आवाज द वाॅयस ब्यूरो
पिछले ग्यारह वर्षों में भारत के रक्षा क्षेत्र ने एक ऐतिहासिक बदलाव का अनुभव किया है. कभी सीमित पैमाने और महत्वाकांक्षाओं के बीच सिमटा यह क्षेत्र अब आत्मविश्वास से भरे और आत्मनिर्भर रक्षा ईको सिस्टम में बदल चुका है. इस परिवर्तन की जड़ें एक स्पष्ट राजनीतिक दिशा, रणनीतिक सोच और नवाचार के प्रति प्रतिबद्धता में हैं. जहां पहले रक्षा उत्पादन और खरीद का बड़ा हिस्सा विदेशी स्रोतों से होता था, वहीं अब भारत ने स्वदेशी विकास, विनिर्माण और निर्यात को प्राथमिकता दी है.
रक्षा बजट में भारी वृद्धि इस प्रतिबद्धता का प्रमाण है। वर्ष 2013-14 में 2.53 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर यह 2025-26 में 6.81 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है.
इस बढ़ते बजट के पीछे एक सशक्त, सुरक्षित और आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना है, जिसमें निजी उद्योगों, स्टार्टअप्स, अनुसंधान संस्थानों और सशस्त्र बलों की साझेदारी से एक जीवंत रक्षा ईकोसिस्टम का निर्माण किया जा रहा है.
स्वदेशी रक्षा उत्पादन
2014-15 में 46,429 करोड़ रुपये से बढ़कर 2023-24 में भारत का रक्षा उत्पादन 1.27 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया, जो 174 प्रतिशत की वृद्धि है। यह बदलाव केवल आंकड़ों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह आत्मनिर्भरता की एक स्पष्ट दिशा की ओर बढ़ने का संकेत देता है.
भारत ने आयात पर निर्भरता कम कर, स्वदेशी डिजाइन और तकनीक के साथ एक मजबूत औद्योगिक आधार खड़ा किया है. रक्षा अधिग्रहण में घरेलू खरीद को प्राथमिकता देने की नीति ने इस क्षेत्र में नई ऊर्जा भर दी है.
मिसाइल, लड़ाकू विमान, रडार, निगरानी प्रणाली और तोप जैसे महत्वपूर्ण रक्षा उपकरण अब देश के भीतर ही बनाए जा रहे हैं. सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों की कंपनियों ने इस प्रक्रिया में समान रूप से भागीदारी निभाई है.
ऐतिहासिक रक्षा अनुबंध और निवेश
वर्ष 2024-25 में, रक्षा मंत्रालय ने रिकॉर्ड 2.09 लाख करोड़ रुपये मूल्य के 193 अनुबंधों पर हस्ताक्षर किए. इनमें से 177 अनुबंध घरेलू उद्योग के साथ हुए, जिनकी कुल कीमत 1.68 लाख करोड़ रुपये रही. इससे स्वदेशी उत्पादन को मजबूती मिली है और रोजगार के नए अवसर सृजित हुए हैं.
उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में बनाए गए दो रक्षा औद्योगिक गलियारों ने 8,658 करोड़ रुपये का निवेश आकर्षित किया है, जबकि 253 एमओयू पर हस्ताक्षर कर लगभग 53,000 करोड़ रुपये की निवेश क्षमता वाली परियोजनाएं स्थापित की जा रही हैं. इन गलियारों के तहत निर्माणाधीन 11 इकाइयां भारत को एक वैश्विक रक्षा विनिर्माण केंद्र बनाने की दिशा में अग्रसर हैं.
नवाचार की दिशा में कदम
'इनोवेशन फॉर डिफेंस एक्सीलेंस' (iDEX) कार्यक्रम ने रक्षा क्षेत्र में स्टार्टअप्स, MSMEs और इनोवेटर्स के लिए अवसरों के द्वार खोले हैं. इस कार्यक्रम के तहत 43 वस्तुएं सशस्त्र बलों द्वारा खरीदी गईं, जिनकी कुल कीमत 2,400 करोड़ रुपये से अधिक रही। 2025-26 के बजट में इस योजना के लिए 449.62 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं. अब तक 430 अनुबंध किए जा चुके हैं और 619 स्टार्टअप्स सक्रिय हैं.
रक्षा निर्यात में ऐतिहासिक वृद्धि
भारत का रक्षा निर्यात 2013-14 में 686 करोड़ रुपये से बढ़कर 2024-25 में 23,622 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है, जो 34 गुना की वृद्धि है. यह सरकार की निरंतर नीतिगत पहल, स्वदेशी उत्पादन को प्रोत्साहन, और वैश्विक बाजारों में भारत की बढ़ती विश्वसनीयता का परिणाम है. अकेले 2024-25 में 1,700 से अधिक निर्यात प्राधिकरण जारी किए गए और भारत अब 100 से अधिक देशों को रक्षा उपकरण निर्यात कर रहा है.
