पाकिस्तान के आतंक तंत्र के खिलाफ भारत की निर्णायक कार्रवाई

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 14-05-2025
A new dawn in the strategic geopolitics of South Asia: India's decisive action against Pakistan's terror network
A new dawn in the strategic geopolitics of South Asia: India's decisive action against Pakistan's terror network

 

शारिक अदीब अंसारी

भारतीय उपमहाद्वीप आज एक ऐतिहासिक मोड़ पर खड़ा है, जहाँ पाकिस्तान की लंबे समय से चली आ रही राज्य प्रायोजित आतंकवाद की नीति को अब एक दृढ़ और निर्णायक भारत से सामना करना पड़ रहा है — एक ऐसा भारत जिसने रणनीतिक संयम की पुरानी विरासत को पूरी तरह त्याग दिया है.

दशकों तक, पाकिस्तान ने अपने परमाणु हथियारों की आड़ और भ्रामक कूटनीतिक चालों के सहारे एक विशाल आतंकी तंत्र को पोषित किया.लेकिन अब तुष्टीकरण का वह युग समाप्त हो चुका है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दृढ़ नेतृत्व और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की रणनीतिक दृष्टि के अंतर्गत भारत ने पाकिस्तान के आतंक ढांचे को सटीकता और उद्देश्यपूर्ण तरीके से खत्म करने का अभियान शुरू किया है.

पाकिस्तान: आतंकवाद के निर्यात पर आधारित एक राष्ट्र

पाकिस्तान ने अपने गठन के बाद से ही एक कट्टर भारत-विरोधी एजेंडा अपनाया है, और पारंपरिक युद्धों में हार के बाद उसने आतंकवाद को एक रणनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल करना शुरू कर दिया.

इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) ने लश्कर-ए-तैयबा (LeT), जैश-ए-मोहम्मद (JeM) और हिज़बुल मुजाहिदीन जैसे दर्जनों जिहादी संगठनों को राज्य नीति के उपकरण के रूप में विकसित किया है.

 विश्वसनीय खुफिया सूचनाओं के अनुसार, पाक अधिकृत कश्मीर (PoK) और पाकिस्तान के अन्य प्रांतों में 40से अधिक सक्रिय आतंकी प्रशिक्षण शिविर मौजूद हैं, जो भारत पर हमले के लॉन्चपैड का कार्य करते हैं.

इन आतंकी संगठनों का इतिहास खून से रंगा हुआ है: 2001का संसद हमला, 2008का मुंबई हमला, और 2019का पुलवामा आत्मघाती हमला, सभी पाकिस्तान के संरक्षण में की गई सुनियोजित कार्रवाइयाँ थीं.यह घटनाएं अलग-थलग नहीं थीं, बल्कि असममित युद्धनीति के तहत की गई रणनीतिक चालें थीं.

पाकिस्तान की भूमिका केवल लॉजिस्टिक सहायता तक सीमित नहीं है, वह आतंकवाद के वित्तपोषण में भी गहराई से संलिप्त है.FATF (वित्तीय कार्रवाई कार्यबल) की सितंबर 2024की मूल्यांकन रिपोर्ट के बावजूद पाकिस्तान गैरकानूनी वित्तीय लेन-देन का केंद्र बना हुआ है.

IMF से जुलाई 2024में मिले 7अरब डॉलर के बेलआउट पैकेज के बावजूद पाकिस्तान अपने आतंक नेटवर्क को ज़िंदा रखने के लिए संसाधनों का दुरुपयोग कर रहा है, जबकि देश 25%मुद्रास्फीति और 130अरब डॉलर के बाहरी ऋण से जूझ रहा है.

भारत का रणनीतिक संयम से निर्णायक प्रतिकार की ओर परिवर्तन

वर्षों तक भारत की आतंकवाद के प्रति प्रतिक्रिया रणनीतिक संयम से प्रेरित रही — राजनयिक विरोध और सीमित सैन्य तैनाती के बावजूद ठोस जवाबी कार्रवाई का अभाव रहा.2001के ऑपरेशन पराक्रम और 2008के मुंबई हमलों के बाद अंतरराष्ट्रीय आक्रोश के बावजूद पाकिस्तान के खिलाफ कोई सख्त कार्रवाई नहीं हो पाई.

इस संयम को पाकिस्तान की सेना ने भारत की कमज़ोरी समझने की भूल की.यह भ्रम 2014के बाद खत्म हो गया, जब नई दिल्ली में एक नई रणनीतिक सोच उभरी — जो अब निवारण (deterrence), प्रतिशोध (retribution), और स्पष्ट राजनीतिक इच्छाशक्ति पर आधारित है.

