आवाज़ द वॉयस / नई दिल्ली
22 मई 2025 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने जब मरणोपरांत कीर्ति चक्र से सम्मानित अधिकारियों की सूची पढ़ी, तो उसमें एक नाम ऐसा था जिसने न सिर्फ जम्मू-कश्मीर, बल्कि पूरे देश को भावुक कर दिया—डीएसपी हुमायूं मुज़म्मिल भट. महज 34 साल की उम्र में आतंकवादियों से लोहा लेते हुए शहीद हुए इस युवा अधिकारी की शहादत आज भी लाखों दिलों में जिंदा है.
सितंबर 2023 में दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग जिले के कोकरनाग इलाके में हुए एक बड़े आतंक विरोधी ऑपरेशन के दौरान हुमायूं भट ने सेना के दो जांबाज़ अधिकारियों — कर्नल मनप्रीत सिंह और मेजर आशीष धोंचक (19 राष्ट्रीय राइफल्स) — के साथ मिलकर मोर्चा संभाला.
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इस मुठभेड़ में तीनों अधिकारी वीरगति को प्राप्त हुए. परंतु उनकी शहादत व्यर्थ नहीं गई—सुरक्षा बलों ने ऑपरेशन के दौरान कई आतंकियों को ढेर किया और क्षेत्र को एक बड़े खतरे से बचा लिया.
पुलिस सेवा दूसरी पीढ़ी में, पर बहादुरी जन्मजात
हुमायूं भट एक ऐसे परिवार से ताल्लुक रखते हैं जहां देश सेवा परंपरा है. उनके पिता गुलाम हसन भट, कश्मीर में इंस्पेक्टर जनरल ऑफ पुलिस (IGP) के पद से सेवानिवृत्त हुए हैं. बेटे को अंतिम विदाई देते समय उनके चेहरे पर गर्व और असहनीय पीड़ा दोनों साफ झलक रहे थे. जब उन्होंने अपने बेटे की अर्थी को कंधा दिया, तो वह क्षण पूरे देश की आत्मा को झकझोर गया.
पूर्व डीजीपी शेष पॉल वैद ने कहा—"गुलाम हसन यह जानते थे कि जम्मू-कश्मीर पुलिस सेवा में कितने खतरे होते हैं, फिर भी उन्होंने अपने बेटे को देश सेवा के लिए प्रेरित किया। यह असाधारण है."
नवविवाहित जीवन की शुरुआत में आया बलिदान
हुमायूं की शादी को मुश्किल से एक वर्ष ही हुआ था. उनके पीछे उनकी पत्नी फातिमा, एक माह की नवजात बेटी, माता-पिता और एक बहन हैं.जब श्रीनगर में पुष्पांजलि समारोह के दौरान फातिमा फूट-फूटकर रो पड़ीं, तो वहां मौजूद हर आंख नम हो गई। उनके दुख ने पूरे देश को रुला दिया.
हुमायूं ने 2018 में सिविल सेवा परीक्षा पास की और पुलिस सेवा जॉइन की. इससे पहले उन्होंने समाज कल्याण विभाग में थोड़े समय तक सेवा दी थी। वे न केवल एक जिम्मेदार अधिकारी थे, बल्कि एक संवेदनशील और जनता से जुड़े व्यक्ति भी थे.
उनके करीबी मित्र और अधिवक्ता शेख आमिर बताते हैं—"जब वह सिविल सेवा की तैयारी कर रहे थे, तब वे अकसर हमारे नौगाम स्थित घर आया करते थे. उनके पिता उन्हें हमसे मार्गदर्शन लेने भेजते थे। जब उन्होंने परीक्षा पास की और पुलिस सेवा में आए, तो मुझे गर्व हुआ कि मैं उनका मार्गदर्शक था."
हुमायूं का अंतिम संस्कार बडगाम जिले के हुमहामा स्थित उनके आवास पर हुआ. हजारों लोगों ने नम आंखों से उन्हें अंतिम विदाई दी थी. डीजीपी दिलबाग सिंह और कश्मीर के एडीजीपी विजय कुमार स्वयं उपस्थित रहे. यह नजारा केवल एक शहीद अधिकारी की विदाई नहीं थी—यह एक बेटे, पति, पिता और आदर्श नागरिक की अंतिम विदाई थी.
पति की मौत की खबर सुनकर बिलख उठी थी पत्नी
कीर्ति चक्र से नवाज़ा गया, पर असली सम्मान लोगों के दिलों में
हुमायूं भट को मरणोपरांत भारत का दूसरा सबसे बड़ा शांति कालीन वीरता पुरस्कार 'कीर्ति चक्र' दिया गया. यह सम्मान न केवल उनकी वीरता का प्रतीक है, बल्कि उन सभी युवाओं के लिए प्रेरणा है जो देश सेवा का सपना देखते हैं.
राष्ट्रपति भवन द्वारा जारी पोस्ट में उनकी शहादत को "extraordinary courage and supreme sacrifice" बताया गया है. जम्मू-कश्मीर पुलिस के इतिहास में उनका नाम सुनहरे अक्षरों में लिखा जाएगा.
हुमायूं मुज़म्मिल भट अब भले ही हमारे बीच नहीं हैं, पर उनका जीवन, उनकी बहादुरी और उनकी कुर्बानी आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी.एक अधिकारी, एक बेटा, एक पति, एक पिता… और सबसे बढ़कर एक सच्चा देशभक्त.
जय हिंद!