आवाज़ द वॉइस/ नई दिल्ली
भारत की सेना द्वारा पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर की गई एयर स्ट्राइक न केवल रणनीतिक रूप से एक निर्णायक जवाब रही, बल्कि इसमें भारतीय महिला सैन्य अधिकारियों की उल्लेखनीय भूमिका ने नारी शक्ति की सशक्त उपस्थिति को भी स्पष्ट कर दिया.
इस सैन्य कार्रवाई को 'ऑपरेशन सिंदूर' नाम दिया गया — एक ऐसा नाम जो भारत की उन तमाम महिलाओं को समर्पित है जिनका सुहाग आतंकवाद की बर्बरता का शिकार हुआ.
भारतीय सेना की इस बहुपरती कार्रवाई में, कर्नल सोफ़िया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह की अग्रणी भूमिका एक ऐतिहासिक मिसाल बनी. ऑपरेशन के पश्चात आयोजित विशेष प्रेस ब्रीफिंग में इन दोनों अधिकारियों ने जिस सटीकता, आत्मविश्वास और सामरिक समझ के साथ पूरे अभियान का विवरण प्रस्तुत किया, वह भारतीय सशस्त्र बलों में महिलाओं की बढ़ती भूमिका और उनकी नेतृत्व क्षमता को दर्शाता है..
इस अवसर पर जामिया मिल्लिया इस्लामिया की पूर्व प्रोफ़ेसर और सामरिक मामलों की विशेषज्ञ डॉ. सैयद एम. ज़ेहरा ने 'आवाज़ द वॉइस' से विशेष बातचीत में कहा,"नारी शक्ति द्वारा यह प्रेस ब्रीफ़िंग न केवल सूचनात्मक थी, बल्कि यह दर्शाती है कि हमारी बेटियाँ अब सिर्फ सीमाओं की सुरक्षा में ही नहीं, बल्कि रणनीतिक योजना और सार्वजनिक संवाद में भी नेतृत्व कर रही हैं.
ऑपरेशन का नाम 'सिंदूर' एक बेहद मार्मिक प्रतीक है — उन वीरांगनाओं की स्मृति में जो आतंकवाद के कारण विधवा हुईं। यह एक सांस्कृतिक और भावनात्मक श्रद्धांजलि है."
डॉ. ज़ेहरा ने आगे कहा,"यह ऑपरेशन भारत की सैन्य नीति में स्पष्ट बदलाव को इंगित करता है — अब जवाब सीमित नहीं, निर्णायक होते हैं. पाकिस्तान को यह समझना होगा कि उसकी सेना का स्थान शासन में नहीं, बैरकों में है.. जब तक वहां की सैन्य सत्ता नागरिक व्यवस्था को कुचलती रहेगी, उसकी आवाम शांति नहीं देख पाएगी.
मुझे यकीन है कि पाकिस्तानी जनता इस दोहरे खेल को अब समझ रही है और बदलाव के लिए सही समय की प्रतीक्षा कर रही है."
ऑपरेशन सिंदूर: रणनीति और क्रियान्वयन
सूत्रों के अनुसार, यह ऑपरेशन गुप्त तरीके से तीन चरणों में अंजाम दिया गया. लक्ष्य था – पाकिस्तान के नियंत्रण वाले हिस्से में मौजूद नौ प्रमुख आतंकवादी लॉन्चपैड्स को पूरी तरह ध्वस्त करना. इस ऑपरेशन में अत्याधुनिक तकनीक और उच्च प्रशिक्षित स्क्वाड्रनों का उपयोग किया गया। भारत की वायुसेना के 'राफेल' जेट्स, जिनकी अगुवाई प्रसिद्ध एयर वाइस मार्शल हिलाल अहमद राठेर ने की, इस अभियान में निर्णायक रहे.
महिला नेतृत्व की नई मिसाल
कर्नल सोफिया कुरैशी, जो इससे पहले यूएन मिशन में भारत की पहली महिला बटालियन कमांडर रह चुकी हैं, ने इस ऑपरेशन की लॉजिस्टिक योजना और सामरिक निगरानी का नेतृत्व किया. वहीं विंग कमांडर व्योमिका सिंह ने वायुसेना के तकनीकी समन्वय और स्ट्राइक पैटर्न का नेतृत्व किया.
प्रेस वार्ता में उनके आत्मविश्वास ने यह संदेश साफ कर दिया कि अब भारत की सेना में महिलाएं केवल सहायक भूमिका में नहीं, बल्कि नीति निर्धारण और कार्रवाई के केन्द्र में हैं.
एक सांस्कृतिक संदेश: 'सिंदूर'
‘सिंदूर’ नाम अपने आप में एक प्रतीकात्मक विद्रोह है — उन सैकड़ों महिलाओं के नाम, जिनके पतियों को आतंक ने छीन लिया. यह नाम बताता है कि भारत की कार्रवाई अब भावनात्मक, नैतिक और रणनीतिक — तीनों स्तरों पर होती है.
भारत का यह कड़ा रुख दर्शाता है कि अब देश आतंकी हमलों के बाद केवल शोक नहीं मनाएगा, बल्कि निर्णायक प्रतिकार करेगा. भारत की सैन्य रणनीति अब केवल सीमा की रक्षा तक सीमित नहीं रही, बल्कि यह अब वैश्विक शक्ति समीकरणों में अपनी स्पष्ट उपस्थिति दर्ज करा रही है.
ऑपरेशन सिंदूर, जहां एक ओर पाकिस्तान को एक स्पष्ट चेतावनी है, वहीं यह देशवासियों के लिए एक भावनात्मक आश्वासन भी है — कि भारत अब हर मोर्चे पर तैयार है, और हर बलिदान का उत्तर देगा. और सबसे खास बात — इस अभियान ने यह भी सिद्ध कर दिया कि भारत की 'नारी शक्ति' अब निर्णायक शक्ति है.