मलिक असगर हाशमी/ नई दिल्ली
कश्मीर में हाल ही में आए भयानक बादल फटने और भूस्खलन ने पूरे क्षेत्र में तबाही मचा दी है. प्राकृतिक आपदा के इस कहर ने कई जीवन बर्बाद कर दिए और लोगों के घरों-सम्पत्ति को भारी नुकसान पहुँचाया. लेकिन इस कठिन समय में केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर की सरकार, प्रशासन और भारतीय सेना पूरी तरह सक्रिय हो गई है. राज्य के सभी वरिष्ठ अधिकारी, सेना और राहत कार्यकर्ता लगातार प्रभावित इलाकों में पीड़ितों तक राहत पहुंचाने और बचाव कार्य को सुचारु रूप से चलाने में जुटे हैं.
मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने घटना के तुरंत बाद ही प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया और स्थिति का जायजा लिया. उनके साथ एलजी मनोज सिन्हा लगातार हालात पर नजर बनाए हुए हैं और प्रशासनिक टीम के साथ मिलकर राहत कार्यों का समन्वय कर रहे हैं.प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी फोन से लगातार संपर्क में हैं.
मुख्यमंत्री ने स्थानीय अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए हैं ताकि प्रभावित लोगों तक राहत सामग्री तुरंत पहुंच सके. उन्होंने खुद प्रभावित इलाकों का दौरा किया और पीड़ितों से मुलाकात कर उनके हालात समझे.
I just received a call from Hon PM @narendramodi Sb. I briefed him about the situation in Kishtwar & the steps being taken by the administration. My government & the people hit by this tragic cloudburst are grateful for his support & all the assistance provided by the Union…
— Omar Abdullah (@OmarAbdullah) August 15, 2025
स्थानीय मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने रविवार को कठुआ जिले में चशोती गाँव का दौरा किया. यहाँ उन्होंने अचानक आए बाढ़ और बादल फटने से हुए जान-माल के नुकसान का विस्तृत आकलन किया.
इस दौरान उन्हें राहत और बचाव अभियान के बारे में वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों ने भी जानकारी दी. मुख्यमंत्री को प्रभावित इलाकों का जायजा लेने के लिए वर्चुअल रियलिटी हेडसेट भी प्रदान किया गया, जिससे उन्होंने राहत कार्य की वास्तविक स्थिति का आभासी अनुभव लिया.
मुख्यमंत्री ने पीड़ितों के लिए तत्काल राहत की घोषणा भी की. उन्होंने कहा कि मृतकों के परिजनों को दो लाख रुपये, गंभीर रूप से घायल लोगों को एक लाख रुपये, और मामूली रूप से घायल लोगों को पचास हजार रुपये की अनुग्रह राशि दी जाएगी.
इसके अतिरिक्त, बाढ़ और भूस्खलन से क्षतिग्रस्त घरों के लिए मुआवज़ा भी निर्धारित किया गया है. पूरी तरह क्षतिग्रस्त घरों के लिए एक लाख रुपये, गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त घरों के लिए पचास हजार रुपये, और आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त घरों के लिए पच्चीस हजार रुपये दिए जाएंगे.
उन्होंने प्रभावित क्षेत्रों में बुनियादी ढाँचे की तत्काल बहाली और पुनर्निर्माण के आदेश भी दिए.राहत कार्य के साथ-साथ प्रशासन ने प्रभावित तीर्थयात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए भी कदम उठाए हैं.
जम्मू-कश्मीर राज्य रोड ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन (JKRTC) ने मचैल माता के तीर्थयात्रियों के लिए जम्मू तक मुफ्त बस सेवा शुरू की है. एआरटीओ किश्तवाड़ तसलीम वानी ने जेकेआरटीसी अधिकारियों के साथ मिलकर परिवहन संचालन की बारीकी से निगरानी की.
साथ ही, परिवहन आयुक्त विशेष महाजन ने सोशल मीडिया पोस्ट के माध्यम से यह जानकारी साझा की कि जेके स्लीपर बस एसोसिएशन भी मुफ्त बस सेवाओं में सहयोग कर रहा है, ताकि प्रभावित यात्रियों को सुरक्षित और परेशानी मुक्त परिवहन मिल सके.
अधिकारी चौबीसों घंटे काम कर रहे हैं ताकि हर यात्री सुरक्षित रूप से अपने घर लौट सके.इस बीच, राज्य के वरिष्ठ मंत्री सतीश शर्मा ने कठुआ जिले का दौरा किया और प्रभावित परिवारों से मुलाकात कर उनकी समस्याओं और जरूरतों को समझा.
मंत्री ने शोक संतप्त परिवारों से बातचीत करते हुए उनकी कठिन परिस्थितियों के प्रति संवेदनशीलता दिखाई और आश्वासन दिया कि सरकार इस कठिन समय में हर संभव मदद करेगी.
उन्होंने कहा कि वर्तमान राहत और पुनर्वास कार्य प्राथमिकता के आधार पर किए जा रहे हैं और भविष्य में इस तरह की घटनाओं के जोखिम को कम करने के लिए संवेदनशील क्षेत्रों में एहतियाती उपाय किए जाएंगे.
