नीट 2025: मेवात की मिट्टी से निकली उम्मीद की किरण, अल्वी समाज की दो बेटियाँ बनीं मिसाल

Story by  यूनुस अल्वी | Published by  [email protected] | Date 16-06-2025
NEET 2025: A ray of hope emerged from the soil of Mewat, two daughters of Alvi community became an example
NEET 2025: A ray of hope emerged from the soil of Mewat, two daughters of Alvi community became an example

 

यूनुस अलवी / नूंह ( हरियाणा )

हरियाणा का नूंह जिला, जिसे नीति आयोग ने देश के सबसे पिछड़े जिलों में शुमार किया है, एक नई उम्मीद की लौ से रोशन हो उठा है. ये लौ जली है उस समाज से, जिसे लंबे समय से शिक्षा, संसाधनों और सामाजिक सशक्तिकरण की दृष्टि से हाशिए पर रखा गया — अल्वी समाज. ज़मीन न होने से लेकर शिक्षा की कमी और महिला सशक्तिकरण में पिछड़े होने तक, अल्वी समाज को अक्सर मेवात के सबसे हाशिये पर रहने वाले समुदायों में गिना जाता रहा है.

लेकिन अब इस समाज की दो बेटियों — सैयदा जैनब हुसैन और उनकी मौसी सैयदा सादिया — ने वह कर दिखाया है, जिसे कभी असंभव माना जाता था. इन्होंने NEET 2025 की परीक्षा में शानदार प्रदर्शन कर केवल अपने परिवार ही नहीं, बल्कि पूरे अल्वी समाज और मेवात क्षेत्र को गर्व का अवसर दिया है.

सैयदा जैनब हुसैन, जो कि नूंह जिले की रहने वाली हैं, ने NEET 2025 में 551 अंक प्राप्त कर एक ऐतिहासिक कीर्तिमान रचा है. वो अल्वी समाज की पहली बेटी बन गई हैं, जिसने न केवल अपने समाज, बल्कि पूरे जिला नूंह का नाम राष्ट्रीय स्तर पर रोशन किया है.

अक्सर यह देखा गया है कि इस समाज की बेटियाँ प्राथमिक शिक्षा से आगे नहीं पढ़ पातीं, लेकिन जैनब ने इस धारणा को तोड़ते हुए यह साबित कर दिया कि यदि इरादे मजबूत हों तो कोई भी बाधा स्थायी नहीं होती.

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सैयदा जैनब हुसैन

यह भी उल्लेखनीय है कि जैनब ने यह सफलता तीसरे प्रयास में हासिल की, जो उनकी दृढ़ता और आत्मविश्वास की मिसाल है.जैनब की खास मौसी, सैयदा सादिया ने भी NEET 2025 में 536 अंक अर्जित कर यह साबित कर दिया कि यह उपलब्धि महज़ एक संयोग नहीं, बल्कि एक सामाजिक परिवर्तन की शुरुआत है.

जैनब के पिता जाकिर हुसैन, जो हरियाणा पुलिस में असिस्टेंट सब-इंस्पेक्टर के पद पर कार्यरत हैं, इस समय एसपी ऑफिस नूंह की सिक्योरिटी ब्रांच में तैनात हैं. उनका मूल गांव कामेंडा (फिरोजपुर झिरका) है. हालांकि अब वे नूंह में निवास कर रहे हैं.

जैनब के दादा स्वर्गीय जमील अहमद भारतीय स्टेट बैंक में हेड गार्ड के पद पर कार्यरत थे. ऐसे मध्यमवर्गीय परिवार में पली-बढ़ी जैनब का मेडिकल परीक्षा जैसे प्रतिस्पर्धी क्षेत्र में सफल होना केवल व्यक्तिगत जीत नहीं, बल्कि सामाजिक और सामुदायिक प्रेरणा का स्रोत बन गया है.

जाकिर हुसैन बताते हैं कि “जैनब शुरू से पढ़ाई में होनहार है. दो बार असफल होने के बावजूद उसने हार नहीं मानी. हर बार असफलता से सीख लेकर आगे बढ़ी और इस बार अच्छे अंकों से नीट पास कर दिखाया कि जज्बा हो तो कामयाबी ज़रूर मिलती है.”

इसी तरह सैयदा सादिया का परिवार भी साधारण पृष्ठभूमि से आता है. उनके पिता हाजी इसरायल, जो कि मेवात सिविल सर्जन ऑफिस में ड्राइवर के पद से 2016 में सेवानिवृत्त हुए थे, ने अपनी सभी बेटियों को अच्छी शिक्षा दिलाने में कोई कसर नहीं छोड़ी.

जाकिर हुसैन के अनुसार, उनकी पत्नी भले ही सिर्फ मेट्रिक पास हों, लेकिन उनकी सभी बहनें एमए, डबल एमए और उनके एक भाई एमबीबीएस कर रहे हैं. यह इस बात का प्रमाण है कि एक परिवार यदि शिक्षा को प्राथमिकता दे, तो सामाजिक बदलाव संभव है.


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सैयदा सादिया

इन दोनों बेटियों की सफलता ने पूरे अल्वी समाज को नई दिशा और उम्मीद दी है. समाज के प्रमुख लोग जैसे कि जिला पार्षद साबिर हुसैन, जैकम अलवी, गुलाम नबी आज़ाद, सैयद जाकिर हुसैन और मास्टर नाजिम हुसैन ने जैनब और सादिया के घर जाकर उन्हें और उनके परिवार को बधाई दी.

नूंह बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष ताहिर हुसैन रुपड़िया ने स्वयं जैनब के घर जाकर कहा कि “इन बेटियों ने नीट की परीक्षा पास कर समाज की अन्य बेटियों के लिए एक रास्ता खोल दिया है. ये एक मिसाल बनेगी जो आने वाले समय में मिशन की तरह काम करेगी.”

उनका यह भी कहना था कि “मेवात जैसे इलाके में, जहां महिला डॉक्टरों की भारी कमी है, जब हमारी अपनी बेटियाँ डॉक्टर बनेंगी, तो वे यहाँ की महिलाओं का न केवल बेहतर इलाज करेंगी, बल्कि समाज की सोच को भी बदलेंगी..”

अल्वी समाज की इस उपलब्धि को महज़ दो बेटियों की कामयाबी के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए. यह उस बदलाव का प्रतीक है, जिसकी नींव शिक्षा के माध्यम से रखी जा सकती है.

जैनब और सादिया की सफलता ने यह संदेश दिया है कि सीमाओं, रूढ़ियों और संसाधनों की कमी को मात दी जा सकती है — यदि परिवार साथ हो, और इरादा मजबूत.

इस जीत का जश्न केवल नूंह जिले तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरे मेवात और उन सभी पिछड़े समुदायों के लिए प्रेरणा बन सकती है, जो अब तक यह मानते रहे हैं कि यह रास्ता उनके लिए नहीं बना.

NEET 2025 में अल्वी समाज की दो बेटियों — सैयदा जैनब हुसैन और सैयदा सादिया — की यह ऐतिहासिक सफलता न केवल एक शैक्षणिक उपलब्धि है, बल्कि सामाजिक क्रांति की आहट भी है। यह मेवात के लिए एक नए दौर की शुरुआत हो सकती है, जहाँ शिक्षा केवल सपना नहीं, हकीकत बनती जा रही है।

इन बेटियों ने दिखा दिया है — अगर हौसला बुलंद हो, तो कोई भी समाज पीछे नहीं रह सकता !!!