Sardar Patel: Why Bollywood hasn't shown the full story of the Iron Man yet
अर्सला खान/नई दिल्ली
हर साल 31 अक्टूबर को पूरा देश सरदार वल्लभभाई पटेलकी जयंती मनाता है. उन्हें हम सब लौह पुरुष के नाम से जानते हैं वो नेता जिन्होंने आज़ाद भारत को जोड़कर एक देश बनाया. 562 रियासतों को एक साथ लाकर उन्होंने वो काम कर दिखाया, जो असंभव माना जा रहा था, लेकिन हैरानी की बात ये है कि इतना बड़ा काम करने वाले सरदार पटेल पर बॉलीवुड ने बहुत कम फिल्में बनाई हैं.
‘सरदार’ (1993): लौह पुरुष पर बनी पहली प्रमुख फिल्म
सरदार पटेल के जीवन पर सबसे प्रसिद्ध फिल्म है ‘सरदार’ (1993), जिसका निर्देशन केतन मेहता ने किया था. इस फिल्म में परेश रावल ने पटेल की भूमिका निभाई, जबकि टॉम आल्टर ने लॉर्ड माउंटबेटन और बेंजामिन गिलानी ने जवाहरलाल नेहरू का किरदार निभाया.
फिल्म में भारत के विभाजन के दौर की जटिल राजनीति, गांधीजी और पटेल के रिश्ते, और देश के एकीकरण की प्रक्रिया को बारीकी से दिखाया गया. परेश रावल का अभिनय इस फिल्म की आत्मा था. उन्होंने पटेल के कठोर लेकिन करुणामय स्वभाव को बखूबी जीवंत किया.
‘गांधी’ (1982): विदेशी फिल्म में भारतीय लौह पुरुष की झलक
रिचर्ड एटनबरो की ऑस्कर विजेता फिल्म ‘Gandhi’ (1982) में सरदार पटेल का किरदार सईद जाफरी ने निभाया था. यह फिल्म भले ही गांधीजी के जीवन पर केंद्रित थी, लेकिन पटेल को इसमें एक निर्णायक राजनीतिक रणनीतिकार और गांधीजी के सबसे विश्वसनीय सहयोगी के रूप में दिखाया गया. यह वह फिल्म थी जिसने दुनिया को पहली बार यह एहसास दिलाया कि भारत की आज़ादी केवल गांधी या नेहरू का परिणाम नहीं थी, बल्कि पटेल की कूटनीति और दृढ़ इच्छाशक्ति का भी नतीजा थी.
‘भारत एक खोज’ (1988): टीवी पर जीवित हुई पटेल की विरासत
श्याम बेनेगल के प्रसिद्ध टीवी धारावाहिक ‘भारत एक खोज’ में भी सरदार पटेल का किरदार महत्वपूर्ण था. इस सीरीज़ में पटेल को एक ऐसे राष्ट्र निर्माता के रूप में दिखाया गया जो केवल राजनीति नहीं, बल्कि जनसेवा और राष्ट्रीय एकता के प्रतीक थे. इस धारावाहिक के माध्यम से नई पीढ़ी ने पहली बार उन्हें गांधी-नेहरू से अलग, एक स्वतंत्र और निर्णायक नेता के रूप में देखा.
‘The Making of a Nation’ (डॉक्यूमेंट्री, 2012)
2012 में बनी इस डॉक्यूमेंट्री में पटेल के योगदान को ऐतिहासिक दृष्टि से दर्शाया गया. इसमें उनके भाषणों, ऐतिहासिक दस्तावेज़ों और दुर्लभ फुटेज का इस्तेमाल किया गया ताकि दर्शक समझ सकें कि भारत का नक्शा जैसा आज है, वह पटेल की राजनीतिक सूझबूझ का नतीजा है.
‘Statue of Unity’ (2018): लौह पुरुष को आधुनिक श्रद्धांजलि
2018 में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ का उद्घाटन किया, जो दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा है. तब सरदार पटेल का नाम फिर सुर्खियों में आया. इसके बाद कई प्रोडक्शन हाउसों ने पटेल पर नई फिल्मों की योजना बनाने की घोषणा की. हालांकि, अब तक कोई बड़ी बॉलीवुड बायोपिक परदे तक नहीं पहुंची है. कुछ स्वतंत्र फिल्मकारों ने इस दिशा में स्क्रिप्ट तैयार करने की बात कही है, लेकिन परियोजनाएँ अभी विकास के चरण में हैं.
‘Freedom at Midnight’ और ‘Pradhanmantri’ में सरदार की झलक
इतिहास पर आधारित टीवी शो ‘Freedom at Midnight’ और ‘Pradhanmantri’ (ABP News, 2013) में भी सरदार पटेल का किरदार देखा गया. इन शृंखलाओं में उन्हें भारत की राजनीतिक रीढ़ और निर्णायक फैसले लेने वाले नेता के रूप में प्रस्तुत किया गया.
शायद आने वाला वक्त ये काम पूरा करे. क्योंकि सरदार पटेल सिर्फ इतिहास के पन्नों का नाम नहीं, बल्कि वो इंसान हैं जिन्होंने बिखरे हुए भारत को एक मज़बूत देश बनाया. अब वक्त है कि बॉलीवुड भी उनकी इस कहानी को बड़े परदे पर उतारे.