सतीश शर्मा ने कठुआ जिले के सरकारी मेडिकल कॉलेज का दौरा कर वहां उपचाराधीन घायलों की स्थिति का भी जायजा लिया. उन्होंने प्रशासन को निर्देश दिए कि सभी प्रभावितों को शीघ्र चिकित्सा सुविधा और राहत सामग्री मिले.
मंत्री ने कहा, "जोध खड्ड, जुथाना और आसपास के इलाकों में बादल फटने और भूस्खलन से भारी त्रासदी हुई है. कीमती जीवन और सम्पत्ति का नुकसान कभी पूरी तरह भरा नहीं जा सकता, लेकिन सरकार हर पीड़ित परिवार के साथ मजबूती से खड़ी है और उनके पुनर्वास और राहत के लिए हर संभव प्रयास करेगी."
मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने राहत कोष से अनुग्रह राशि की घोषणा कर राहत कार्यों में तेजी लाई. उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म X पर पोस्ट करते हुए बताया कि मृतकों के परिजनों को ₹2 लाख, गंभीर रूप से घायलों को ₹1 लाख और मामूली घायलों को ₹50,000 दिए जाएंगे.
इसके अतिरिक्त, प्रभावित घरों के लिए मुआवज़ा भी तय किया गया है: पूरी तरह क्षतिग्रस्त घरों के लिए ₹1 लाख, गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त घरों के लिए ₹50,000, और आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त घरों के लिए ₹25,000। उन्होंने प्रशासन को निर्देश दिए कि यह सहायता समय पर पीड़ितों तक पहुंचे और प्रभावित परिवार अपने जीवन को पुनः व्यवस्थित कर सकें.
सत्ताधारी और प्रशासनिक अधिकारी इस आपदा प्रबंधन अभियान में सक्रिय रूप से जुटे हैं. सेना के जवान, एसडीआरएफ और स्थानीय प्रशासन के कर्मी प्रभावित इलाकों में राहत सामग्री, खाने-पीने की वस्तुएँ, दवाइयाँ और सुरक्षित परिवहन सुनिश्चित करने के लिए लगातार कार्य कर रहे हैं.
मुख्यमंत्री और मंत्री सतीश शर्मा की निगरानी में राहत कार्य की प्रभावशीलता सुनिश्चित करने के लिए उच्च तकनीक उपकरण और डिजिटल मॉनिटरिंग भी लागू की गई है.
सतीश शर्मा ने स्थानीय लोगों से भी प्रशासन को सहयोग देने की अपील की और कहा कि राहत और बचाव अभियान में जनता का सहयोग अनिवार्य है. उन्होंने जोर देकर कहा कि प्राकृतिक आपदा के इस समय में सभी को मिलकर काम करना होगा ताकि कोई भी पीड़ित सहायता से वंचित न रह जाए.
इसके साथ ही, मंत्री ने कहा कि भविष्य में ऐसी घटनाओं के जोखिम को कम करने के लिए संवेदनशील क्षेत्रों में पूर्व-सतर्कता और एहतियाती कदम उठाने की आवश्यकता है. प्रशासन ने प्रभावित इलाकों में जल निकासी, ढाँचों की मजबूती और आपातकालीन तैयारियों के लिए ठोस योजनाएँ बनाई हैं.
इस आपदा के दौरान राज्य सरकार की तत्परता और तत्काल राहत कार्य ने यह संदेश दिया कि जम्मू-कश्मीर प्रशासन, सेना और सरकार हर चुनौती का सामना करने में सक्षम हैं. मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला, एलजी मनोज सिन्हा, मंत्री सतीश शर्मा और सभी वरिष्ठ अधिकारी लगातार प्रभावित इलाकों का दौरा कर रहे हैं और राहत कार्य की स्थिति की समीक्षा कर रहे हैं.
पीड़ित परिवारों को राहत राशि, स्वास्थ्य सेवाएं और सुरक्षित परिवहन उपलब्ध कराने के साथ ही स्थानीय प्रशासन प्रभावित बुनियादी ढाँचे की बहाली में भी जुटा है. इस अभियान का उद्देश्य न केवल तत्काल राहत प्रदान करना है, बल्कि प्रभावित परिवारों को आत्मनिर्भर और सुरक्षित बनाने की दिशा में भी कदम उठाना है.
अंततः इस आपदा ने कश्मीर और कठुआ क्षेत्र में एक बार फिर दिखाया कि प्राकृतिक आपदा के समय में सरकार, प्रशासन और जनता के सहयोग से संकट पर काबू पाया जा सकता है. मुख्यमंत्री और मंत्री की सक्रियता, सेना और एसडीआरएफ का समन्वय, और स्थानीय प्रशासन की तत्परता ने प्रभावित इलाकों में राहत कार्य को प्रभावी और समयनिष्ठ बनाया है.
Help Desk/Control Numbers. pic.twitter.com/3Unl1Lfphg
— Omar Abdullah (@OmarAbdullah) August 14, 2025
इस प्रकार, कश्मीर में बादल फटने और भूस्खलन से उत्पन्न संकट के बीच राज्य सरकार और केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन ने पीड़ितों के जीवन और सम्पत्ति की सुरक्षा के लिए तत्काल राहत, पुनर्वास और बुनियादी ढांचे की बहाली सुनिश्चित कर पूरी तरह से सक्रियता दिखाई है.
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