पाकिस्तान का काल बनेगा भारत का 'नागस्त्र-1R', कई खूबियों से है लैस

Story by  अर्सला खान | Published by  [email protected] | Date 23-06-2025
India's 'Nagstra-1R' will be the end of Pakistan, it is equipped with many features
India's 'Nagstra-1R' will be the end of Pakistan, it is equipped with many features

 

अर्सला खान/ नई दिल्ली

भारतीय सेना को जल्द ही एक अत्याधुनिक हथियार मिलने जा रहा है, जो दुश्मनों के खिलाफ सर्जिकल हमलों में बड़ा गेमचेंजर साबित हो सकता है. देश में विकसित नागस्त्र-1R ड्रोन का ऑर्डर सेना ने दे दिया है और अब जल्द ही यह लॉइटरिंग म्यूनिशन ड्रोन भारतीय सैन्य बेड़े का हिस्सा बनेगा. इस डील को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत अभियान की बड़ी सफलता के रूप में देखा जा रहा है.

नागस्त्र-1R एक स्वदेशी 'कामिकाज़ी' ड्रोन है, जिसे सोलर डिफेंस एंड एयरोस्पेस लिमिटेड (SDAL) ने भारतीय सेना के लिए डिजाइन और विकसित किया है. यह ड्रोन न केवल मैन-पोर्टेबल है, बल्कि अत्यधिक सटीकता के साथ टारगेट को खत्म करने की क्षमता रखता है. इसे खासतौर पर आतंकवादी ठिकानों, लॉन्च पैड्स और घुसपैठियों को निष्क्रिय करने के लिए तैयार किया गया है.
 
पाकिस्तान के खिलाफ हाल ही में चले ऑपरेशन सिंदूर में भारत की तकनीकी ताकत और सैन्य रणनीति की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराहना हुई. अब नागस्त्र-1R ड्रोन सेना को और भी ज्यादा मजबूत बनाएगा। यह ड्रोन 30 से 40 किलोमीटर की दूरी तक जाकर दुश्मन पर हमला करने में सक्षम है और हवा में 60 मिनट तक मंडरा सकता है. इसमें दिन-रात निगरानी की सुविधा के लिए 360 डिग्री गिंबल कैमरा लगा है, जो लक्ष्य को सटीक पहचानता है.
 
क्या है नागस्त्र-1R ड्रोन?

नागस्त्र-1R एक लॉइटरिंग म्यूनिशन यानी 'कामिकाज़ी' ड्रोन है. यह ऐसा ड्रोन होता है जो लक्ष्य पर नजर रखने के बाद खुद जाकर उससे टकरा जाता है और खुद के साथ लक्ष्य को भी नष्ट कर देता है. यह तकनीक हाई-प्रिसिशन स्ट्राइक और सीमित सीमा में ऑपरेशन के लिए बेहद उपयोगी मानी जाती है.
 
 
नागस्त्र-1R ड्रोन की खासियत

स्वदेशी निर्माण: यह ड्रोन 80% से अधिक स्वदेशी सामग्री से बना है, जो आत्मनिर्भर भारत अभियान की दिशा में बड़ा कदम है.
कामिकाज़ी क्षमता: यह ड्रोन दुश्मन के ठिकाने पर खुद जाकर आत्मघाती हमला कर सकता है। यह 30-40 किलोमीटर की दूरी तक जाकर लक्ष्य पर हमला कर सकता है.
हवा में निगरानी: नागस्त्र-1R लगभग 60 मिनट तक हवा में मंडरा सकता है, जिससे यह दुश्मन की हर गतिविधि पर नजर बनाए रखता है.
360 डिग्री गिंबल कैमरा: दिन और रात में निगरानी के लिए इसमें हाई-टेक 360° गिंबल कैमरा लगा है जो सटीक लक्ष्य पहचानने में मदद करता है.
मैन-पोर्टेबल: यह ड्रोन सिर्फ 30 किलोग्राम वज़न का है, जिससे इसे सैनिक आसानी से किसी भी मोर्चे पर ले जा सकते हैं.
पुनः उपयोग की सुविधा: यदि मिशन रद्द करना हो तो पैराशूट सिस्टम से यह ड्रोन सुरक्षित वापस लाया जा सकता है और दोबारा इस्तेमाल किया जा सकता है.
सुरक्षित संचार: इसमें एडवांस एन्क्रिप्शन सिस्टम लगा है, जो ड्रोन के ऑपरेशन को दुश्मनों की जासूसी से बचाता है.
 
नागस्त्र-1R का इस्तेमाल खास तौर पर आतंकवादी ठिकानों, लॉन्च पैड्स और घुसपैठ के प्रयासों को नष्ट करने के लिए किया जाएगा. इसके आने से भारतीय सेना की रणनीतिक क्षमता में गुणात्मक सुधार होगा. यह न सिर्फ एक आधुनिक युद्ध प्रणाली का प्रतीक है, बल्कि भारत की रक्षा क्षेत्र में स्वदेशी तकनीक की बढ़ती ताकत का भी उदाहरण है.