Charter issued to build a bridge between sects of Islamic ideology in Mecca, Arshad Madani also expressed his views.
मलिक असरग हाशमी / नई दिल्ली / मक्का
मक्का की दो पवित्र मस्जिदों द्वारा दो दिवसीय ‘इस्लामिक विचारधारा वाले फिरकों के बीच पुल’ बनाने के लिए आयोजित कान्फ्रंेस में चार्टर जारी किया गया. इसे वल्र्ड मुस्लिम लीग ने आयोजित किया था.इस दौरान विभिन्न इस्लामी संप्रदायों के वरिष्ठ विद्वान और मुफ्ती सांप्रदायिकता के मुद्दे को संबोधित करने के लिए एक साथ आए और मक्का में एक वैश्विक सम्मेलन के अंत में इस्लामी विचारधारा के स्कूलों और फिरकों के बीच पुल का निर्माण करने के लिए चार्टर जारी किया.
इस मौके पर जमीअत उलेमा ए हिंद के सदर अरशद मदनी ने अपने संदेश में इस तरह के आयोजन की सराहना की. साथ ही कट्टरवाद के विचारों के खात्मे के लिए हर संभव सहयोग का वादा किया. उन्होंने सुझाव दिया कि यदि न्यायाशास्त्र को लेकर किसी तरह का कोई भ्रम सामने आए तो सही इस्लामिक पहलू की मदद ली जाए.
उन्होंने इस पहल को कंस्ट्रक्टिव बनाने के लिए हर मुमकिन सहयोग देने का भी वादा किया. सम्मेलन, दो दिनों (7-8 रमजान 1445 हिजरी) तक चला. इसमें दुनिया भर के प्रतिनिधियों ने भाग लिया. विद्वानों और मुफ्तियों ने संप्रदायवाद और इस्लाम के सच्चे मार्गदर्शन से भटकने की प्रवृत्ति के कारण होने वाली त्रासदियों पर काबू पाने के महत्व पर जोर दिया.
मक्का के ग्रैंड मस्जिद के इमाम
यह सम्मेलन दो पवित्र मस्जिदों के संरक्षक, किंग सलमान बिन अब्दुलअजीज अल-सऊद के संरक्षण में आयोजित किया गया. चार्टर यह ‘मक्का घोषणा चार्टर’ का विस्तार है, जिस पर 29 मई, 2019 को विद्वानों और मुफ्तियों द्वारा हस्ताक्षर किए गए थे.कहा गया, ‘‘ यह चार्टर विद्वानों के अपने धर्म और अल्लाह सर्वशक्तिमान और मोहम्मद को उनके दूत के रूप में विश्वास पर गर्व को दर्शाता है.’’
चार्टर मुसलमानों के बीच एकता के महत्व और एक राष्ट्र की अवधारणा को याद रखने के कर्तव्य पर जोर देता है. इस मौके पर विभिन्न संप्रदायों के विद्वानों और प्रतिनिधियों ने अपने वर्गों को एकजुट करने और सामान्य हितों के लिए मिलकर काम करने की आवश्यकता को पहचानने पर जोर दिया.
उन्होंने स्वीकारा कि उन्हें इस्लाम की उत्पत्ति और उसके फैसलों और कानून पर ध्यान केंद्रित करने के लिए एक साथ आना चाहिए, जो उनके अस्तित्व को व्यवस्थित करते हंै. उनके अधिकारों की रक्षा करते हैं और उनकी गरिमा बनाए रखते हैं. यह दस्तावेज राष्ट्र की एकता और उसकी भावना को विभाजित करने के प्रयासों पर काबू पाने के महत्व पर जोर देता है.
चार्टर की घोषणा में, प्रतिभागियों ने मतभेदों का सम्मान करने, उचित संचार और लेबलिंग और बहिष्कार से बचने के माध्यम से इस्लामी एकता प्राप्त करने के महत्व पर जोर दिया. उन्होंने मानहानि और प्रक्षेपण के नकारात्मक प्रभावों के साथ गुमराह और इस्लाम छोड़ने के खतरों के प्रति भी आगाह किया. इससे विभाजन, शत्रुता और भ्रष्टाचार बढ़ सकता है.
प्रतिभागियों ने सांप्रदायिक दरार की त्रासदियों और गुमराह करने वाले रास्तों पर काबू पाने का आह्वान किया. कहा गया कि यह मुसलमानों के बीच विभाजन और शत्रुता का कारण बना हुआ है. उन्होंने इस्लामी शिष्टाचार और ज्ञान का पालन करते हुए मतभेदों, विविधता और बहुलता को अपनाने के महत्व पर प्रकाश डाला.
उन्होंने शरिया की व्यापकता और विशालता को समायोजित करने, धर्म के भाईचारे और मित्रता पर जोर देने और सामान्य गौरव, जो कि इस्लाम है, के परिणामों और खतरों का पता लगाने की आवश्यकता पर बल दिया.
