श्रीलता मेनन/ त्रिशूर
आयशा अब्दुल बासित भले ही केरल से हों, लेकिन आज उन्हें न केवल अपने राज्य में, बल्कि 80 देशों में उनके इस्लामी आध्यात्मिक गीतों, नात, के लिए प्यार किया जाता है. 20वर्षीय गायिका की दिव्य उपस्थिति और मधुर आवाज़ ने 10 साल की उम्र से ही प्रशंसकों को आकर्षित किया है. उनके पिता द्वारा फेसबुक पर उनके रियाज़ के पोस्ट को ढेरों लाइक मिलने लगे और उन्होंने उनके गीतों को यूट्यूब पर पोस्ट करने का फैसला किया.
उनके माता-पिता ने 2013 में उनके यूट्यूब चैनल की शुरुआत की थी और उनके गीत "हस्बी रब्बी जल्लाल्लाह अ नात" को 8 करोड़ बार देखा गया था. आज उनके यूट्यूब चैनल के 3.7 करोड़ से ज़्यादा सब्सक्राइबर और 5.83 करोड़ से ज़्यादा व्यूज़ हैं.
उनके जीवन में एक नाटकीय मोड़ तब आया जब उन्हें प्रसिद्ध नात कलाकार सामी यूसुफ़ के रूप में एक मार्गदर्शक मिला और उन्होंने उनकी कंपनी के साथ एक अनुबंध किया. उसके बाद से उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा.
"2018 में सामी यूसुफ़ को सुनने के बाद, मुझे उनका संगीत उपचारात्मक लगा." एक पुराने इंटरव्यू में वह कहती हैं, "इससे मुझे लगा कि मैंने जो आध्यात्मिकता की अवधारणा अपनाई थी, वह मेरा सबसे अच्छा फैसला था." उसी साल उन्होंने सामी यूसुफ़ की कंपनी के साथ एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए और फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा.
वह कहती हैं, "उन्होंने मुझे आश्वस्त किया कि मैं अपने गीतों के चयन के साथ सही रास्ते पर हूँ. वह मुझसे कहा करते थे कि आयशा, तुम गा नहीं रही हो, बल्कि श्रोताओं को ठीक कर रही हो."
आयशा के लिए, उनका धर्म उनके सशक्तिकरण का एक स्रोत रहा है क्योंकि उनके आध्यात्मिक गीतों ने उन्हें कई जगहों पर पहुँचाया है. उन्होंने दुनिया भर की यात्रा की है, और सलीम सुलेमान जैसे प्रसिद्ध संगीतकारों के साथ काम किया है और खुद ए आर रहमान उनके प्रशंसक हैं.
जब वह 16 साल की थीं और 12वीं कक्षा में थीं, तब दिए गए एक अन्य रेडियो साक्षात्कार में, वह अपने माता-पिता को छह साल की उम्र से उनका साथ देने का पूरा श्रेय देती हैं.
वह कहती हैं कि बचपन से ही सामी यूसुफ़ और ए आर रहमान उनकी प्रेरणा रहे हैं. फ़िलहाल, वह सलाम गाने के प्रोजेक्ट का हिस्सा हैं, जिसे वह मशहूर संगीतकार सलीम सुलेमान के साथ मिलकर कर रही हैं.
सलीम सुलेमान कुर्बान, रब ने बना दी जोड़ी, फ़ैशन, बैंड बाजा बारात जैसी 100 से ज़्यादा फ़िल्मों में संगीत दे चुके हैं.
अपने जैसे युवाओं, ख़ासकर कलाकारों को उनकी सलाह उनकी विनम्रता और संयम को दर्शाती है. "मैं सलाह तो नहीं दे सकती क्योंकि मैं अभी सीख रही हूँ.
लेकिन मैं यही कहूँगी कि आप ख़ुद बने रहें, जो भी कर रहे हैं उसमें अनोखा बनने की कोशिश करें."
उनकी आवाज़ एक के बाद एक एल्बमों में आपके सन्नाटे को एक अजीबोगरीब और उत्साहवर्धक अंदाज़ में चीरती है, जिससे श्रोता मंत्रमुग्ध हो जाते हैं. आज की तारीख़ में, इंस्टाग्राम पर उनके 571,000 फ़ॉलोअर्स हैं और उनकी हर पोस्ट को 8000 से 37000 व्यूअरशिप मिलती है.
उनके गाने ज़्यादातर प्रार्थनाएँ हैं, जो प्रेम और शांति के बारे में हैं और एक भावपूर्ण आवाज़ में गाए गए हैं जो सुकून देने वाली होने के साथ-साथ कानों को भी सुकून देती है.
थालास्सेरी में जन्मी आयशा अब अबू धाबी में रहती हैं, जहाँ वह अपने गुरु सामी यूसुफ़ की मदद से अपने संगीत करियर पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं. उन्होंने अब तक अरबी, हिंदी और मलयालम में गायन किया है.
उनकी वेबसाइट उनके संगीत के माध्यम से दुनिया में शांति और प्रेम फैलाने की उनकी इच्छा को दर्शाती है. इसमें लिखा है, "आयशा अपने अनोखे भावपूर्ण गायन के माध्यम से दुनिया भर में शांति और प्रेम फैलाने के जुनून से प्रेरित हैं. उनकी प्रबल इच्छा ऐसा संगीत रचने की है जो लोगों के दिलों और दिमागों को शांति और प्रेम से भर दे. उनका मानना है कि यह एक ऐसा सशक्त माध्यम है जिसके माध्यम से एक शांतिपूर्ण समाज का निर्माण किया जा सकता है."