आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
केरल हमेशा से बदलाव और प्रगतिशील सोच की धरती रहा है. यह राज्य केवल अपनी प्राकृतिक सुंदरता, साक्षरता और सांस्कृतिक विविधता के लिए ही नहीं जाना जाता, बल्कि यहां से ऐसी कई शख्सियतें सामने आई हैं जिन्होंने अपने-अपने क्षेत्रों में असाधारण काम करके समाज को नई दिशा दी है. इन हस्तियों में सामाजिक कार्यकर्ता, लेखक, गायक, आईएएस अधिकारी, उद्यमी और अध्यात्मिक गुरु शामिल हैं.
उन्होंने कभी संगीत को, कभी शिक्षा को, कभी अपनी व्यक्तिगत चुनौतियों को और कभी क़ानूनी लड़ाई को समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का जरिया बनाया. आइए जानते हैं उन 10 असाधारण पुरुषों और महिलाओं के बारे में जिन्होंने केरल से निकलकर पूरी दुनिया को प्रभावित किया.
आयशा अब्दुल बसीथ
सिर्फ़ 20 साल की उम्र में आयशा अब्दुल बसीथ ने इस्लामी नात (भजन) को अपनी मधुर आवाज़ से नई ऊँचाई दी है. केरल में जन्मी आयशा आज अबू धाबी में रहकर अपनी आध्यात्मिक गायकी के ज़रिए 80 से अधिक देशों के श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर चुकी हैं. उनका मानना है कि संगीत मानवता को जोड़ने और विश्व में शांति और आनंद फैलाने का सबसे सशक्त माध्यम है.
सफ़ना नज़रुद्दीन.
सफ़ना नज़रुद्दीन का सपना था कि वे समाज के वंचित वर्गों की मदद कर सकें। इसी उद्देश्य से उन्होंने सिविल सेवा को चुना और मात्र 23 साल की उम्र में केरल की सबसे युवा मुस्लिम आईएएस अधिकारी बन गईं। उनकी सफलता युवाओं के लिए प्रेरणा है कि दृढ़ निश्चय और परिश्रम से कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है.
पी.सी. मुस्तफ़ा
वायनाड के एक छोटे से गाँव से निकलकर पी.सी. मुस्तफ़ा ने गरीबी के बंधनों को तोड़ा. उनके पिता खेतों में मज़दूरी करते थे, लेकिन मुस्तफ़ा ने पढ़ाई के दम पर आईआईएम तक का सफर तय किया. 500 वर्ग फीट के कमरे से शुरू हुआ उनका छोटा-सा कारोबार आज 4,000 करोड़ रुपए के व्यवसाय में बदल चुका है और वे 10 से अधिक देशों में इडली बैटर सप्लाई कर रहे हैं. वे इस बात का प्रतीक हैं कि संघर्षों से जूझकर भी सफलता पाई जा सकती है.
वी.पी. सुहारा
वी.पी. सुहारा लंबे समय से मुस्लिम पर्सनल लॉ में सुधार और महिलाओं को समान अधिकार दिलाने के लिए संघर्षरत हैं. वे उत्तराधिकार के अधिकारों में लिंग समानता के लिए अदालत तक लड़ाई लड़ चुकी हैं. वे भले ही कहती हों कि पूरी तरह आशावादी नहीं हैं, लेकिन हार मानना उन्होंने कभी सीखा ही नहीं.
कदीजा मुमताज़
कदीजा मुमताज़ अपनी साहित्यिक कृतियों के लिए जानी जाती हैं और उन्हें ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’ भी मिल चुका है, लेकिन आज उनका जीवन लेखन से अधिक सामाजिक कार्यों में समर्पित है. वे विभिन्न धार्मिक समुदायों को जोड़ने और आपसी समझ व संवाद को बढ़ाने का काम कर रही हैं. उनका प्रयास है कि समाज में धार्मिक सौहार्द और शांति कायम हो.
एडवोकेट सुक्कुर
एडवोकेट सुक्कुर ने समाज को एक अनूठा संदेश देने के लिए अपनी ही पत्नी से दोबारा शादी की। उन्होंने यह विवाह स्पेशल मैरेज एक्ट के तहत किया, ताकि यह दिखा सकें कि मुस्लिम समाज में बेटियों को उत्तराधिकार का अधिकार दिलाने के लिए यह रास्ता अपनाया जा सकता है। उनका यह कदम धार्मिक कट्टरता के बीच सामाजिक सुधार का साहसिक उदाहरण बना
नूर जलीला
बिना चारों अंगों के जन्म लेने के बावजूद नूर जलीला ने कभी अपनी मुस्कान और हिम्मत को कम नहीं होने दिया. वे एक कलाकार, गायिका और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर हैं उनकी ज़िंदगी साहस, रचनात्मकता और आत्मविश्वास का जीता-जागता उदाहरण है। नूर का व्यक्तित्व लोगों को यह सिखाता है कि सीमाएँ केवल मन में होती हैं.
पद्मश्री मुमताज़ अली (श्री एम)
तिरुवनंतपुरम के मुमताज़ अली, जिन्हें उनके अनुयायी श्री एम कहते हैं, ने आध्यात्मिक साधना को सामाजिक सेवा से जोड़ा. ‘सत्संग फाउंडेशन’ के प्रमुख श्री एम धर्म, जाति और राष्ट्रीयता की सीमाओं को पार करते हुए मानवता और ईश्वर की एकता का संदेश देते हैं. वे लोगों को अपने धर्म का पालन करते हुए ध्यान और साधना के ज़रिए आत्मबोध की राह पर चलने की प्रेरणा देते हैं.
हदिया हकीम
कोझिकोड की हदिया हकीम ने फुटबॉल को महिला सशक्तिकरण का प्रतीक बना दिया. वे एक फ्रीस्टाइल फुटबॉल परफ़ॉर्मर हैं जिन्होंने लिंगभेद, धर्म और राष्ट्रीयता की सीमाओं को पार करके अपनी कला से पहचान बनाई है. उनकी मेहनत और हुनर ने महिलाओं के लिए खेलों की दुनिया में नए रास्ते खोले हैं.
ओणमपल्ली फैसी
त्रिशूर के विद्वान ओणमपल्ली फैसी ने शिक्षा और धर्म के बीच पुल बनाने का काम किया है. वे अपने मदरसे में न केवल इस्लामी ग्रंथ पढ़ाते हैं, बल्कि अन्य धर्मों के पवित्र ग्रंथों की शिक्षा भी देते हैं उनका मानना है कि अज्ञानता ही समाज में विभाजन का सबसे बड़ा कारण है, और इसे शिक्षा व संवाद से ही दूर किया जा सकता है.
इन दस असाधारण हस्तियों ने अपने जीवन और कार्यों से यह साबित किया है कि बदलाव केवल बड़े राजनीतिक आंदोलनों से नहीं आता, बल्कि यह व्यक्तिगत साहस, रचनात्मकता और सामाजिक जिम्मेदारी से भी संभव है. आयशा के संगीत से लेकर मुस्तफ़ा की उद्यमिता तक, नूर की मुस्कान से लेकर श्री एम की आध्यात्मिक यात्रा तक ये सभी उदाहरण बताते हैं कि केरल से उठी यह प्रेरणा पूरे भारत और विश्व के लिए उम्मीद और बदलाव की किरण है.