राजीव कुमार सिंह /छपरा ( बिहार )
बिहार के शहर छपरा के लिए सोमवार का दिन मनहूस साबित हुआ. 12 तारीख वाकई अशुभ साबित हुई जब यहां के माटी के लाल बीएसएफ सब-इंस्पेक्टर मोहम्मद इम्तियाज को हजारों नम आँखों से अंतिम विदाई दी गई.
छपरा जिला स्थित गरखा प्रखंड के नारायणपुर गांव के रहने वाले मोहम्मद इम्तियाज पाकिस्तान के साथ युद्ध में 10 मई को शहीद हो गए. वह जम्मू में आरएसपुरा सेक्टर में अंतरराष्ट्रीय सीमा पर तैनात थे. सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के एक अधिकारी के मुताबिक, सब-इंस्पेक्टर मोहम्मद इम्तियाज ने वीरतापूर्वक आगे बढ़कर नेतृत्व करते हुए सर्वोच्च बलिदान दिया.
जैसे ही, मोहम्मद इम्तियाज के घर, उनके शहीद होने की खबर पहुंची, पूरे घर और गांव में मातम पसर गया. आस-पास के लोगों की भीड़ उनके घर के बाहर जुट गई.
रविवार की शाम तक उनका पार्थिव शरीर गांव पहुंचाया गया. एकतरफ, परिवार जहाँ गम में डूबा है, वहीं दूसरी तरफ उनके कंधे फख्र से चौड़े भी हो रहे हैं. आखिर उनके लाल ने इस देश की रक्षा के लिए अपनी कुरबानी दी है.
मुख्यमंत्री ने दी श्रद्धांजलि
शहीद के सम्मान में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार स्वयं उनके घर पहुंचे.परिवार से मुलाकात की. उन्होंने परिजनों को सांत्वना दी और 50 लाख रुपये की सहायता राशि देने की घोषणा की, जिसमें से 21 लाख बिहार सरकार द्वारा और 29 लाख मुख्यमंत्री राहत कोष से दिएजाएंगे.
मुख्यमंत्री ने करीब पांच मिनट तक शहीद के परिजनों से बातचीत की. इस दौरान शहीद के परिजनों ने कुछ मांगें रखीं, जैसे कि गांव में स्वास्थ्य केंद्र, सड़क और स्मारक का नाम शहीद के नाम पर किया जाए और छोटे बेटे को सरकारी नौकरी दी जाए। मुख्यमंत्री ने सभी मांगें तुरंत मानने का आदेश दिया.
वहीं आरजेडी के नेता तेजस्वी यादव ने अपने एक्स हैंडल पर ट्वीट किया कि जम्मू में अंतरराष्ट्रीय सीमा पर देश की सुरक्षा के लिए शहादत देने वाले बिहार, छपरा के रहने वाले बीएसएफ के बहादुर सब-इंस्पेक्टर मो. इम्तियाज साहब की वीरता और बलिदान पर सलाम एवं कोटिश: नमन.देशवासी सदैव उनके शौर्य, पराक्रम, साहस, बलिदान और देशप्रेम को नमन करते रहेंगे.
जम्मू फाइटर ने सोशल मीडिया एक्स पर लिखाः हम बीएसएफ के बहादुर सब-इंस्पेक्टर मो. इम्तियाज द्वारा 10 मई 2025 को आरएसपुरा स्थित, जिला जम्मू में अंतरास्ट्रीय सीमा पर सीमा-पार से हुई गोली बारी के दौरान राष्ट्र की सेवा में दिए गए उनके सर्वोच्च बलिदान को सलाम करते हैं.
शहीद हुए मोहम्मद इम्तियाज के बेटे इमरान कहते हैं, “हमारे पिता ने बलिदान दिया है और हमें अपने पिता और इस देश पर शहादत देने वाले सभी सैनिकों पर बहुत गर्व है.
मैं उन सबको सैल्यूट करता हूँ. सलाम हैं इन सबको. मैं चाहता हूँ कि पाकिस्तान को कड़ी सजा मिले.”बीएसएफ महानिदेशक और सभी रैंक के अधिकारियों ने मोहम्मद इम्तियाज के परिवार के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त की है.
दुख की इस घड़ी में उनके परिवार के साथ पूरा देश खड़ा है. गांव में मातम जरूर है, लेकिन साथ ही गर्व भी है कि उनका बेटा इस देश के लिए शहीद हुआ.
तिरंगे से लिपटी व फूलों से सजी थी सेना की गाड़ी
आपको बता दें सोमवार को शहीद बीएसएफ के सब इंस्पेक्टर मोहम्मद इम्तियाज को हजारों नम आंखों ने अंतिम विदाई दी. सारण जिले के गड़खा प्रखंड के नारायणपुर गांव स्थित कब्रिस्तान में सैनिक सम्मान के साथ उन्हें सुपुर्द-ए-खाक किया गया.
इस दौरान लोगों ने वीर सपूत की शहादत को सलाम किया और 'भारत माता की जय' के नारे लगाए.जनाजे की नमाज पढ़ाने वाले मौलाना ने भी अपनी तकरीर के माध्यम से पाकिस्तान को चेतावनी दी. उनकी तकरीर न केवल मार्मिक थी, बल्कि देशवासियों में जोश भरने वाली थी
शहीद इम्तियाज के परिवार से उनके अपने सगे मंझले भाई मो. मुस्तफा भी सेना में सेवारत हैं और फिलहाल वह मेघालय में पोस्टेड हैं. शहीद इम्तियाज के परिवार में दो पुत्र और दो पुत्रियां हैं.
पुत्र मोहम्मद इमरान रजा बायोमेडिकल से इंजीनियरिंग कर पटना पीएमसीएच में कार्यरत हैं, जबकि छोटा पुत्र इमदाद रजा दिल्ली में पढ़ाई करता है. परिजनों के मुताबिक, वह दिल्ली में रहकर यूपीएससी की तयारी कर रहा है.
गांव वालों ने बताया कि बेहद सौम्य थे इम्तियाज
पुत्र इमदाद का अब वही संकल्प है कि यूपीएससी में सफल हो कर शहीद पिता के सपने पूरे करे. शहीद की पुत्री बेनजीर खातून और फरीदा खातून की शादी हो गई है. उनकी पत्नी शाहनाज़ अजीम गृहिणी हैं.