निर्यात किए गए प्रमुख उत्पादों में बुलेटप्रूफ जैकेट, चेतक हेलीकॉप्टर, गश्ती नौकाएं, रडार, टॉरपीडो और डोर्नियर विमान शामिल हैं. प्रमुख खरीदारों में अमेरिका, फ्रांस और आर्मेनिया जैसे देश शामिल हैं, जो भारत की रक्षा गुणवत्ता और विश्वसनीयता पर विश्वास का प्रमाण हैं.
महत्वपूर्ण रक्षा अधिग्रहण
2024-25 में भारत ने कई बड़े रक्षा सौदों को अंतिम रूप दिया है. इनमें ब्रह्मोस मिसाइलों की खरीद के लिए 19,518 करोड़ रुपये का सौदा, अमेरिका से एमक्यू-9बी ड्रोन का अधिग्रहण, 62,700 करोड़ रुपये में 156 प्रचंड हेलीकॉप्टरों की खरीद, और एडवांस्ड टोड आर्टिलरी गन सिस्टम (ATAGS) का ऑर्डर शामिल है. इसके साथ ही, उन्नत मध्यम लड़ाकू विमान (AMCA) परियोजना को भी स्वीकृति दी गई है, जो भारत की एयरोस्पेस क्षमताओं में एक बड़ा कदम है.
नारी शक्ति और सैन्य सेवा
भारत की रक्षा सेवाओं में महिलाओं की भूमिका भी लगातार बढ़ रही है. 2014 में जहां केवल 3,000 महिला अधिकारी थीं, वहीं 2025 तक यह संख्या 11,000 से अधिक हो चुकी है. महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन, एनडीए में प्रवेश, और लड़ाकू मिशनों में भागीदारी जैसे ऐतिहासिक कदमों ने रक्षा सेवाओं में लैंगिक समानता को सशक्त किया है.
आंतरिक सुरक्षा और आतंकवाद-रोधी नीति
भारत ने सीमाओं के पार आतंकी ठिकानों पर सर्जिकल स्ट्राइक (2016) और बालाकोट एयर स्ट्राइक (2019) जैसे निर्णायक कदम उठाए हैं. अप्रैल 2025 में हुए 'ऑपरेशन सिंदूर' ने एक बार फिर साबित किया कि भारत अपनी सुरक्षा के मामले में अब कोई समझौता नहीं करता. इस ऑपरेशन में नौ आतंकी शिविरों को निशाना बनाया गया और 100 से अधिक आतंकवादियों को समाप्त किया गया.
पाकिस्तान द्वारा भारतीय ठिकानों पर किए गए ड्रोन हमलों को भारत की नेट-केंद्रित युद्ध प्रणाली और काउंटर-यूएएस ग्रिड ने तुरंत निष्क्रिय कर दिया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राष्ट्र के नाम संबोधन में यह स्पष्ट किया गया कि भारत अब न आतंकवाद बर्दाश्त करेगा और न ही परमाणु धमकियों से डरेगा.
जम्मू-कश्मीर में बदलाव
5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 और 35-ए के हटाए जाने के बाद जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को भारत के अन्य भागों के समान संवैधानिक दर्जा मिला. इसके बाद से क्षेत्र में विकास की गति तेज हुई है और सुरक्षा की स्थिति में जबरदस्त सुधार आया है. 2024 में यहां सिर्फ़ 28 आतंकवादी घटनाएं हुईं, जो 2018 की तुलना में 87 प्रतिशत की गिरावट है.
नक्सलवाद पर निर्णायक प्रहार
2010 में 126 जिलों में फैले नक्सल प्रभावित क्षेत्र 2024 तक घटकर केवल 38 रह गए हैं. हिंसा की घटनाओं में 81 प्रतिशत और मौतों में 85 प्रतिशत की कमी आई है. 2024 में 290 नक्सलियों को मारा गया, 1,090 को गिरफ्तार किया गया और 881 ने आत्मसमर्पण किया. ऑपरेशन ब्लैक फॉरेस्ट जैसे अभियानों से उच्च स्तरीय माओवादी नेतृत्व को खत्म करने में बड़ी सफलता मिली है.
भारत की रक्षा नीति में पिछले एक दशक के भीतर जो परिवर्तन आया है, वह केवल सैन्य शक्ति का विस्तार नहीं, बल्कि आत्मनिर्भरता, तकनीकी प्रगति, वैश्विक साझेदारी और राष्ट्रीय सुरक्षा की व्यापक परिभाषा है.
आज भारत केवल एक रक्षा उपकरणों का उपभोक्ता नहीं, बल्कि एक निर्माता, निर्यातक और रणनीतिक शक्ति बन चुका है. यह परिवर्तन आने वाले समय में भारत को वैश्विक मंच पर और अधिक प्रभावशाली और सुरक्षित राष्ट्र के रूप में स्थापित करेगा.स्रोतः पीआईबी