गुलाम क़ादिर/ नागपुर
देश में लागू होने जा रहे नए वक्फ संशोधन कानून 2025 को लेकर मुस्लिम समाज, धार्मिक ट्रस्ट और इस्लामिक संस्थान पूरी तरह से सक्रिय हो गए हैं.मस्जिद, मदरसा, कब्रिस्तान, खानकाह, दरगाह, ईदगाह और आशूरा खाना जैसे धार्मिक स्थलों के प्रबंधन से जुड़े लोगों में इस बात की चिंता है कि यदि समय पर कानूनी औपचारिकताएँ पूरी नहीं की गईं, तो कहीं ये पवित्र स्थान कानूनी उलझनों में न फंस जाएँ.इसी को ध्यान में रखते हुए देशभर में वक्फ संपत्तियों के पंजीकरण को लेकर एक राष्ट्रव्यापी जागरूकता अभियान शुरू किया गया है.
महाराष्ट्र में इस मुहिम की कमान राज्य वक्फ बोर्ड ने संभाल रखी है.वक्फ बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) अब्दुल रऊफ शेख के नेतृत्व में लगातार बैठकों, चर्चाओं और जनसंपर्क कार्यक्रमों का सिलसिला जारी है.
सोशल मीडिया, व्हाट्सएप ग्रुप्स और स्थानीय धार्मिक संगठनों के माध्यम से सभी मस्जिदों, मदरसों और धार्मिक ट्रस्टों को यह संदेश दिया जा रहा है कि वे समय रहते अपने संस्थान का पंजीकरण पूरा कर लें.
वक्फ बोर्ड की ओर से जारी एक अपील में कहा गया है,“क्या आपके मोहल्ले की मस्जिद, मदरसा, कब्रिस्तान, खानकाह, दरगाह, ईदगाह या आशूरा खाना वक्फ बोर्ड में 8 अप्रैल 2025से पहले रजिस्टर्ड है?
अगर हाँ, तो अब आपकी जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है.” दरअसल, नए वक्फ अमेंडमेंट एक्ट 2025के तहत जो भी वक्फ संस्थाएँ पहले से रजिस्टर्ड हैं, उन्हें अपने वक्फ की पूरी जानकारी वक्फ सेंट्रल पोर्टल ‘उम्मीद’ (Umeed Portal) पर 5दिसंबर 2025से पहले अपलोड करनी होगी.
यह कदम पूरी प्रक्रिया में पारदर्शिता और जवाबदेही लाने के लिए जरूरी माना जा रहा है.अगर निर्धारित समयसीमा में वक्फ की जानकारी अपलोड नहीं की गई, तो संबंधित संस्था पर छह महीने तक की सजा या ₹20,000से ₹1,00,000तक का जुर्माना लगाया जा सकता है.वक्फ बोर्ड ने साफ तौर पर कहा है कि यह प्रक्रिया केवल कानूनी औपचारिकता नहीं, बल्कि धार्मिक और सामाजिक जिम्मेदारी भी है.
रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया सरल लेकिन अनिवार्य
वक्फ बोर्ड ने सभी ट्रस्टियों और मुतवल्लियों को निर्देश दिया है कि वे सबसे पहले उम्मीद पोर्टल पर जाकर अपने मोबाइल नंबर से यूज़र के रूप में रजिस्टर करें.यह यूज़र संस्था का मुतवल्ली या मैनेजमेंट कमेटी का कोई सदस्य हो सकता है.इसके बाद वक्फ की संपत्तियों, लैंड रिकॉर्ड, किरायेदारों, अतिक्रमण, और कोर्ट केस से संबंधित सभी जानकारी पोर्टल पर अपलोड करनी होगी.
इसके लिए कुछ दस्तावेज़ तैयार रखना आवश्यक हैं
रजिस्ट्रेशन करने वाले व्यक्ति का आधार कार्ड, पैन कार्ड, पता प्रमाण, फोटो, ईमेल और मोबाइल नंबर, मुतवल्ली का नाम व पता, वक्फ बोर्ड का रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट, शेड्यूल की कॉपी, प्रॉपर्टी डिटेल्स, फोटो, वक्फनामा (यदि मौजूद हो), या रजिस्ट्री और 7/12 प्रॉपर्टी कार्ड.इसके अलावा ऑडिट रिपोर्ट, किरायेदारों की जानकारी, अतिक्रमणकर्ताओं का ब्यौरा, कोर्ट केसों का विवरण और रेवेन्यू रिकॉर्ड में म्यूटेशन का डिटेल भी जरूरी है.