प्रतिभागियों का उद्देश्य उन बेकार बहसों पर काबू पाना भी था जो केवल मुस्लिम राष्ट्र के फैलाव और विभाजन को बढ़ाती हैं. सारे प्रतिनिधि एकता, परिचय, आदान-प्रदान और सहयोग के प्रयासों को मजबूत करने की दृढ़ इच्छाशक्ति से प्रेरित दिखे. यह चार्टर भी उनकी सांप्रदायिक विविधता पर सहमति व्यक्त करता है.
चार्टर ने पुष्टि की कि मुसलमान एक राष्ट्र हैं जो एक अल्लाह की इबादत करते हैं. एक किताब पढ़ते हैं. एक पैगंबर का पालन करते हैं, और एक किबला द्वारा एकजुट होते हैं.इसमें यह भी लिखा है कि अल्लाह ने उनका सम्मान किया.
उन्हें मुसलमान नाम दिया, इसलिए कोई अन्य नाम इसकी जगह नहीं ले सकता. चार्टर में कहा गया है कि मुसलमान वह है जो इस तथ्य की गवाही देता है कि अल्लाह के अलावा कोई इबादत के लायक नही. उसका कोई साथी नहीं. मोहम्मद उसके दूत हैं. मुसलमान अल्लाह के आदेश और नियमों का दृढ़ता से पालन करता है.
चार्टर में इस बात पर जोर दिया गया कि इस्लाम का संदेश अपने स्रोत में ईश्वरीय, अपने विश्वास में एकेश्वरवादी, अपने लक्ष्यों में उदात्त, अपने मूल्यों में मानवीय और अपने विधान में बुद्धिमान है. इसमें सभी का भला होता है. इसमें मुसलमानों को अधिक जागरूक, लाभकारी, सुरक्षित और शांतिपूर्ण भविष्य बनाने में योगदान देने के लिए अपनी सभ्य भूमिका को बहाल करने का आह्वान किया गया है.
कान्फ्रेंस में मदनी के संदेश
चार्टर ने पुष्टि की कि इस्लाम के तथ्यों का स्रोत पवित्र कुरान में दर्शाया गया रहस्योद्घाटन है, जो साबित करता है वह पैगंबर से प्रसारित हुआ है. इसने यह भी स्वीकार किया कि इसकी विविधता और मतभेदों से निपटना ज्ञात शिष्टाचार और नियमों के अनुरूप है.
यह चार्टर पांच आवश्यकताओं को संरक्षित करने में कानून के उद्देश्यों को पूरा करने के महत्व पर जोर देता है. मजहब इस्लामी पहचान की नींव और धुरी के रूप में कार्य करता है. आत्मा की पवित्रता का अर्थ है गरिमा, सुरक्षा और जीवन की रक्षा करना और मन का पोषण करना, जो समाज के संतुलन को बनाए रखने में मदद करता है और ज्ञान और परिपक्वता के मार्ग से विचलन को रोकता है.
समाज के मूल्यों, विशेष रूप से इस्लामी पहचान और व्यक्तियों की पवित्रता और अपने समूह की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए किसी के सम्मान की रक्षा करना महत्वपूर्ण है. इसके अतिरिक्त, धन को हमले और भ्रष्टाचार से बचाने के लिए उसका संरक्षण करना आवश्यक है.
समकालीन समय में, चूंकि कई राष्ट्रीय हैं, छठी आवश्यकता है, जो मातृभूमि को उसकी पहचान, सुरक्षा, लाभ या सार्वजनिक हितों को होने वाले किसी भी नुकसान से बचाना है.इस सम्मेलन की अध्यक्षता वल्र्ड मुस्लिम लीग के अध्यक्ष डाॅ अल-इस्सा ने की.
इसमें पाकिस्तान के मौलाना फजलुर्रहमान ने भी शिरकत की. इसके अलावा सम्मेलन में दो पवित्र मस्जिदों के प्रेसीडेंसी के प्रमुख और ग्रैंड मस्जिद के इमाम महामहिम शेख डॉ. अब्दुल रहमान बिन अब्दुलअजीज अल-सुदैस, एमडब्ल्यूएल के महासचिव और मुस्लिम विद्वानों के संगठन के अध्यक्ष महामहिम शेख डॉ. मोहम्मद अल-इस्सा ने भी अपने विचार रखे. सम्मेलन में शिकरत करने वालों में
इंडोनेशिया में नहदलातुल उलमा संगठन के अध्यक्ष महामहिम मिफताचुल अखयार, इस्लामिक सहयोग संगठन के महासचिव हिसैन ब्राहिम ताहा,अमीरात परिषद के अध्यक्ष शेख अब्दुल्ला बिन महफुध बिन बय्या आदि भी रहे. इस मौके पर उन्होंने भी अपने विचार साझा किए.