अनुच्छेद 370 हटने के बाद आई शांति को बेपटरी करने की कोशिश नहीं होगी कामयाब

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] | Date 23-04-2025
Pahalgam terror attack: An attempt to derail the peace that came after the removal of Article 370
Pahalgam terror attack: An attempt to derail the peace that came after the removal of Article 370

 

आवाज़ द वॉयस | श्रीनगर 

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम के बैसरन क्षेत्र में हुए हालिया आतंकी हमले ने एक बार फिर से यह साबित कर दिया है कि कश्मीर में लौटती शांति और बढ़ती पर्यटन गतिविधियां आतंकियों की आंखों की किरकिरी बनी हुई हैं. मंगलवार को हुए इस हमले में पर्यटकों पर अंधाधुंध गोलीबारी की गई, जिससे कई लोगों की जान चली गई और दर्जनों घायल हो गए. यह हमला ऐसे समय में हुआ है जब अमरनाथ यात्रा की तैयारियां ज़ोरों पर हैं और लाखों हिंदू श्रद्धालु घाटी की ओर रुख कर रहे हैं.

कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा हटाए जाने के बाद घाटी में सुरक्षा स्थिति में सुधार देखा गया. अमरनाथ यात्रा, वैष्णो देवी यात्रा और श्रीनगर के ट्यूलिप गार्डन जैसे धार्मिक और प्राकृतिक स्थलों पर भारी भीड़ देखी गई. ट्यूलिप गार्डन में सिर्फ मार्च 2025 में ही 1 लाख से अधिक पर्यटक आए, जो पिछले वर्षों की तुलना में रिकॉर्ड है.

स्थानीय लोग अपने घरों को गेस्टहाउस में बदल रहे हैं, होटल इंडस्ट्री फलफूल रही है और शांति की यह तस्वीर कश्मीर को प्रगति की राह पर दिखा रही थी. लेकिन यही उभार आतंकवादियों की रणनीति में बाधा बन गया, और अब उनका निशाना साफ है—घाटी में शांति बहाली को रोकना और धार्मिक पर्यटन को बाधित करना.

तीर्थयात्रियों और पर्यटकों पर हमलों की एक खौफनाक टाइमलाइन

पिछले दो दशकों में जिहादी आतंकवाद ने कश्मीर में तीर्थयात्रियों, पर्यटकों और अल्पसंख्यकों को बार-बार निशाना बनाया है:

 10 जुलाई 2017: अनंतनाग में अमरनाथ यात्रियों की बस पर हमला, 7 श्रद्धालुओं की मौत, 21 घायल (ज्यादातर गुजरात के)
 11 मई 2022: कटरा से जम्मू जा रही बस में चिपचिपे बम से हमला, 4 की मौत, 24 घायल (वैष्णो देवी यात्री)
 9 जनवरी 2024: रियासी में खोरल गुफा मंदिर पर हमला, श्रद्धालुओं की बस खाई में गिरी, 10 की मौत, 33 घायल
 21 जुलाई 2006: बालटाल से लौट रहे श्रद्धालुओं की बस पर हमला, 5 की मौत
 15 मई 2006: श्रीनगर के बाटापोरा में ग्रेनेड हमला, 4 गुजराती पर्यटकों की मौत, बच्चों समेत
 30 मार्च 2002: जम्मू के रघुनाथ मंदिर पर आत्मघाती हमला, 7 की मौत, 20 घायल
 23 मार्च 2003: पुलवामा के नंदीमार्ग गांव में 24 कश्मीरी पंडितों का नरसंहार—11 महिलाएं और 2 बच्चे शामिल
 14 फरवरी 2019: पुलवामा में सीआरपीएफ काफिले पर आत्मघाती हमला, 43 जवान शहीद
 23 जुलाई 2003: बाणगंगा में दोहरे विस्फोट, 6 श्रद्धालु मरे, 48 घायल

 हमले की रणनीति: धार्मिक ध्रुवीकरण और पर्यटन पर ब्रेक

इस तरह के हमले न सिर्फ लोगों की जान लेते हैं, बल्कि कश्मीर की छवि, अर्थव्यवस्था और सामाजिक ताने-बाने पर भी प्रहार करते हैं. पर्यटन घाटी की मुख्य आय का स्रोत है और इसी को निशाना बनाकर आतंकवादी यह संदेश देना चाहते हैं कि घाटी अब भी असुरक्षित है.

कश्मीर में इस्लामी कट्टरपंथी नेटवर्क लगातार बाहरी श्रद्धालुओं को ‘अतिक्रमणकारी’ बताकर निशाना बना रहे हैं. यह हिंसा घाटी में धार्मिक बहुलता और सह-अस्तित्व की भावना को खत्म करने की सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है..

पहलगाम हमले के बाद सेना, जम्मू-कश्मीर पुलिस और CRPF द्वारा संयुक्त तलाशी अभियान जारी है। चिनार कोर ने ट्वीट कर कहा:“निहत्थे नागरिकों पर हमला करना आतंकियों की हताशा को दर्शाता है। घाटी में बढ़ती शांति उन्हें मंजूर नहीं.”

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने श्राइन बोर्ड और सुरक्षा एजेंसियों को हाई अलर्ट पर रखा है, और अमरनाथ यात्रा को सुरक्षित कराने की व्यापक योजना बनाई जा रही है.

 क्या यह घाटी को फिर से पीछे धकेलने की कोशिश है?

जिस कश्मीर को दुनिया "धरती का स्वर्ग" कहती है, उसे बार-बार नरसंहार, बम धमाकों और गोलियों से रक्तरंजित किया गया है. परंतु हर बार घाटी के आम लोग—चाहे हिंदू हो या मुस्लिम—मानवता के साथ खड़े हुए हैं.

आज फिर ज़रूरत है कि कश्मीर की शांति में निवेश करने वाले सभी पक्ष एकजुट होकर आतंक के खिलाफ आवाज़ उठाएं. क्योंकि यह सिर्फ सुरक्षा की नहीं, संवेदनशीलता और साझा भविष्य की लड़ाई है.