नौशाद अख्तर / पटना
बिहार के मधुबनी जिले के राठौस गांव के पैरा तैराक शम्स आलम इस साल 14वीं राष्ट्रीय तक्षशिला ओपन वाटर तैराकी प्रतियोगिता में इतिहास रचने की तैयारी में हैं. वह इस आयोजन में भाग लेने वाले पहले पैराप्लेजिया से पीड़ित तैराक होंगे. यह प्रतियोगिता पटना में गंगा नदी के किनारे, शिव घाट दीघा से लॉ कॉलेज घाट तक 12 किलोमीटर की चुनौतीपूर्ण दूरी पर आयोजित होगी, जिसमें विभिन्न राज्यों से लगभग 50 तैराक शामिल होंगे.
यह आयोजन भारतीय तैराकी महासंघ से संबद्ध बिहार तैराकी संघ द्वारा आयोजित किया जा रहा है, जो विकलांगता समावेशन और समावेशी खेलों का अद्वितीय उदाहरण पेश करेगा.
शम्स आलम का प्रेरणादायक सफर
शम्स का सफर एक मिसाल है. एक समय में वह एक ब्लैक बेल्ट मार्शल आर्टिस्ट थे. 24 वर्ष की उम्र में एक असफल सर्जरी के बाद उन्हें कमर के नीचे लकवा मार गया. इस दुर्घटना ने उनकी जिंदगी को एक नई दिशा दी. हालांकि यह चुनौतीपूर्ण समय था.
शम्स ने हिम्मत नहीं हारी और तैराकी को अपने जुनून के रूप में अपनाया. उन्होंने 2012 में राज्य चैम्पियनशिप में रजत और कांस्य पदक जीते, जो उनकी मेहनत और साहस का परिणाम था. इसके बाद उन्होंने कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में पदक हासिल किए, जिसमें गोवा में हुई 24वीं राष्ट्रीय पैरा तैराकी चैम्पियनशिप में स्वर्ण, रजत और कांस्य पदक शामिल हैं.
विकलांगता समावेशन और सीबीएम इंडिया का समर्थन
शम्स को सीबीएम इंडिया नामक गैर-लाभकारी संगठन का महत्वपूर्ण समर्थन मिला है, जो विकलांग व्यक्तियों के लिए एक समावेशी समाज के निर्माण के लिए काम करता है. शम्स उन 17 पैरा एथलीटों में से एक हैं, जिन्हें सीबीएम इंडिया का सहयोग मिला है.
यह संगठन उन्हें उनकी विशेष आवश्यकताओं के अनुरूप आर्थिक और मानसिक समर्थन प्रदान करता है, ताकि वे अपने सपनों को पूरा कर सकें. शम्स आलम का कहना है, "सीबीएम इंडिया का समर्थन मेरे लिए गेम-चेंजर साबित हुआ है. इसने मुझे न केवल आर्थिक मदद दी, बल्कि मेरे आत्मविश्वास को भी बढ़ावा दिया, जिससे मैं अपने प्रदर्शन पर ध्यान केंद्रित कर पाया."
तक्षशिला ओपन तैराकी प्रतियोगिता का महत्व
इस साल की राष्ट्रीय तक्षशिला ओपन तैराकी प्रतियोगिता समावेशी खेलों का प्रतीक बनकर उभरी है. इस प्रतियोगिता में शम्स आलम जैसे पैरा तैराकों की भागीदारी यह साबित करती है कि विकलांगता के बावजूद कुछ भी असंभव नहीं.
बिहार तैराकी संघ की अध्यक्ष प्रोफेसर माया शंकर, सचिव राम बिलास पांडेऔर संयुक्त सचिव पंकज कुमार ने प्रतियोगिता के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह आयोजन दिखाता है कि सही समर्थन और समर्पण के साथ प्रतिस्पर्धी खेल सभी के लिए सुलभ हो सकते हैं.
अंतर्राष्ट्रीय पहचान की ओर
शम्स आलम का सपना सिर्फ राष्ट्रीय मंचों पर ही नहीं, अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी देश का नाम रोशन करने का है. वह विश्व रिकॉर्ड यूनियन से मान्यता प्राप्त करना चाहते हैं. प्रतियोगिता में विश्व रिकॉर्ड यूनियन के अधिकारी क्रिस्टोफर टेलर क्राफ्ट विशेष रूप से उपस्थित रहेंगे और रिकॉर्ड को मान्यता देंगे.
भविष्य की दिशा: समावेशिता और दृढ़ संकल्प का प्रतीक
शम्स आलम जैसे एथलीट न केवल अपनी शारीरिक क्षमता का प्रदर्शन करेंगे, बल्कि यह साबित करेंगे कि सही समर्थन और समर्पण के साथ, किसी भी चुनौती को पार किया जा सकता है. सीबीएम इंडिया, बिहार तैराकी संघ और अन्य संगठनों का यह प्रयास विकलांगता को चुनौती नहीं, बल्कि क्षमता के रूप में देखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.
यह आयोजन केवल एक खेल प्रतियोगिता नहीं है, बल्कि समाज में एक सकारात्मक संदेश भी देने जा रहा है – चाहे कोई भी विकलांगता हो, यदि हमें सही समर्थन मिले, तो हम किसी भी चुनौती का सामना कर सकते हैं और सफलता प्राप्त कर सकते हैं.
सीबीएम इंडिया के बारे में
सीबीएम इंडिया एक गैर-लाभकारी संगठन है जो भारत के गरीब समुदायों में विकलांग व्यक्तियों के जीवन में सुधार लाने के लिए काम करता है. यह संगठन स्वास्थ्य, शिक्षा और आजीविका के क्षेत्रों में विकलांग लोगों की भागीदारी सुनिश्चित करने का प्रयास करता है ताकि वे अपनी पूर्ण क्षमता को प्राप्त कर सकें.