अमृत पाल की गिरफ्तारी में देरी, खालिस्तान समर्थक विदेशी मीडिया मामले को दे रही है हवा

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 24-03-2023
अमृत पाल की गिरफ्तार में देरी, खालिस्तान समर्थक विदेशी मीडिया मामले को दे रहा हवा
अमृत पाल की गिरफ्तार में देरी, खालिस्तान समर्थक विदेशी मीडिया मामले को दे रहा हवा

 

मलिक असगर हाशमी

खालिस्तान की मांग करने वाला भगौड़ा अमृत पाल सिंह अब तक पुलिस की गिरफ्त से बाहर है. मगर उसकी गिरफ्तारी में हो रही देरी के बहाने खालिस्तान समर्थक विदेशी मीडिया अपने खोल से बाहर आ गई है. इसे मोदी सरकार की नाकामी और ‘सिखों पर जुल्म’ बताकर भारत विरोधी प्रचार के साथ मामले को हवा दे रही है.

इस मामले में पाकिस्तानी मीडिया सबसे आगे, जबकि उसे पता है कि एक पंजाब उसके देश में भी बसता है. खालिस्तानी यह मांग उसके देश में भी उठा सकते हैं. ऐसा माना जाता है कि अपने ऊपर मुसीबत न आए, इसके लिए पाकिस्तान की सरजमीं से भारत विरोधी गतिविधियां चलाने के लिए पाकिस्तान ने खालिस्तान समर्थक को इजाजत दे रखी है.

बहरहाल, पाकिस्तान के उर्दू न्यूज डाॅट काॅम ने ‘इंडियन पुलिस अमृत पाल सिंग की गिरफ्तारी में नाकाम,154 समर्थक गिरफ्तार’षीर्शक से एक लंबी चैड़ी रिपोर्ट प्रकाषित की है. इसमें पंजाब पुलिस महानिरीक्षक सुखचैन सिंह गुल के हवाले से कहा गया है कि अशांति को रोकने के लिए अधिकारियों ने राज्य में हजारों अर्धसैनिक बलों को तैनात किया है.

कुछ क्षेत्रों में मोबाइल इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई हैं.पुलिस ने अब तक अमृत पाल सिंह के 154 समर्थकों को गिरफ्तार किया है और 10 बंदूकें और गोला-बारूद जब्त किए हैं.रिपोर्ट में बताया गया- अमृत पाल सिंह कहते हैं कि वह खालिस्तान आंदोलन का समर्थन करते हैं. उन्होंने फरवरी में अपनी ओर तब ध्यान आकर्षित किया जब उनके सैकड़ों समर्थकों ने जेल में बंद साथी की रिहाई की मांग को लेकर तलवार और बंदूक लेकर पंजाब में मार्च किया. इस दौरान पुलिस स्टेशन पर धावा बोला.

रिपोर्ट में अमृत पाल सिंह का हीरो बनाकर पेश करने के उद्देश्य से एक जगह लिखा गया है-वह दुबई और संयुक्त अरब अमीरात में कई वर्षों तक ट्रक चलाने का काम करते रहे. यह बात बहुत कम लोग जानते हैं.वह 2022 में पंजाब में आए और सिखों के अधिकारों की रक्षा के लिए एक मार्च का नेतृत्व किया. रिपोर्ट के अनुसार भारत में सिखों की आबादी लगभग 1.7 प्रतिशत है.

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रिपोर्ट में अमृत पाल सिंह के बारे में ‘भौकाल’ बनाने के लिए एक जगह लिखा गया है-उनके भाषण खालिस्तान आंदोलन के समर्थकों में तेजी से लोकप्रिय हुए. अधिकारी उन्हें और उनके संबद्ध समूहों को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा मानते हैं.हालांकि यह आंदोलन पिछले कुछ वर्षों में समाप्त हो गया था, पर इसे पंजाब के बाहर कनाडा और यूनाइटेड किंगडम जैसी बड़ी सिख आबादी वाले देश में समर्थन प्राप्त है.

रिपोर्ट में रविवार को अमृत पाल सिंह को गिरफ्तार करने के कदम के विरोध में लंदन में खालिस्तानियों द्वारा भारतीय उच्चायोग में भारतीय ध्वज का अपमान की घटना को चटखारे के साथ छापा है.रिपोर्ट में अमृत पाल सिंह के इस बयान को भी प्रमुखता दी गई है जिसमें उसने कहा है कि खालिस्तान के लिए सशस्त्र विद्रोह का नेतृत्व करने वाले सिख उग्रवादी नेता जरनैल सिंह भिंडरांवाले से वह प्रेरित है.भिंडरावाले और उनके समर्थक 1984 में मारे गए थे.