मोदी का भारत: प्रतिशोध का सिद्धांत

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने के बाद भारत की आतंकवाद विरोधी रणनीति में आमूलचूल बदलाव हुआ। इस नई नीति की प्रमुख उपलब्धियाँ हैं:2016 सर्जिकल स्ट्राइक: उरी हमले के जवाब में भारतीय विशेष बलों ने एलओसी पार करके कई आतंकी लॉन्चपैड तबाह किए.

2019 बालाकोट एयरस्ट्राइक: पुलवामा हमले के बाद भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में स्थित जैश-ए-मोहम्मद के प्रशिक्षण शिविर पर हमला किया.

ऑपरेशन सिंदूर (मई 2025): 22अप्रैल 2025को हुए पहलगाम आतंकी हमले (जिसमें 26नागरिक मारे गए) के जवाब में भारत ने पाकिस्तान के पंजाब और PoK में स्थित 9 आतंकी ठिकानों पर समन्वित मिसाइल हमला किया.

महज 25 मिनट के इस ऑपरेशन में लश्कर, जैश और हिज़बुल के 80से अधिक आतंकी मारे गए.पाकिस्तान की जवाबी ड्रोन व मिसाइल कार्रवाइयों को भारत की वायु रक्षा प्रणाली ने सफलतापूर्वक विफल कर दिया — एक पाकिस्तानी F-16 भी मार गिराया गया और लाहौर की एक प्रमुख वायु रक्षा इकाई नष्ट कर दी गई.

रणनीतिक बढ़त और तकनीकी श्रेष्ठता

भारत की आतंकवाद विरोधी क्षमताएँ अब स्वदेशी रक्षा तकनीकों की प्रगति से और भी मजबूत हुई हैं:

तपस-BH ड्रोन: सीमा पर निगरानी और टोही क्षमता में अभूतपूर्व वृद्धि.

नेत्रा AEW&C सिस्टम: हवाई खतरों के खिलाफ प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली.

AI-आधारित निगरानी नेटवर्क: 2024से एलओसी पर तैनात, जिससे सटीक लक्ष्यों की पहचान और समयबद्ध कार्रवाई संभव हुई.

रणनीति में कूटनीति और आर्थिक दबाव भी

भारत की आतंकवाद विरोधी नीति केवल सैन्य तक सीमित नहीं है — एक समांतर कूटनीतिक मोर्चा भी सफलतापूर्वक संचालित हुआ है.2019में अनुच्छेद 370 को समाप्त कर भारत ने पाकिस्तान की कश्मीर नैरेटिव को निष्प्रभावी कर दिया.2025में G20की सर्वसम्मत आतंकवाद विरोधी प्रस्ताव भारत के लिए एक बड़ी कूटनीतिक जीत थी.

आर्थिक मोर्चे पर भारत ने पाकिस्तान को दिया गया MFN (Most Favoured Nation) दर्जा वापस ले लिया और द्विपक्षीय व्यापार स्थगित कर दिया — जिससे पाकिस्तान की चीनी कर्ज और खाड़ी देशों की रेमिटेंस पर निर्भरता और बढ़ गई.

डोभाल सिद्धांत: निषेध, विघटन और प्रतिरोध

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल इस संपूर्ण रणनीतिक बदलाव के प्रमुख वास्तुकार रहे हैं.उनका सिद्धांत तीन प्रमुख स्तंभों पर आधारित है:

पूर्व-प्रभावी हमले: आतंकवादी खतरे को उसके पनपने से पहले ही समाप्त करना.

कोई सुरक्षित ठिकाना नहीं: पाकिस्तान की गहराई में स्थित आतंकी ठिकानों पर भी सटीक हमले.

खुफिया प्रभुत्व: NIA और MAC जैसी एजेंसियों ने 2019के बाद 200से अधिक आतंकी फंडिंग नेटवर्क ध्वस्त किए.

मनोवैज्ञानिक युद्ध: आतंकी नेताओं पर उच्च प्रभाव वाले हमलों के जरिए संदेश — आतंक और उसके संरक्षकों को कीमत चुकानी होगी.

इस नीति को समर्थन मिलता है भारत की $78अरब डॉलर की रक्षा बजट, 14लाख सक्रिय सैनिकों, और 4600+ सैन्य विमानों से.ग्लोबल फायरपावर इंडेक्स 202 5 में भारत दुनिया की चौथी सबसे बड़ी सैन्य शक्ति है, जबकि पाकिस्तान 12वें स्थान पर — यह शक्ति असंतुलन स्पष्ट है.

(लेखक  राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष, ऑल इंडिया पसमान्दा मुस्लिम महासभा)