गांव, खेती और न्याय — न्यायमूर्ति भूषण गवई की अनसुनी कहानी

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 15-05-2025
Shining star of justice: Chief Justice B.R. Gavai
Shining star of justice: Chief Justice B.R. Gavai

 

आवाज द वाॅयस मराठी ब्यूरो

भारत के सर्वोच्च न्यायालय के 52वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई का पदभार ग्रहण करना एक प्रेरणादायक यात्रा का परिणाम है, जो अनुशासन, ईमानदारी और अथक परिश्रम की मिसाल प्रस्तुत करता है. उनकी माता, डॉ. कमलताई गवई, हमें उनके जीवन और करियर के उन पहलुओं से परिचित कराती हैं, जिन्होंने उन्हें इस मुकाम तक पहुँचाया.

बचपन से ही मूल्य और संस्कार

बच्चों में स्वाभाविक रूप से अनुकरण की प्रवृत्ति होती है, जिससे यह माता-पिता की जिम्मेदारी बनती है कि वे अच्छे संस्कारों का संचार करें। डॉ. कमलताई गवई का मानना था कि बच्चों को अच्छे संस्कार देने में विशेष ध्यान देना चाहिए.

उनके पति, जिन्हें वे 'दादाशाहेब' कहकर पुकारती थीं, राजनीति में सक्रिय थे और परिवार के लिए कम समय निकाल पाते थे। ऐसे में बच्चों की परवरिश की जिम्मेदारी मुख्य रूप से डॉ. कमलताई पर थी.

भूषण, जो अपने पिता के साथ समय बिताते थे, ने दादाशाहेब की कई विशेषताएँ आत्मसात कीं। विशेष रूप से, जब उनके पिता घर पर नहीं होते थे, तो भूषण ने परिवार की जिम्मेदारियाँ अपने कंधों पर लीं, जो उनकी परिपक्वता और नेतृत्व क्षमता को दर्शाता है।

शिक्षा और प्रारंभिक जीवन

भूषण ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अमरावती के फ्रेज़रपुरा क्षेत्र के एक स्कूल से प्राप्त की, जिससे उन्हें जीवन की वास्तविकताओं का गहरा अनुभव हुआ. इसके बाद, वे मुंबई गए और होली क्रॉस स्कूल में दाखिला लिया, जहाँ से उन्होंने वाणिज्य में डिग्री प्राप्त की। कानून के प्रति रुचि के कारण, उन्होंने कानून की पढ़ाई शुरू की.

मुंबई में अपने पिता के विधायक बनने के बाद, भूषण ने उनके साथ समय बिताया। दादाशाहेब के घर में हमेशा कार्यकर्ताओं का आना-जाना रहता था, जिससे माहौल हमेशा व्यस्त रहता था.

ऐसे में, भूषण ने अपनी पढ़ाई के लिए घर के बरामदे में अध्ययन करना शुरू किया. जब मुंबई में जीवन यापन महंगा हो गया, तो वे अमरावती लौट आए और कृषि कार्य में अपनी माँ का हाथ बटाया.

सरलता और सेवा का जीवन

न्यायमूर्ति भूषण गवई ने हमेशा एक संतुलित जीवन जीने की कोशिश की है — न्यायमूर्ति के रूप में न्यायालय में, और सामान्य व्यक्ति के रूप में समाज में. उनकी किताबों के प्रति प्रेम बचपन से ही था; चौथी कक्षा में ही उनके पास विभिन्न विषयों पर किताबें हुआ करती थीं. वे इतने गहरे अध्ययन में खो जाते थे कि भोजन के समय भी किताबों को छोड़ते नहीं थे..

जहाँ भी उन्होंने न्यायमूर्ति के रूप में कार्य किया, उन्होंने वृक्षारोपण अभियान शुरू किए, बागवानी की, फलदार वृक्ष लगाए और रसोई बगिया बनाए, जो उनके प्रकृति प्रेम को दर्शाता है.

न्यायिक यात्रा और प्रमुख निर्णय

न्यायमूर्ति गवई ने 14नवंबर 2003को बॉम्बे हाई कोर्ट में अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में पदभार ग्रहण किया और 12नवंबर 2005को स्थायी न्यायाधीश बने. इसके बाद, 24मई 2019को उन्हें भारत के सर्वोच्च न्यायालय में न्यायमूर्ति के रूप में नियुक्त किया गया. उनके द्वारा दिए गए कई महत्वपूर्ण निर्णयों में से कुछ प्रमुख हैं:

विवेक नारायण शर्मा बनाम भारत संघ (2023): इस मामले में, न्यायमूर्ति गवई ने बहुमत निर्णय में 2016 के विमुद्रीकरण योजना को संवैधानिक रूप से सही ठहराया.

सुंदरू बनाम छत्तीसगढ़ राज्य: इस मामले में, न्यायमूर्ति गवई ने यह निर्णय दिया कि परिस्थितिजन्य साक्ष्यों के आधार पर अभियुक्त को दोषी ठहराया जा सकता है, विशेषकर जब मुख्य गवाह मुकर जाते हैं..

व्यक्तिगत जीवन और परिवार

न्यायमूर्ति भूषण गवई का जन्म 24 नवंबर 1960को अमरावती में हुआ. उनके पिता, आर.एस. गवई, एक प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता, सांसद और बिहार और केरल के पूर्व राज्यपाल थे.

उनकी माता, डॉ. कमलताई गवई, एक शिक्षिका और समाज सेविका थीं. उनके भाई, राजेंद्र गवई, भी राजनीति में सक्रिय हैं. उनका परिवार डॉ. भीमराव अंबेडकर से प्रेरित है और बौद्ध धर्म का पालन करता है.

करियर की प्रमुख उपलब्धियाँ

जन्म: 24नवंबर 1960, अमरावती, महाराष्ट्र

शिक्षा: नागपुर विश्वविद्यालय से कला और कानून में डिग्री

बार में पंजीकरण: 16मार्च 1985

प्रारंभिक करियर: 1987से 1990तक बॉम्बे हाई कोर्ट में स्वतंत्र रूप से अभ्यास

सरकारी भूमिकाएँ: 1992से 1993तक बॉम्बे हाई कोर्ट के नागपुर खंडपीठ में सहायक सरकारी वकील और अतिरिक्त लोक अभियोजक; 17जनवरी 2000से नागपुर खंडपीठ में सरकारी वकील और लोक अभियोजक

न्यायिक नियुक्तियाँ:

14 नवंबर 2003को बॉम्बे हाई कोर्ट के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति

12 नवंबर 2005को स्थायी न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति

24 मई 2019को सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति

मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति: 14मई 2025

सेवानिवृत्ति: 23नवंबर 2025

न्यायमूर्ति भूषण गवई का जीवन और करियर हमें यह सिखाता है कि कठिनाइयाँ और साधारण पृष्ठभूमि के बावजूद, ईमानदारी, मेहनत और न्याय के प्रति प्रतिबद्धता से किसी भी ऊँचाई को छुआ जा सकता है. उनका यह सफर न केवल उनके परिवार के लिए, बल्कि समग्र समाज के लिए भी प्रेरणास्त्रोत है.