ट्रिपल तालक, अयोध्या-बाबरी मस्जिद विवाद जैसे सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हिस्सा रहे न्यायाधीश अब्दुल नजीर आंध्र प्रदेश के राज्यपाल बने
मलिक असगर हाशमी /नई दिल्ली
देश को नई दिशा देने वाले ट्रिपल तालक, अयोध्या-बाबरी मस्जिद विवाद, विमुद्रीकरण और निजता के अधिकार जैसे मामले में सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट का हिस्सा रहे सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति सैयद अब्दुल नजीर आंध प्रदेश के राज्यपाल नियुक्त किए गए हैं.
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने रविवार को सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति अब्दुल नजीर को आंध्र प्रदेश के तीसरे राज्यपाल के रूप में नियुक्त करने की अधिसूचना जारी की.सैयद अब्दुल नजीर भारत के सर्वोच्च न्यायालय से 4 जनवरी, 2023 को सेवानिवृत्त हुए हैं. न्यायमूर्ति नजीर बिस्वा भूषण हरिचंदन की जगह लेंगे, जिन्हें छत्तीसगढ़ के राज्यपाल के रूप में स्थानांतरित किया गया है.
जस्टिस नजीर ट्रिपल तालक मामले, अयोध्या-बाबरी मस्जिद विवाद मामले, विमुद्रीकरण मामले और निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार मानने वाले फैसले सहित कई ऐतिहासिक फैसलों का हिस्सा रहे हैं.इस साल 4 जनवरी को सेवानिवृत्त हुए सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस अब्दुल नजीर ने अपने विदाई समारोह में कहा कि न्यायपालिका में महिलाओं का प्रतिनिधित्व अभी भी बहुत कम है.
जस्टिस अब्दुल नजीर ने कहा कि हमेशा सुधार और बदलाव की गुंजाइश रहती है.अगर मैं कहूं कि भारतीय न्यायपालिका लैंगिक असमानताओं से मुक्त है, तो मैं वास्तविकता से और दूर नहीं हो सकता. न्यायपालिका में महिलाओं का प्रतिनिधित्व अभी भी बहुत कम है.
सुप्रीम कोर्ट जज जस्टिस अब्दुल नजीर ने कोफी अन्नान के शब्दों को उद्धृत करते हुए कहते हैं कि महिलाओं के सशक्तिकरण से ज्यादा प्रभावी विकास का कोई साधन नहीं है.अपने विदाई समारोह के दौरान, सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष विकास सिंह ने याद किया कि न्यायमूर्ति अब्दुल नजीर अयोध्या भूमि विवाद मामले का हिस्सा थे.
उन्होंने कहा कि विवादास्पद अयोध्या भूमि विवाद का फैसला करने वाली संविधान पीठ में एकमात्र मुस्लिम न्यायाधीश होने के नाते न्यायमूर्ति अब्दुल नजीर ने सर्वसम्मत फैसला सुनाया, जिसने धर्मनिरपेक्षता के प्रति उनकी प्रतिबद्धता और न्यायिक संस्था की सेवा करने की उनकी इच्छा को प्रदर्शित किया.
न्यायमूर्ति नजीर ने अपने जवाब में कहा था कि सर्वोच्च न्यायालय ने हमेशा उत्कृष्टता के लिए प्रयास किया है, जिसे उन्होंने स्वीकार भी किया. उन्होंने यह भी व्यक्त किया कि भारत के वर्तमान मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ के मार्गदर्शन में शीर्ष संस्था इस गतिशील समाज की चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार है.
कौन हैं सैयद अब्दुल नजीर ?
न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) सैय्यद अब्दुल नजीर का जन्म 5 जनवरी 1958 को मूडबिद्री, कर्नाटक के पास बेलुवई में हुआ था. वह कर्नाटक उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश भी हैं.अब्दुल नजीर जन्मस्थल कनारा क्षेत्र तटीय कर्नाटक का हिस्सा है.
उनके पिता फकीर के नाम से जाने जाते हैं. वे पांच भाई-बहन हैं. उन्हांेने महावीरा कॉलेज, मूडबिद्री से बीकॉम किया है. बाद में एसडीएम लॉ कॉलेज, कोडियलबेल, मंगलुरु से कानून की डिग्री प्राप्त की. कानून की डिग्री लेने के बाद, नजीर ने 1983 में एक वकील के रूप में बेंगलुरु कर्नाटक उच्च न्यायालय में अभ्यास किया.
मई 2003 में, उन्हें कर्नाटक उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया. बाद में उन्हें उसी उच्च न्यायालय का स्थायी न्यायाधीश नियुक्त किया गया. फरवरी 2017 में, कर्नाटक उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में कार्य करते हुए, नजीर सर्वोच्च न्यायालय में पदोन्नत किए गए.
उन्होंने 2017 में विवादास्पद तीन तलाक मामले की सुनवाई की थी. हालांकि नजीर और एक अन्य जज ने ट्रिपल तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) की प्रथा की वैधता को इस तथ्य के आधार पर बरकरार रखा कि मुस्लिम शरिया कानून के तहत इसकी अनुमति है, इसे बेंच ने 3ः2 बहुमत से रोक दिया था और केंद्र सरकार से पूछा था.
सरकार मुस्लिम समुदाय में विवाह और तलाक को नियंत्रित करने के लिए छह महीने में कानून लाएगी. अदालत ने कहा कि जब तक सरकार तीन तलाक के संबंध में कानून नहीं बनाती, तब तक पति द्वारा अपनी पत्नियों को तीन तलाक कहने पर निषेधाज्ञा होगी.
वह अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के 2019 के ऐतिहासिक फैसले की 5 जजों की बेंच का भी हिस्सा थे. जिसमें उन्होंने एएसआई की उस रिपोर्ट को सही ठहराया था, जिसमें विवादित क्षेत्र में हिंदू ढांचे के होने की बात कही गई थी. उन्होंने राम मंदिर के पक्ष में फैसला सुनाया और इस तरह आखिरकार 5-0 के फैसले के साथ वर्षों से चले आ रहे विवाद को समाप्त कर दिया गया.
अपनी सेवानिवृत्ति से पहले के महीनों में, नजीर ने एक संविधान पीठ का नेतृत्व किया, जिसने 2016 में भारत सरकार द्वारा किए गए भारतीय बैंक नोट विमुद्रीकरण से संबंधित मामलों की सुनवाई की. वह 4 जनवरी 2023 को सेवानिवृत्त हुए.