सेराज अनवर/पटना
मस्जिदें सिर्फ नमाज़ के लिए हैं यह परिकल्पना अब टूटने लगी है.बिहार में एक ऐसी भी मस्जिद है जहां सिर्फ नमाज़ी ही नहीं बनाये जाते,शिक्षक भी पैदा किये जा रहे हैं.मुसलमान मशविरा बहुत देता है,मार्ग कोई नहीं दिखाता.मगर गया की सबसे बड़ी जामा मस्जिद ने ऐसी मिसाल पेश की है जिस पर आज पूरा बिहार गर्व कर रहा है.1890 में स्थापित इस मस्जिद ने पंद्रह छात्र को सरकारी टीचर बना कर कमाल कर दिया है.
इसमें सात बेटियां हैं.उस पर कमाल यह कि बिहार लोक सेवा आयोग(बीपीएससी)द्वारा संचालित परीक्षा में सभी पास हुए हैं.बिहार में अब शिक्षक बहाली परीक्षा बीपीएससी ले रहा है.सराय रोड स्थित जामा मस्जिद देश की सम्भवतः पहली मस्जिद है जहां से इतनी बड़ी संख्या में क़ौम के बच्चे और बच्चियां टीचर बन कर निकली हैं.
गौरतलब है कि बीते वर्षों से जामा मस्जिद मुस्लिम बच्चों और बच्चियों को मुफ़्त में बीपीएससी की कोचिंग कराती है.टीचर में पहली बार प्रयास किया और सफल रही.
ये हैं सफल परीक्षार्थी
जामा मस्जिद बीपीएससी कोचिंग सेंटर से शिक्षक बहाली में सफल होने वाले परीक्षार्थी में मोहम्मद तनवीर, शाकिब अंसारी,इमरान आलम, मोहम्मद अली जौहर,शगुफ़्ता राहत,राफिया परवीन,रिफत नईम, रौनक़ ज़ेया,मोहम्मद शाकिर, वसीउल्लाह,आसफा खातून,शाजिया परवीन,मोहम्मद अरशद,मोहम्मद अबुल हयात,नाहिद परवीन का नाम प्रमुख है.
इसमें ग्यारह की बहाली 1-5 क्लास के छात्र-छात्राओं को पढ़ाने केलिए,तीन टीचरों की बहाली 9-10 क्लास के लिए और एक की बहाली 11-12 कक्षा के लिए हुई है.कामयाब परीक्षार्थी में सात बेटियां हैं.बिहार में टीचर की बहाली अब आसान नहीं रह गयी है.
शिक्षक बनने के केलिए बीपीएससी के कठिन परीक्षा से गुज़रना पड़ता है.बीपीएससी प्रशासनिक अधिकारियों की बहाली के लिए परीक्षा लेता है.इस साल से सरकार ने टीचर बहाली की ज़िम्मेवारी भी बीपीएससी के सुपुर्द की है.
इस लिहाज़ से टीचर में पास करना भी बड़ी कामयाबी मानी जा रही है.इसी कोचिंग सेंटर से तीन लड़के दूसरी परीक्षा में सफल हुए हैं.मोहम्मद हसीबुर्रहमान की नियुक्ति बिहार पुलिस में सब इंस्पेक्टर के पद पर हुई है.
जबकि मोहम्मद अफ़ग़ान अली की नियुक्ति सेंट्रल गवर्नमेंट में हुई है और कैफ़ अंसारी की जॉब मुम्बई रेलवे में लगी है.टीचर में भी बताते हैं कि तीन का रिज़ल्ट पेंडिंग है.जामा मस्जिद कोचिंग सेंटर से टीचर की परीक्षा में 36 के लगभग छात्र-छात्राओं ने तैयारी की थी.कामयाबी का प्रतिशत संतोषजनक है.
क्या कहते हैं ज़िम्मेदारान ?
जामा मस्जिद कमिटी के अध्यक्ष प्रो.मोहम्मद हबीब इस कामयाबी से बहुत ख़ुश हैं.उन्होंने आवाज़ द वायस से कहा-हमारा मक़सद यही था,हमारी मस्जिदें मिसाल बने.यहां से क़ौम के बच्चे अच्छी नौकरियों में जायें.टीचर में मिली कामयाबी ने हमारे हौसले को बुलंद किया है.
हमारे बच्चे को जॉब मिले ये पूरी क़ौम की कामयाबी है.अब बीपीएससी परीक्षा में ज़ोर लगाया जायेगा,इंशाल्लाह जल्द अफसर भी बनायेंगे.कोचिंग सेंटर के एक और ज़िम्मेदार शाद आलम उर्फ़ सुलन भाई कहते हैं कि यह एक बड़ी कामयाबी है.
पहले हमलोग बीपीएससी पर फ़ोकस कर रहे थे.टीचर की बहाली निकली तो लगा इसकी तैयारी भी करायी जाये और पहली फुर्सत में कामयाबी हाथ लग गयी.आगे एसएससी,इनकम टैक्स परीक्षा की भी तैयारी करायी जायेगी.
हम रुकेंगे नहीं.एक आदमी की नौकरी से एक पूरा घर चलता है.उन्होंने बताया कि हमलोगों को यह तकनीक भी अपनानी होगी कि जहां वैकेंसी ज़्यादा है उस प्रतियोगी परीक्षा में भी बच्चों को बिठाया जाये और ऐसा ही हुआ.
प्रो.हबीब अल्पसंख्यक संस्थान मिर्ज़ा ग़ालिब कॉलेज में प्रोफ़ेसर थे.उनके शिक्षण अनुभव का यह कोचिंग लाभ उठा रहा है.जामा मस्जिद के सचिव हाजी सैयद अख़्तर हसनैन उर्फ हस्नु मियां हैं.कोचिंग को चलाने में उनकी भी महती भूमिका है.पिछले वर्ष इसके उद्घाटन में बिहार राज्य सुन्नी वक़्फ बोर्ड के चेयरमैन मोहम्मद इरशादुल्लाह,इस्लामिक स्कॉलर मौलाना शमीम अहमद मुनअमी,अल्पसंख्यक कल्याण विभाग बिहार सरकार के निदेशक आफ़ाक अहमद फ़ैज़ी शामिल हुए थे.
इस कोचिंग की स्थापना के बाद पहला रिज़ल्ट है ,पहला ख़ुशी का लम्हा है.एक साल पूर्व जामा मस्जिद कमेटी ने लीक से हट कर चलने का जो संकल्प लिया था समाज को एक साथ पंद्रह टीचर दे कर आज सूफी पीर मंसूर की सरज़मीं गौरवान्वित महसूस कर रहा है.आवाज़ द वायस इस पहल और इस अहद को सलाम करता है