आवाज़ द वॉयस, नई दिल्ली से विशेष रिपोर्ट
जम्मू-कश्मीर के अखनूर और सांबा सेक्टर में हुए ऑपरेशन सिंदूर ने जहां भारत की सैन्य ताकत को फिर से परिभाषित किया, वहीं इस ऐतिहासिक अभियान में महिला सैनिकों की वीरता और निर्णायक भागीदारी ने देशवासियों के हृदय में गर्व और श्रद्धा का संचार कर दिया है. अब तक कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्यूमिका सिंह जैसे नाम भारतीय सैन्य इतिहास में प्रेरणा का स्रोत रहे हैं, लेकिन अब सीमा सुरक्षा बल (BSF) की "साइलेंट वॉरियर" महिला सैनिकों की नई टोली सामने आई है, जिन्होंने मोर्चे पर दुश्मन के दांत खट्टे कर दिए.
22 अप्रैल को कश्मीर के पहलगाम में हुए आत्मघाती आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया. इस हमले में 26 निर्दोष नागरिकों की जान गई, जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे.
इसके बाद भारत ने जवाबी कार्रवाई के लिए 'ऑपरेशन सिंदूर' की रूपरेखा तैयार की. 8 मई से शुरू हुए इस अभियान का उद्देश्य था—सीमा पार से आतंकियों की घुसपैठ को रोकना, लॉन्चिंग पैड्स को तबाह करना, और पाकिस्तान के आतंकी नेटवर्क को निर्णायक झटका देना.
महिला सैनिकों की अप्रत्याशित भागीदारी
BSF के डिप्टी इंस्पेक्टर जनरल वरिंदर दत्ता ने एक प्रेस ब्रीफिंग में बताया कि ऑपरेशन सिंदूर की शुरुआत होते ही पाकिस्तान की ओर से सीज़फायर उल्लंघन की आड़ में आतंकियों को घुसपैठ के लिए रवाना किया गया. लेकिन भारतीय जवान पहले से तैयार थे.
उन्होंने कहा:"जैसे ही दुश्मन ने गोलाबारी शुरू की, हमारे सैनिकों ने ताबड़तोड़ जवाबी कार्रवाई करते हुए दुश्मन की आठ अग्रिम चौकियों को ध्वस्त कर दिया. खास बात यह रही कि इस पूरी कार्रवाई में हमारी महिला सैनिक न केवल शामिल थीं, बल्कि एक महिला कंपनी कमांडर ने व्यक्तिगत नेतृत्व करते हुए दुश्मन की एक चौकी को पूरी तरह तबाह कर दिया."
“वूमन ट्रूपर” नहीं, “कॉम्बैट सोल्जर” हैं ये महिलाएं
सांबा सेक्टर में तैनात एक वरिष्ठ BSF अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा:"अब वक्त आ गया है कि हम 'वूमन ट्रूपर' जैसे शब्दों को छोड़ दें. ये महिलाएं अब सच्चे अर्थों में 'कॉम्बैट सोल्जर' हैं, जो पुरुषों के बराबर खड़ी हैं. उन्हें पीछे हटने का विकल्प दिया गया था, लेकिन उन्होंने फॉरवर्ड पोस्ट पर ही डटे रहने का फैसला किया."
घुसपैठ की बड़ी साजिश नाकाम, पाकिस्तान को करारा जवाब
8 मई की रात, जब पाकिस्तान की ओर से 45 से 50 आतंकियों की घुसपैठ की कोशिश की गई, तब BSF ने रात्रि गश्त तेज कर दी थी। मोर्टार और हैवी मशीन गन से जबरदस्त जवाब दिया गया. DIG एसएस मंड के अनुसार, दुश्मन के चार लॉन्चिंग पैड्स, दो ड्रोन कमांड स्टेशन और एक निगरानी टावर को पूरी तरह नष्ट कर दिया गया.
एक महिला कमांडर का साहसिक नेतृत्व
ऑपरेशन में शामिल एक महिला कंपनी कमांडर, जिनकी पहचान गोपनीय रखी गई है, ने न केवल स्थिति का नेतृत्व किया, बल्कि आक्रामक कार्रवाई के दौरान सामने रहकर अपनी टीम को प्रोत्साहित किया. उनकी एक रणनीतिक चाल से दुश्मन की चौकी 20 मिनट में ध्वस्त कर दी गई. वरिष्ठ अधिकारियों ने इसे "टेक्टिकल मास्टरस्ट्रोक" बताया है.
इस ऑपरेशन के बाद अब तक चली आ रही मान्यताओं को चुनौती मिली है। जनरल (रिटायर्ड) वीके सिंह ने एक मीडिया बयान में कहा:"ऑपरेशन सिंदूर महिला सैन्य भागीदारी का टर्निंग पॉइंट साबित होगा. अब उन्हें सिर्फ परेड या मेडिकल यूनिट में नहीं, बल्कि मुख्य युद्धभूमि पर भी निर्णायक भूमिका के लिए देखा जाएगा."
सरकार का समर्थन और अगली रणनीति
भारत सरकार ने ऑपरेशन सिंदूर में शामिल महिला और पुरुष सैनिकों को सम्मानित करने की घोषणा की है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा:"हमारी बेटियां अब सीमा की पहली पंक्ति में खड़ी हैं. ऑपरेशन सिंदूर की सफलता ने भारतीय सेना की नई तस्वीर पेश की है—जहां साहस का कोई लिंग नहीं होता."
ऑपरेशन सिंदूर अब सिर्फ एक सैन्य कार्रवाई नहीं रहा, यह एक सामाजिक और मनोवैज्ञानिक क्रांति का प्रतीक बन गया है. यह उस दौर की शुरुआत है जहां महिला सैनिकों को नायकत्व की भूमिका में देखा जाएगा, सिर्फ सहायक भूमिका में नहीं.
अखनूर से लेकर सांबा तक, और दिल्ली से लेकर देश के हर कोने तक, महिला सैनिकों की यह भूमिका देश के भविष्य के सैन्य नेतृत्व की दिशा तय करेगी.