मोहम्मद फरहान इसराइली / जयपुर
पेरिस की धरती पर जब राजस्थानी सुरों की महक बिखरी और 'पधारो म्हारे देस' की आत्मीय गूंज फिजाओं में गूंजने लगी, तो वहां मौजूद हजारों दर्शकों की आंखों में भारत की मिट्टी बस गई. मौका था यूरोप के सबसे बड़े होली महोत्सव का, और प्रस्तुति थी राजस्थानी लोकसंगीत की विश्वप्रसिद्ध साधिका पद्मश्री बेगम बतूल की. यह भव्य आयोजन 20 मई को पेरिस के ग्रांड हॉल में हुआ, जहां 32,000 से अधिक दर्शकों ने भारत की सांस्कृतिक समृद्धि का जीवंत अनुभव किया.
बेगम बतूल ने अपनी प्रस्तुति की शुरुआत गणेश वंदना से की, जिससे पूरे माहौल में आध्यात्मिक ऊर्जा व्याप्त हो गई. इसके बाद जब उन्होंने अपनी मखमली आवाज़ में मांड शैली की अमर रचना ‘केसरिया बालम, पधारो म्हारे देस’ गाई, तो दर्शकों ने खड़े होकर तालियों से स्वागत किया.
उनके साथ समूह ‘बसंत’ के कलाकार – मनवर, फरहान, रोबिन, रमीज, लूमनाथ और साहिल – ने संगत कर प्रस्तुति को भावपूर्ण बना दिया.
भक्ति और लोक का संगम बना मंच
कार्यक्रम के दौरान बेगम बतूल ने श्रीराम और सालासर बालाजी के भजनों की भी प्रस्तुति दी, जिनमें हारमोनियम पर अनवर हुसैन और तबले पर साहिल बागड़ा की संगत ने भक्तिमय वातावरण रच दिया. लोक और भक्ति का यह संगम फ्रांस की धरती पर भारतीय आत्मा की उपस्थिति का प्रतीक बन गया.
यह आयोजन ग्लोबल इंडियन ऑर्गनाइजेशन और लुई वित्तों फाउंडेशन के सहयोग से आयोजित हुआ, जिसमें भारत के राजदूत संजीव सिंगला ने भी विशेष रूप से शिरकत की. कार्यक्रम का निर्देशन अनवर हुसैन ने किया, जिन्होंने 300 से अधिक कलाकारों के साथ इस आयोजन को यादगार बना दिया.
28 अप्रैल 2025 को राष्ट्रपति द्वारा पद्मश्री से सम्मानित होने के बाद बेगम बतूल ने अपने समूह ‘बसंत’ के साथ तीन महीने के यूरोपीय सांस्कृतिक दौरे की शुरुआत की. इस दौरे में वे फ्रांस, हॉलैंड, स्विट्जरलैंड, इटली, स्पेन और जर्मनी में भारतीय लोकसंगीत और भजनों की प्रस्तुतियां दे रही हैं. यह यात्रा केवल संगीत नहीं, बल्कि भारत की विविधता और अध्यात्म का दूत बन चुकी है.
केराप से पेरिस तक: एक प्रेरणादायक यात्रा
नागौर के केराप गांव में जन्मी बेगम बतूल ने किसी औपचारिक शिक्षा के बिना सिर्फ रियाज़ के बल पर गायन साधा. उन्होंने मांड गायिकी को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई है. अब तक 25 से अधिक देशों में प्रस्तुति दे चुकी हैं, जिनमें ऑस्ट्रेलिया, बेल्जियम, मोनाको, ट्यूनीशिया प्रमुख हैं.
पेरिस में भव्य स्वागत समारोह
इस अवसर पर जैन इंटरनेशनल ट्रेड ऑर्गनाइजेशन (JITO) फ्रांस के अध्यक्ष ललित भंडारी और प्रवीणा भंडारी के पेरिस स्थित आवास पर बेगम बतूल के सम्मान में एक विशेष स्वागत समारोह आयोजित किया गया.
इसमें राजस्थान एसोसिएशन फ्रांस के अध्यक्ष अनवर हुसैन और डॉ. रेखा भंडारी भी उपस्थित रहे. बेगम बतूल ने यहां भी राम भजनों की मधुर प्रस्तुति दी, जिसने सभी अतिथियों को भावविभोर कर दिया.
सम्मान और उपलब्धियों की लंबी सूची
बेगम बतूल को मिले सम्मान उनकी साधना और समर्पण की गवाही देते हैं:
2022: तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा नारी शक्ति पुरस्कार
2023: राजस्थान गौरव सम्मान
2024: फ्रांस सीनेट भारत गौरव सम्मान और ऑस्ट्रेलिया संसद सांस्कृतिक सम्मान
2021: GOPIO अचीवर्स अवार्ड
वे वर्ष 2017 से लगातार हर वर्ष पेरिस होली महोत्सव की मुख्य प्रस्तुतकर्ता रही हैं, जिसमें 35,000 से अधिक दर्शक भाग लेते हैं. आज 70 वर्ष की उम्र में भी वे बिना रुके लोकभक्ति का स्वर गा रही हैं – जहां धर्म और जाति की सीमाएं खत्म होती हैं और केवल सुरों की साधना बचती है.
बेगम बतूल न केवल एक गायिका हैं, बल्कि वे धर्मनिरपेक्षता, कला और भारतीय परंपरा की जीवंत मिसाल हैं. उनके गीतों में लोक की आत्मा बसती है, और भजनों में आध्यात्मिक ऊर्जा। पेरिस में हुआ यह आयोजन भारत की सांस्कृतिक कूटनीति का उदाहरण बन गया है, जहां एक कलाकार ने सुरों से देशों के बीच पुल बांध दिए.
बेगम बतूल जैसी कलाकारों की साधना को सम्मानित करना केवल एक व्यक्ति को नहीं, बल्कि उस पूरी परंपरा को मान देना है, जो पीढ़ियों से लोकसंगीत और भक्ति का दीप जलाए हुए है.