फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने दरगाह निजामुद्दीन में मन्नत का धागा बांद कर क्या दुआ मांगी ?
मोहम्मद अकरम / नई दिल्ली
दरगाह निजामुद्दीन में अक्सर लोग मन्नत का धागा बांधकर अपने किसी खास के लिए दुआ मांगते हैं. फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रो ने दरगाह पर वही सब कुछ किया, जो हजरत निजामुद्दीन के मुरीद करते हैं.
दो दिवसीय दौरे पर भारत आए फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रो ने आखिरी दिन हैदराबाद हाउस से दिल्ली के हजरत निजामुद्दीन औलिया के दरगाह पहुंचे, जहां उन्होंने चादर चढ़ाई, मन्नत का धागा बांधा, फूल और दुआएं करने के बाद करीब एक घंटे तक कव्वाली का आनंद लिया.
इस दौरान उनके साथ विदेश मंत्री एस जयशंकर, भारत में फ्रांस के राजदूत थिएरी माथो, फ्रांस में भारत के राजदूत जावेद अशरफ, दरगाह कमिटी के अध्यक्ष फरीद निजामी, जनरल सेक्रेटरी काशिफ निजामी समेत कई सरकारी पदाधिकारी और दरगाह के मोहतमिम मौजूद रहे. उसके बाद वह फ्रांस के लिए सीधे इंदिरा गांधी एयरपोर्ट निकल गए.
इमैनुएल मैक्रों ने देश व दुनिया के लिए मांगी दुआ
पीरजादा सैयद अल्तमश निजामी ने इस बारे में बताया कि फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों करीब एक घंटे तक दरगाह में रुके. जब वह दरगाह पहुंचे तो पीरजादे और दरगाह कमेटी के जिम्मेदारों के साथ हजरत निजामुद्दीन औलिया के दरगाह पर चादर पोशी की. फिर देश व दुनिया में अमन व शांति के लिए दुआएं मांगी.
देर तक लिया कव्वाली का आनंद
उसके बाद कव्वाली के महफिल में इमैनुएल मैक्रों पहुंचे जहां उन्होंने अमीर खुसरो के कलाम का देर तक आनंद लिए. कव्वाली गुलाम रसूल कव्वाल के ग्रुप ने पेश की.
सैयद अल्तमश निजामी ने आगे बताया कि राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने दरगाह और फूल बेचने वालों से एक एक करके मुलाकात की. वह दो पर औलिया निजामुद्दीन में पहुंचे और दुआ की.
सुरक्षा व्यवस्था रही कड़ी
फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के निजामुद्दीन आगमन पर सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई थी. उनके दरगाह पर पहुंचने से पहले आम लोगों का प्रवेश बंध कर दिया गया था.
इलाके में चैकसी बढ़ा दी गई थी. फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के लौटने के बाद भी इलाके में यातायात व्यवस्था देर तक बाधित रही. उनके जाने के कुछ देर बाद ही आम जायरीन को दरगाह तक जाने दिया गया.
कौन थे हजरत निजामुद्दीन औलिया?
हजरत निजामुद्दीन औलिया का जन्म 1238 में उत्तर प्रदेश के बदायूं नामक एक छोटे से स्थान पर हुआ था. उन्होंने चिश्ती संप्रदाय का प्रचार और प्रसार करने के लिए दिल्ली की यात्रा की थी.
यहां वह ग्यारसपुर में बस गए और लोगों को प्रेम, शांति और मानवता का पाठ पढ़ाया. निजामुद्दीन औलिया ने हमेशा यह प्रचार किया कि सभी धर्मों के लोगों को अपनी जाति, पंथ या धर्म से बेपरवाह होना चाहिए. उनके जीवनकाल के दौरान हजरत नसीरुद्दीन महमूद चिराग देहलवी और अमीर खुसरो सहित कई लोग उनके अनुयायी बने.
हजरत निजामुद्दीन के वंशज करते हैं देखभाल
निजामुद्दीन औलिया की मृत्यु 3 अप्रैल, 1325 को हुई, इसके बाद तुगलक वंश के प्रसिद्ध शासक मुहम्मद बिन तुगलक ने हजरत निजामुद्दीन औलिया के दरगाह का निर्माण किया. वह हजरत निजामुद्दीन का बहुत बड़ा अनुयायी था. कई सौ सालों के बाद भी आज हजरत निजामुद्दीन के वंशज ही दरगाह की देखभाल करते हैं.
मालूम हो कि फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों भारत दो दिवसीय दौरे पर पहुंचे थे जहां 75वें गणतंत्र दिवस पर चीफ गेस्ट थे. इसके अलावा भारत और फ्रांस के बीच कई मुद्दों पर समझौते हुए हैं.