बिहार चुनाव 2025: दूसरे चरण का मतदान, सत्ता की दिशा अब जनता तय करेगी

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 11-11-2025
Bihar Elections 2025: Second phase of voting, the people will now decide the direction of power.
Bihar Elections 2025: Second phase of voting, the people will now decide the direction of power.

 

आवाज द वाॅयस/ नई दिल्ली
 
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का दूसरा और अंतिम चरण आज संपन्न हो रहा है। इस चरण में सिर्फ वोटिंग ही नहीं बल्कि राज्य की सत्ता की दिशा भी तय होगी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनकी सरकार के कई वरिष्ठ मंत्री आज अपनी राजनीतिक प्रतिष्ठा की परीक्षा दे रहे हैं। यह चरण इसलिए भी बेहद अहम माना जा रहा है क्योंकि इससे यह साफ हो जाएगा कि बिहार में अगली सरकार किसकी बनेगी।

इस बार बिहार विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण के लिए 20 जिलों की 122 सीटों पर मतदान होना है। मतदान प्रक्रिया को शांतिपूर्ण और निष्पक्ष बनाए रखने के लिए सुरक्षा के अभूतपूर्व प्रबंध किए गए हैं। अधिकारियों के अनुसार, राज्य में कुल 4 लाख से अधिक सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए हैं। इसमें केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CAPF) की लगभग 500 कंपनियाँ पहले से ही चुनाव ड्यूटी में लगी थीं और उसके बाद 500 और कंपनियाँ राज्य में भेजी गई।

अक्टूबर के तीसरे सप्ताह में अतिरिक्त 500 कंपनियों की तैनाती की गई थी। बिहार पुलिस के 60,000 से अधिक जवान पहले ही चुनाव ड्यूटी में शामिल हैं। इसके अलावा अन्य बलों में बिहार स्पेशल आर्म्ड पुलिस के 30,000 जवान, लगभग 20,000 होम गार्ड, 19,000 नए भर्ती कांस्टेबल और 1.5 लाख ग्रामीण चौकीदार भी मतदान में तैनात हैं। अधिकारियों का कहना है कि सभी पोलिंग बूथ सुरक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं।

इस चरण में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के 12 मंत्रियों की साख दांव पर है। इनमें ऊर्जा, योजना और विकास मंत्री विजेंद्र प्रसाद यादव, उद्योग मंत्री नीतीश मिश्रा, परिवहन मंत्री शीला मंडल, पीएचईडी मंत्री नीरज कुमार सिंह बबलू, गन्ना उद्योग मंत्री कृष्णानंदन पासवान, आपदा प्रबंधन मंत्री विजय कुमार मंडल, खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री लेसी सिंह, भवन निर्माण मंत्री जयंत राज, सहकारिता मंत्री डॉ. प्रेम कुमार, विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री सुमित कुमार सिंह, अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री जमा खान और पशुपालन मंत्री रेणु देवी शामिल हैं।

ऊर्जा, योजना और विकास मंत्री विजेंद्र प्रसाद यादव लगातार नौवीं बार चुनाव लड़ रहे हैं। वे मुख्यमंत्री के सबसे भरोसेमंद और वरिष्ठ मंत्रियों में से एक हैं। उनका कहना है कि जनता ने विकास पर भरोसा किया है और उन्होंने हर घर बिजली, नल-जल, सड़क और पुलिया जैसी बुनियादी सुविधाओं के जाल को मजबूत किया है।

सहकारिता मंत्री डॉ. प्रेम कुमार, जो लगातार आठवीं बार विधायक बन रहे हैं, इस बार एंटी-इंकम्बेंसी के चैलेंज का सामना कर रहे हैं। उन्होंने पर्यटन, सड़क और शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण काम किया है और उनका मानना है कि जनता विकास की राजनीति को पहचानती है।

पूर्व उपमुख्यमंत्री और वर्तमान पशुपालन मंत्री रेणु देवी महिला शक्ति का प्रतीक मानी जाती हैं। उन्होंने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत दुर्गा वाहिनी से की थी और उपमुख्यमंत्री तक का सफर तय किया। अब अपनी विधानसभा सीट पर उनकी साख दांव पर है। वे कहती हैं, “मैंने सेवा की राजनीति की है, पद की नहीं। जनता ने हमेशा स्नेह दिया है और इस बार भी वही आशीर्वाद मिलेगा।”

उद्योग मंत्री नीतीश मिश्रा पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा के पुत्र हैं। वे अपनी सीट से विरासत और विकास मॉडल की परीक्षा दे रहे हैं। उनका कहना है कि पिता की विरासत को आगे बढ़ाते हुए उद्यम और निवेश पर ध्यान दिया गया है।