इन सभी दस्तावेज़ों को डिजिटल प्रारूप में स्कैन करके पोर्टल पर अपलोड करना होगा.प्रक्रिया पूरी होने के बाद संस्था को एक यूनिक आईडी जारी की जाएगी, जो भविष्य में उसकी पहचान और स्वामित्व का प्रमाण बनेगी.
नागपुर बना अभियान का केंद्र
महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र की राजधानी नागपुर इस जनजागरण अभियान का प्रमुख केंद्र बना हुआ है.हाल ही में यहाँ वक्फ बोर्ड की कई अहम बैठकें हुईं, जिनमें मुतवल्ली, ट्रस्टी और प्रबंधन समितियों के सदस्य बड़ी संख्या में शामिल हुए.इन बैठकों में वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा, रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया और कानूनी दायित्वों की विस्तार से जानकारी दी गई.
अब्दुल रऊफ शेख ने बताया कि बोर्ड की प्राथमिकता हर वक्फ संपत्ति का डिजिटल रिकॉर्ड तैयार करना है ताकि आने वाली पीढ़ियों को किसी विवाद का सामना न करना पड़े.
उन्होंने कहा, “वक्फ संपत्तियाँ मुसलमानों की अमानत हैं.इन्हें सुरक्षित रखना हमारी धार्मिक और सामाजिक जिम्मेदारी है.उम्मीद पोर्टल इस पारदर्शिता की दिशा में बड़ा कदम है.”
उन्होंने यह भी कहा कि महाराष्ट्र वक्फ बोर्ड ने हर जिले में नोडल अधिकारी नियुक्त किए हैं, जो ट्रस्टियों को तकनीकी और दस्तावेज़ी सहायता प्रदान करेंगे.साथ ही, वक्फ बोर्ड ने सोशल मीडिया के माध्यम से भी सूचना अभियान शुरू किया है ताकि ग्रामीण और शहरी इलाकों में किसी को जानकारी की कमी न रहे.
कानून के प्रावधान और सख्ती
नए वक्फ कानून के अनुसार, यदि कोई संस्था या मुतवल्ली अपने वक्फ की जानकारी समय पर पोर्टल पर अपलोड नहीं करता, तो उसे दंड का सामना करना पड़ सकता है.
यह कानून इसलिए सख्त बनाया गया है ताकि वक्फ संपत्तियों में पारदर्शिता बनी रहे और उनका दुरुपयोग न हो.देश के विभिन्न हिस्सों में अक्सर वक्फ संपत्तियों पर अतिक्रमण और अनियमितता की शिकायतें आती रही हैं.नया कानून इस तरह की समस्याओं पर लगाम लगाने की दिशा में एक निर्णायक कदम है.
जागरूकता और जवाबदेही की नई पहल
महाराष्ट्र वक्फ बोर्ड का मानना है कि उम्मीद पोर्टल से न केवल वक्फ संपत्तियों की निगरानी आसान होगी, बल्कि उनकी आय और उपयोग का भी लेखा-जोखा सटीक रहेगा.इससे किरायेदारों, लिटिगेशन और अतिक्रमण से जुड़ी जानकारी तुरंत उपलब्ध हो सकेगी.ट्रस्टियों के लिए यह भी जरूरी कर दिया गया है कि वे हर वर्ष अपनी ऑडिट रिपोर्ट और अद्यतन जानकारी पोर्टल पर अपलोड करें.
सीईओ अब्दुल रऊफ शेख ने कहा,“हमारा उद्देश्य सज़ा देना नहीं, बल्कि सुरक्षा देना है.वक्फ संपत्तियाँ अगर सही तरीके से दर्ज होंगी, तो आने वाली पीढ़ियों को उनका असली हक़ मिलेगा.”
वक्फ बोर्ड ने सभी मुतवल्लियों और ट्रस्टियों से अपील की है कि वे इस काम को गंभीरता से लें और 5दिसंबर 2025की अंतिम तिथि से पहले अपने दस्तावेज़ तैयार कर उम्मीद पोर्टल पर पंजीकरण पूरा करें.यह सिर्फ एक कानूनी औपचारिकता नहीं, बल्कि सामाजिक अमानत की हिफ़ाज़त का प्रतीक है.
अब्दुल रऊफ शेख ने कहा,“अगर किसी संस्था को तकनीकी या दस्तावेज़ी मदद की जरूरत हो, तो वे सीधे वक्फ बोर्ड से संपर्क कर सकते हैं.हमारा लक्ष्य है कि महाराष्ट्र की कोई भी वक्फ संपत्ति बिना पंजीकरण के न रहे और हर मस्जिद, मदरसा, दरगाह और कब्रिस्तान सुरक्षित एवं दर्ज हो.”