पहलू भावुक कर देने वाला है — अमीन कभी भूषण राजपूत के पिता, संजय राजपूत, जो एक रिटायर्ड हेडमास्टर हैं, उनके छात्र रह चुके हैं. अमीन की इस सच्चाई पर राजपूत परिवार ने गर्व जताया और कहा कि अमीन जैसे लोग आज के दौर में समाज की उम्मीद बनाए रखते हैं.
भूषण राजपूत ने कहा, “अमीन, जिसे हम अमु कबाड़वाला कहते हैं, ने जो ईमानदारी दिखाई है, वो आज के ज़माने में दुर्लभ है. जब हर कोई एक-दूसरे पर शक करता है, तब अमीन ने भरोसे और नेकनीयती की मिसाल पेश की है. यह वाकया न सिर्फ अमीन की ईमानदारी को दर्शाता है, बल्कि यह भी बताता है कि इंसानियत अभी पूरी तरह मरी नहीं है. अमीन जैसे लोग समाज में उम्मीद की एक चमकदार किरण हैं, जो दिखाते हैं कि सच्चाई और ईमानदारी अब भी जिंदा हैं — बस उन्हें पहचानने और सराहने की ज़रूरत है.