आतिर खान
हमारी तेज़ रफ्तार ज़िंदगी के बीच कुछ ऐसे असाधारण लोग हैं जो धीमी, स्थिर और लगातार कोशिशों में विश्वास करते हैं ताकि समाज में सार्थक बदलाव लाया जा सके.ये लोग चेंजमेकर्स कहलाते हैं — ऐसे लोग जो चुपचाप समाज को बेहतर बनाने के लिए समर्पित रहते हैं, तमाम चकाचौंध और शोर से दूर.
ये न तो शोहरत की तलाश में रहते हैं और न ही किसी पहचान की उम्मीद करते हैं.इनका ध्यान केवल अपने समुदाय में सकारात्मक बदलाव लाने पर केंद्रित होता है.अक्सर अनसुने रह जाने वाले ये चेंजमेकर्स अपने कार्यों, मूल्यों और एक बेहतर दुनिया के सपने के माध्यम से दूसरों को प्रभावित करते हैं.
Awaz–The Voice को गर्व है कि वह इस रविवार से एक विशेष श्रृंखला की शुरुआत कर रहा है, जिसमें पूरे भारत से भारतीय मुस्लिम चेंजमेकर्स की प्रेरणादायक कहानियों को उजागर किया जाएगा.इन कहानियों के माध्यम से हमारा उद्देश्य उन व्यक्तियों पर प्रकाश डालना है जिनका कार्य करुणा, समर्पण और नवाचार का प्रतीक है.
हमारी संपादकीय टीम ने इन चेंजमेकर्स का चयन कई मानदंडों के आधार पर सावधानीपूर्वक किया है—जैसे कि उनके प्रयासों की प्रामाणिकता और समाज पर पड़ा उनका ठोस प्रभाव.
ये आम लोग हैं जो सीमित संसाधनों के बावजूद शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, स्वच्छता तक पहुंच बेहतर बना रहे हैं, महिलाओं को सशक्त बना रहे हैं, पर्यावरण की रक्षा कर रहे हैं और अपने समुदायों को ऊपर उठा रहे हैं—बिना किसी पुरस्कार या मान्यता की अपेक्षा के.उनके लिए अच्छा काम करने की संतुष्टि ही सबसे बड़ा इनाम है.
भले ही उनके कदम छोटे लगें, लेकिन उनका प्रभाव गहरा है.जैसा कि कहा जाता है, “हर बूंद से सागर बनता है.” हर एक चेंजमेकर प्रगति की उस लहर का हिस्सा है जो चुपचाप भारत को बदल रहा है.
हमारे लिए चेंजमेकर वही है जो मौलिक समाधानों, नेतृत्व क्षमता और जीवन तथा व्यवस्था को बेहतर बनाने की प्रतिबद्धता के साथ दुनिया में सकारात्मकता लाता है—या दूसरों को चेंजमेकर बनने के लिए प्रेरित करता है.
इस समय में, जब अक्सर तेज़ आवाज़ों और बाहरी सफलता का जश्न मनाया जाता है, हम मानते हैं कि ज़रूरी है उन लोगों को भी सराहा जाए जो मानवता के उच्च आदर्शों को जिए जा रहे हैं.ये चेंजमेकर्स हमें हमारे सामाजिक और मानवीय कर्तव्यों की याद दिलाते हैं.
हम अपनी श्रृंखला की शुरुआत उत्तर प्रदेश के चेंजमेकर्स से कर रहे हैं:
कैप्टन सारिया अब्बासी: बचपन से भारतीय सशस्त्र बलों में शामिल होने का सपना देखने वाली सारिया ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई के बाद कई नौकरियों के प्रस्ताव ठुकरा दिए और सेना जॉइन की.उन्होंने अक्टूबर 2021में इंडो-चीन बॉर्डर के तवांग पोस्ट पर कठिन मिशन में सेवा दी और आज देश सेवा की चाह रखने वाली मुस्लिम महिलाओं के लिए प्रेरणा हैं.
रुबीना राशिद अली: अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी परिसर में रहने वाली रुबीना ने एप्लीक कढ़ाई से जीविकोपार्जन करने वाली गरीब महिलाओं के लिए आवाज़ उठाई है, ताकि उन्हें उनकी मेहनत का उचित पारिश्रमिक मिल सके.
डॉ. फरहा उस्मानी: अलीगढ़ की रहने वाली डॉक्टर फरहा 2007में संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (UNFPA) में कार्य करने के लिए अमेरिका गईं.परिवार को पीछे छोड़ना उनके लिए कठिन था, लेकिन आज वे UNFPA में डायरेक्टर पद तक पहुंचने वाली इकलौती मुस्लिम महिला हैं.वे SAFAR संस्था की उपाध्यक्ष भी हैं, जो भारत में अल्पसंख्यक और वंचित वर्ग की महिलाओं और लड़कियों के अधिकारों और समग्र विकास के लिए काम करती है.
बब्बन मियां: बुलंदशहर के व्यापारी बब्बन मियां एक बड़ी गौशाला चला रहे हैं, जहां सैकड़ों गायों की सेवा की जाती है.यह कार्य उन्होंने अपनी स्वर्गीय मां की पशुप्रेम की प्रेरणा से शुरू किया और यह न केवल धार्मिक सौहार्द को बढ़ावा देता है,बल्कि मुस्लिम समुदाय को पशुसेवा के नए दृष्टिकोण से जोड़ता है.
इन चेंजमेकर्स की कहानियां आपको भारतीय लोककथाओं और क्षेत्रीय साहित्य के उन किरदारों की याद दिलाएंगी, जिन्हें भारतीय सभ्यता की करुणा और निःस्वार्थ सेवा की भावना ने गढ़ा है.हम आशा करते हैं कि इन कहानियों के माध्यम से हम अपने पाठकों को प्रेरित करेंगे और उन गुमनाम नायकों का सम्मान करेंगे जो एक बेहतर, समावेशी भारत के निर्माण में जुटे हैं.
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प्रधान संपादक
आवाद द वाॅयस