पाकिस्तान का प्रमुख मीडिया आउटलेट्स ‘जंग’ भी अमृत पाल सिंह और खालिस्तानियों की खबरों को खूब प्रमुखता दे रहा है.‘पंजाब में हो रहे अत्याचारों के खिलाफ लंदन में भारतीय उच्चायोग के सामने सिखों ने किया विरोध प्रदर्शन’षीश्ज्र्ञक छापी गई एक रिपोर्ट में ‘जंग’ कहता है-

भारतीय पंजाब में पुलिस की बर्बरता के खिलाफ सिखों ने लंदन में भारतीय उच्चायोग में विरोध प्रदर्शन किया. यह प्रदर्शन फेडरेशन ऑफ सिख ऑर्गेनाइजेशन और सिख यूथ ऑर्गेनाइजेशन की ओर से आयोजित किया गया था.इस मौके पर सिख युवकों ने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर के साथ अपमानजनक व्यवहार किया था.लंदन के अलावा ब्रिटेन के दूसरे शहरों से भी प्रदर्शनकारी आए थे. इस मौके पर भारतीय उच्चायोग के आसपास का इलाका खालिस्तान के नारों से गूंज उठा.

रिपोर्ट में कहा गया है-‘‘ इस मौके पर बोलते हुए सिख नेताओं ने कहा कि हम भारत से आजादी के मौलिक अधिकार की मांग कर रहे हैं. भारतीय बल द्वारा खालिस्तान आंदोलन को दबाया नहीं जा सकता.’’इस खबर को बढ़ा-चढ़ाकर छापने वाला ‘जंग’ उस सूचना को गोलकर गया, जब खालिस्तानियों के विरोध प्रदर्षन के जवाब में भारतीयों ने तिरंगा लेकर ‘दोस्ती मार्च’ निकाला और सामूहिक तौर पर देषभक्ति के गीत गाए थे.


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दोहा का मीडिया आउटलेट्स ‘अल-जजीरा’ का रूख हमेशा से भारत विरोधी रहा है. वह भी अमृत पाल सिंह की खबर की आड़ में न केवल भारत के विरूद्ध प्रचार में लगा है, इस खबर को खूब हवा दे रहा है.‘अल-जजीरा’ ने भारत और ब्रिटेन के बीच रिश्ते खराब करने की मंशा से एक रिपोर्ट प्रकाशित की है-कैसे अमृतपाल सिंह के लिए भारत की तलाश ने ब्रिटेन के साथ राजनयिक विवाद पैदा कर दिया ’’

रिपोर्ट में कहा गया है-पंजाब राज्य में युवा सिख अलगाववादी की पुलिस की तलाश के कारण भारत और ब्रिटेन के बीच एक सप्ताह से तनावपूर्ण बातचीत चल रही है.रिपोर्ट में आगे कहा गया है-भारत के पश्चिमी राज्य पंजाब में एक कट्टर सिख अलगाववादी की तलाश जारी है और यूनाइटेड किंगडम के साथ एक कूटनीतिक टकराव में बदल गया है.’’

रिपोर्ट में कहा गया है कि बुधवार को ब्रिटिश विदेश सचिव जेम्स क्लीवरली ने कहा कि मिशन के कर्मचारियों के प्रति हिंसा के अस्वीकार्य कृत्यों के बाद देश लंदन में भारतीय उच्चायोग में सुरक्षा की समीक्षा करेगा.इसमें पीटीआई की खबर का हवाला देते हुए कहा गया है कि जैसे को ‘तैसा नीति’ के तहत नई दिल्ली में ब्रिटिश उच्चायोग के बाहर अस्थायी सुरक्षा बैरिकेड्स हटा दी गई है.’’

मीडिया में ऐसी चर्चा है कि ब्रिटेन में पुलिस की मौजूदगी में खालिस्तानियों द्वारा भारतीय उच्चायोग पर लगे तिरंगे के अपमान के जवाब में नई दिल्ली में ब्रिटेन के उच्चायोग से सुरक्षा व्यवस्था घटा दी गई है. हालांकि अभी तक इस मामले में भारत का अधिकारिक बयान नहीं आया है. इसके बावजूद अल-जजीरा ने बिना पुष्टि के इस खबर को हवा दे रहा है.

रिपोर्ट में इससे से दो हाथ आगे जाकर दावा किया गया है-‘‘ इस आंदोलन ने भारत सरकार द्वारा एक विवादास्पद सैन्य अभियान को प्रेरित किया जिसमें हजारों लोग मारे गए.’’ रिपोर्ट में अमृत पाल सिंह को महिमामंडन करने के लिए ‘ कौन हैं अमृतपाल सिंह? ’ हेडिंग से अलग से एक पूरा पैराग्राफ जगह दी गई है.