सिनेमा से साधना तक: जब 'गोल्डन बॉय' संजय खान बने हनुमान भक्त

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 19-07-2025
From cinema to sadhna: When 'Golden Boy' Sanjay Khan became a Hanuman devotee
From cinema to sadhna: When 'Golden Boy' Sanjay Khan became a Hanuman devotee

 

अमीना माजिद

बॉलीवुड की चकाचौंध भरी दुनिया में कई सितारे आते हैं और कहीं खो जाते हैं.लेकिन कुछ ऐसे भी होते हैं जो भले ही परदे से दूर हो जाएं, फिर भी ज़िंदगी में रोशनी की मिसाल बनकर जीते हैं.संजय खान उन्हीं नामों में से एक हैं—एक्टर, डायरेक्टर, बिजनेसमैन और सबसे बढ़कर, भगवान हनुमान के अनन्य भक्त.

शाह अब्बास अली खान नाम से बेंगलुरु के एक मुस्लिम परिवार में जन्मे संजय खान की परवरिश एक बेहद दिलचस्प संस्कृति में हुई.पिता अफगानी मूल के बिजनेसमैन, मां पारसी और घर का माहौल बहुसांस्कृतिक.बड़े भाई फिरोज खान पहले ही फिल्म इंडस्ट्री में बड़ा नाम बन चुके थे.

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संजय ने भी जल्द ही अपने अभिनय से पहचान बना ली.1964की फिल्म ‘हकीकत’ से डेब्यू किया.'दोस्ती', 'अब्दुल्ला', 'एक फूल दो माली' जैसी हिट फिल्मों से 60से 80के दशक में ‘गोल्डन बॉय ऑफ बॉलीवुड’ बन गए.

लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं होती.एक वक्त आया जब संजय खान ने अपनी ज़िंदगी के सबसे कठिन दौर का सामना किया.13महीने तक अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच जूझते रहे.यह वही वक्त था, जब जयपुर के पास समोद पैलेस के एक छोटे से हनुमान मंदिर में एक पुजारी ने उनके लिए हनुमान जी से प्रार्थना की.

यह सिर्फ एक धार्मिक पल नहीं था.यह एक आध्यात्मिक परिवर्तन था.अस्पताल से ठीक होने के बाद संजय खुद उस मंदिर में गए, और हनुमान जी के बारे में जाना.यह अनुभव उनके भीतर भक्ति की ऐसी लौ जगा गया, जिसने आगे चलकर उन्हें 'जय हनुमान' जैसे धार्मिक टीवी शो के निर्माण तक पहुंचा दिया.

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टीवी पर 'जय हनुमान' ना केवल एक लोकप्रिय धारावाहिक बना, बल्कि यह शो लाखों दर्शकों को हनुमान जी की भक्ति से जोड़ने का माध्यम भी बना.यह शो साबित करता है कि संजय खान के लिए हनुमान जी सिर्फ एक पौराणिक किरदार नहीं, बल्कि जीवन के संरक्षक और प्रेरणा स्रोत हैं.

जहां एक ओर उन्होंने बड़े पर्दे पर सितारों के बीच चमक बिखेरी, वहीं दूसरी ओर उन्होंने टीवी पर ऐतिहासिक शो ‘द स्वॉर्ड ऑफ टीपू सुल्तान’ के जरिए भी अपनी छवि को मजबूत किया.फिल्मों से दूरी बनाने के बाद भी उनका करियर एक अलग रफ्तार से दौड़ता रहा.

संजय खान ने बिजनेस की दुनिया में भी नाम कमाया.'Golden Palms Hotel & Spa' जैसे पांच सितारा प्रोजेक्ट से लेकर एस्सके प्रॉपर्टीज तक, उन्होंने अपनी आर्थिक स्थिति को न सिर्फ बनाए रखा, बल्कि उसे और बढ़ाया भी.10,000करोड़ के थीम पार्क प्रोजेक्ट, चावल एक्सपोर्ट बिजनेस और दो किताबों—‘द बेस्ट मिस्टेक्स ऑफ माई लाइफ’ और ‘अस्सलामुअलैकुम वतन’—ने उनके व्यक्तित्व को बहुआयामी बना दिया.

लेकिन उनके इस विशाल जीवन के केंद्र में जो चीज़ सबसे स्थिर रही, वह थी—हनुमान भक्ति.यही आस्था उन्हें विपरीत परिस्थितियों में भी हिम्मत देती रही, और यही कारण रहा कि उन्होंने अपनी कला और साधना को एक साथ साधा.

संजय खान की ज़िंदगी इस बात की मिसाल है कि जिन्हें सच्चे दिल से कोई आराध्य स्वीकार हो, वे कभी गुमनाम नहीं होते.परदे से दूर होकर भी वो आज एक भक्ति, बिजनेस और बॉलीवुड—तीनों में नाम बना चुके हैं.और जब भी उनका नाम लिया जाता है, ‘गोल्डन बॉय’ कहने से पहले आज एक और शब्द जुड़ जाता है—हनुमान भक्त संजय खान.