परिवहन मंत्री शीला मंडल, जो फुलपरास से चुनाव लड़ रही हैं, महिलाओं के सशक्तिकरण की प्रतीक हैं। 1977 में इसी सीट से कर्पूरी ठाकुर मुख्यमंत्री बने थे। उन्होंने कहा, “फुलपरास का नाम अब महिलाओं के सशक्तिकरण से जुड़ गया है। जनता ने जो काम देखा है उस पर भरोसा करेगी।”

पीएचईडी मंत्री नीरज कुमार सिंह बबलू की छवि क्षेत्र में कठोर प्रशासन और बाढ़ प्रबंधन के लिए प्रसिद्ध है। उन्होंने नल-जल, सड़क और बिजली के क्षेत्र में ठोस काम किया है और यह चुनाव उनके लिए अपनी कार्यक्षमता साबित करने का मौका है।

गन्ना उद्योग मंत्री कृष्णानंदन पासवान हरसिद्धि सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। यह क्षेत्र गन्ना किसानों का केंद्र माना जाता है। पासवान कहते हैं, “गन्ना किसानों की समस्याओं का समाधान और मिलों को पुनर्जीवित करना हमारी प्राथमिकता रही है। जनता हमारी मेहनत और ईमानदारी को देख रही है।”

आपदा प्रबंधन मंत्री विजय कुमार मंडल ने बाढ़ और राहत कार्यों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उनका कहना है कि आपदा के समय राहत और पुनर्वास के लिए मजबूत तंत्र तैयार किया गया और जनता उनकी प्रतिबद्धता को देख रही है।

खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री लेसी सिंह लगातार पांचवीं बार जीत चुकी हैं और इस बार छठी बार चुनाव मैदान में हैं। वे मुख्यमंत्री की सबसे भरोसेमंद महिला सहयोगियों में से एक हैं। उनका मानना है कि महिलाओं के सम्मान और सुरक्षा पर किया गया काम उनकी सबसे बड़ी पूंजी है।

भवन निर्माण मंत्री जयंत राज युवा कुशवाहा नेता हैं। उन्होंने अपने क्षेत्र में विकास कार्यों को मुख्य धारा में रखा है और जनता पर भरोसा जताते हुए कहते हैं कि प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के विकास कार्यों से लोग प्रभावित हैं।

विज्ञान, प्रौद्योगिकी और तकनीकी शिक्षा मंत्री सुमित कुमार सिंह पिछली बार निर्दलीय जीतकर मंत्री बने थे, लेकिन इस बार वे जदयू से चुनाव लड़ रहे हैं। उनके सामने चुनौती उनके ही पार्टी के पूर्व प्रत्याशी संजय प्रसाद के रूप में खड़ी है।

अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री जमा खान पिछली बार बसपा से जीते थे और अब जदयू के टिकट पर मैदान में हैं। उनका कहना है कि वे भाईचारे और विकास की राजनीति करते हैं और जनता उनके काम को पहचानती है।

पूर्व मंत्रियों और राजनीतिक दिग्गजों की संख्या भी इस चरण में कम नहीं है। पूर्व विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी, पूर्व उपमुख्यमंत्री तारकेश्वर प्रसाद और कई अन्य वरिष्ठ नेता मैदान में हैं। भाजपा, जदयू, राजद, हम और लोजपा के कई पूर्व और वर्तमान नेता इस चरण में अपनी साख की परीक्षा दे रहे हैं।

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि पहले चरण में एंटी-इंकम्बेंसी की भावना देखने को मिली थी। दूसरे चरण में यही परीक्षा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनके मंत्रियों के लिए असली चुनौती साबित होगी। 14 नवंबर को जब मतों की गिनती होगी, तब तय होगा कि बिहार में विकास की रफ्तार जारी रहेगी या नहीं। सत्ता की राह अब मतदाताओं के फैसले से होकर निकलेगी और इस चरण में हुए मतदान का नतीजा भविष्य की राजनीतिक दिशा तय करेगा।

बिहार के मतदाता इस बार भी अपने फैसले से यह संकेत देंगे कि वे विकास को ही प्राथमिकता देंगे या किसी अन्य राजनीतिक विचारधारा को। यह चरण सिर्फ चुनाव नहीं, बल्कि बिहार की राजनीतिक दिशा की निर्णायक परीक्षा है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व और उनके मंत्रियों के काम को जनता ने करीब से आंका है और आज का दिन उनके लिए असली ‘अग्निपरीक्षा’ साबित होगा।