शहीदों को सलाम: ऑपरेशन सिंदूर के बीच पांच भारतीय जवानों ने दी सर्वोच्च आहुति

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  onikamaheshwari | Date 12-05-2025
Salute to the martyrs: Five Indian soldiers made the supreme sacrifice during Operation Sindoor
Salute to the martyrs: Five Indian soldiers made the supreme sacrifice during Operation Sindoor

 

अमीना माजिद सिद्दीकी

भारत-पाकिस्तान सीमा एक बार फिर से सुलग उठी. नियंत्रण रेखा (LoC) और अंतर्राष्ट्रीय सीमा (IB) पर गूंजती गोलियों और तोपों की आवाज़ें न केवल युद्ध के मोर्चे पर गूंजीं, बल्कि देश के हर कोने में बसे उन घरों तक भी पहुंचीं, जहां मां-बाप, पत्नी, बच्चे और भाई अपने अपनों की सलामती की दुआ कर रहे थे.

ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारत ने आतंक के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई की. लेकिन इस सैन्य कार्रवाई की एक कीमत भी थी—पांच भारतीय सैन्यकर्मियों की शहादत. ये जवान सिर्फ वर्दी नहीं पहनते थे, ये किसी के बेटे, किसी के पिता, किसी के पति और किसी के भाई थे.

1. सार्जेंट सुरेंद्र कुमार मोगा: चार दिन पहले बेंगलुरु से उधमपुर फिर से तैनाती, फिर अंतिम विदाई

भारतीय वायुसेना के मेडिकल असिस्टेंट सार्जेंट सुरेंद्र कुमार मोगा का नाम उन शहीदों में शामिल है जिन्होंने कर्तव्य की वेदी पर अपने प्राण न्यौछावर कर दिए. राजस्थान के झुंझुनू जिले के मेहरदासी गाँव के निवासी मोगा को उनकी शहादत से मात्र चार दिन पहले ही बेंगलुरु से जम्मू-कश्मीर के उधमपुर में तैनात किया गया था.

11 मई को पाकिस्तानी ड्रोन हमलों और भारी गोलाबारी के बीच उनकी जान चली गई. इस तैनाती को भारत की बढ़ती रणनीतिक तैयारी का हिस्सा माना जा रहा था, लेकिन मोगा की यह तैनाती उनके जीवन की अंतिम पोस्टिंग बन गई.

2. सब-इंस्पेक्टर मोहम्मद इम्तियाज: आरएस पुरा सेक्टर में दुश्मन की गोलीबारी के बीच शहीद

सीमा सुरक्षा बल (BSF) के सब-इंस्पेक्टर मोहम्मद इम्तियाज, जम्मू के आरएस पुरा सेक्टर में अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर तैनात थे. ऑपरेशन सिंदूर के बाद सीमा पार से पाकिस्तान की तरफ से की गई गोलाबारी और ड्रोन हमलों ने तनाव को चरम पर पहुंचा दिया था. इसी दौरान, 11मई को एक हमले में इम्तियाज शहीद हो गए.

उनकी बहादुरी और बलिदान को राज्य सरकार ने मान्यता देते हुए उनके परिवार को राज्य मानदेय देने की घोषणा की है. जम्मू के एक सामान्य परिवार से आने वाले इम्तियाज की कहानी हर उस सैनिक की गाथा है, जो अपनी जान की परवाह किए बिना सीमाओं की रक्षा करता है.

3. लांस नायक दिनेश कुमार: छुट्टी से लौटे थे, ड्यूटी पर हो गए शहीद

राष्ट्रीय राइफल्स की 42वीं बटालियन में सेवारत लांस नायक दिनेश कुमार, Mechanized Infantry के बहादुर सिपाही थे. मार्च में वे छुट्टी बिताकर लौटे थे. लेकिन नियति ने कुछ और ही लिखा था.

7 मई को जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा पर संघर्ष विराम के उल्लंघन के दौरान वह शहीद हो गए. हरियाणा के निवासी दिनेश कुमार के परिवार में उनकी पत्नी सीमा, जो एक वकील हैं, और दो छोटे बच्चे हैं. यह परिवार अब केवल तस्वीरों और यादों के सहारे जीएगा, लेकिन पूरे राष्ट्र का सिर उनके बलिदान के आगे झुका रहेगा.

4. राइफलमैन सुनील कुमार: त्रेवा गांव का लाल, सीमा पर अमर

जम्मू के त्रेवा गांव के निवासी राइफलमैन सुनील कुमार भी पाकिस्तान की ओर से हुई जबर्दस्त गोलीबारी में 11मई को आरएस पुरा सेक्टर में शहीद हो गए. ऑपरेशन सिंदूर के बाद सीमा पार से लगातार बढ़ते हमलों में वह दुश्मन की गोली का शिकार बने.

उनका पार्थिव शरीर जब 11मई की शाम उनके गांव पहुंचा, तो पूरे गांव में शोक की लहर दौड़ गई. लोगों ने ‘भारत माता की जय’ के नारों के साथ उन्हें अंतिम विदाई दी. उनकी शहादत ने यह जता दिया कि सीमा की रक्षा में एक गांव का बेटा भी पूरी ताकत से खड़ा है.

5. सैनिक एम मुरली नाइक: आंध्र प्रदेश का जांबाज़, जो शांति से पहले शहादत ले आया

आंध्र प्रदेश के सत्य साईं जिले के 25वर्षीय जवान एम मुरली नाइक ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान अंतिम सांस ली. वह 2018में भारतीय सेना में शामिल हुए थे और जम्मू-कश्मीर राइफल्स यूनिट में तैनात थे.

6मई को उन्होंने अपनी मां से वीडियो कॉल पर बात की थी—जो उनका अंतिम संवाद बन गया. 9मई को जब उनका पार्थिव शरीर उनके पैतृक गांव पहुंचा, तो सैन्य सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया. उनका बलिदान उस शांति के लिए था, जिसकी कीमत कुछ जवान अपने खून से चुका जाते हैं.

राष्ट्र करता है नमन

भारत एक बार फिर उन परिवारों का कर्जदार हो गया है जिन्होंने अपने लाल इस देश के लिए खो दिए. इन पांचों शहीदों की कुर्बानी यह याद दिलाती है कि हर सैन्य कार्रवाई की एक इनसानी कीमत होती है. ऑपरेशन सिंदूर की सफलता इन बहादुरों की शहादत से ही मुकम्मल हुई है.

इनके बलिदान को कभी भुलाया नहीं जा सकेगा. वर्दी के पीछे छुपे इंसान की कहानी अब हर भारतीय के दिल में दर्ज हो गई है.

जय हिंद