नई दिल्ली
इंडियन सुपर लीग (आईएसएल) में सालों से कई विदेशी खिलाड़ियों ने अपना जलवा दिखाया है। ये खिलाड़ी अपने अनुभव, शैली और पेशेवर रवैये के साथ न केवल टीमों को मजबूती प्रदान करते हैं, बल्कि भारतीय फुटबॉल को वैश्विक मानचित्र पर भी ले जाते हैं। कई खिलाड़ी शानदार प्रदर्शन के बाद अन्य अवसरों की तलाश में आगे बढ़े, लेकिन कुछ ऐसे भी रहे जिन्होंने इस लीग की बढ़ती प्रतिष्ठा और अधूरी कहानी को पूरा करने की चाह में वापसी की।
इनकी वापसी सिर्फ दूसरी बार मौका पाने के लिए नहीं थी, बल्कि लीग में अपनी विरासत, प्रभाव और कभी-कभी प्रायश्चित को पूरा करने की प्रेरणा से थी। इन वापसी करने वाले सितारों ने यह साबित किया कि आईएसएल अब भी उनके फुटबॉल सफर का अहम हिस्सा है।
एली साबिया (Eli Sabia)
ब्राजीलियाई डिफेंडर एली साबिया ने 2016 में चेन्नइयन एफसी के साथ आईएसएल में कदम रखा। अपने शांत व्यवहार और रक्षात्मक समझ के कारण उन्होंने टीम की रक्षा पंक्ति को मजबूती दी। एक ब्रेक के बाद उन्होंने 2018-19 सीज़न में फिर से वापसी की और तीन सीज़न तक टीम की डिफेंस की रीढ़ बने रहे।
बाद में वे जमशेदपुर एफसी से जुड़े और उनकी अनुभवजन्य भूमिका ने क्लब को आईएसएल शील्ड जिताने में अहम योगदान दिया। साबिया की भूमिका न सिर्फ अनुभव की रही, बल्कि उन्होंने युवा खिलाड़ियों को मार्गदर्शन देकर टीम के लिए स्थायित्व भी सुनिश्चित किया।
कार्लोस डेलगाडो (Carlos Delgado)
स्पेनिश डिफेंडर कार्लोस डेलगाडो 2019-20 में ओडिशा एफसी से जुड़े थे। दो साल के ब्रेक के बाद वे 2022-23 सीज़न में क्लब में लौटे। उनकी वापसी से ओडिशा की रक्षा पंक्ति को स्थिरता और अनुभव मिला, जिससे टीम पहली बार आईएसएल प्लेऑफ़ में पहुंची और फिर अगले सीजन सेमीफाइनल तक का सफर तय किया।
डेलगाडो का नेतृत्व ओडिशा एफसी को शीर्ष क्लबों में शुमार करने में सहायक रहा और उन्होंने खुद को क्लब का अभिन्न हिस्सा बना लिया।
ओदेई ओनाइंडिया (Odei Onaindia)
हैदराबाद एफसी के लिए 2020-21 में डेब्यू करने वाले स्पेनिश सेंटर-बैक ओनाइंडिया ने अपने शांत मिजाज और उत्कृष्ट पोजिशनिंग से टीम की रक्षा को सशक्त किया। एक साल स्पेन में बिताने के बाद वे 2022-23 में फिर लौटे और पहले से भी अधिक प्रभावशाली साबित हुए।
बाद में वे एफसी गोवा से जुड़े और कोच मानोलो मार्क्वेज के साथ मिलकर डिफेंस को मजबूती दी। कलींगा सुपर कप में भी उनका प्रदर्शन शानदार रहा।
स्टीफन एज़े (Stephen Eze)
नाइजीरियाई डिफेंडर स्टीफन एज़े ने 2020-21 में जमशेदपुर एफसी के लिए शानदार प्रदर्शन किया था। फिर विदेश में कुछ समय बिताने के बाद उन्होंने 2024-25 सीज़न में क्लब में वापसी की।
उनकी ताकत और अनुभव ने टीम की रक्षा को मजबूती दी, जिससे क्लब सेमीफाइनल तक पहुँचा और कलींगा सुपर कप का उपविजेता रहा। एज़े की वापसी ने न केवल रक्षा को बल दिया, बल्कि प्रशंसकों में उम्मीद की लौ भी जगाई।
जॉर्ज ओर्टिज़ (Jorge Ortiz)
एफसी गोवा के लिए 2020 से 2022 तक खेले स्पेनिश फॉरवर्ड ओर्टिज़ ने दो सीज़न में 21 गोल में भागीदारी की थी। बाद में वे चीन चले गए, लेकिन 2024-25 के मध्य में उन्होंने मुंबई सिटी एफसी के साथ आईएसएल में वापसी की।
हालाँकि उन्होंने कोई गोल या असिस्ट नहीं किया, लेकिन उनके आने से मुंबई के हमले में रचनात्मकता और धार आई, जिससे टीम प्लेऑफ़ तक पहुँच सकी।
राफेल मेसी बोउली (Raphael Messi Bouli)
कैमरून के स्ट्राइकर मेसी बोउली ने 2019-20 में केरल ब्लास्टर्स एफसी के लिए 8 गोल और 1 असिस्ट के साथ दमदार प्रदर्शन किया था। चार साल के लंबे अंतराल के बाद 2024-25 में वे ईस्ट बंगाल एफसी से जुड़े।
महज पाँच मैचों में तीन गोल में योगदान देकर उन्होंने अपने इरादे जाहिर कर दिए। उनकी फिजिकल उपस्थिति, होल्ड-अप प्ले और लिंक-अप क्षमताओं ने ईस्ट बंगाल के आक्रमण को नया तेवर दिया।
विक्टर मोंगिल (Victor Mongil)
स्पेनिश डिफेंडर मोंगिल ने 2019-20 में एटीके एफसी के साथ आईएसएल कप जीतकर अपनी शुरुआत की। फिर उन्होंने ओडिशा एफसी और बाद में केरल ब्लास्टर्स एफसी के साथ वापसी की।
हर बार उन्होंने शांत और अनुशासित खेल से डिफेंस को मजबूती दी। ओडिशा में वे कप्तानी भी कर चुके हैं और केरल के साथ प्लेऑफ़ तक का सफर तय किया।
अन्य उल्लेखनीय नाम
आईएसएल में वापसी करने वाले अन्य विदेशी खिलाड़ियों में स्टीफन पियर्सन (Stephen Pearson), जॉर्डन मरे (Jordan Murray) और माइकल चोपड़ा (Michael Chopra) जैसे खिलाड़ी भी शामिल हैं, जिन्होंने लीग में अपनी छाप छोड़ी।
इन वापसी करने वाले खिलाड़ियों ने यह दिखा दिया कि आईएसएल केवल एक मंच नहीं, बल्कि एक अनुभव है — ऐसा अनुभव जो खिलाड़ियों को फिर से भारत लौटने को प्रेरित करता है। उनका दोबारा आना केवल फुटबॉल के लिए ही नहीं, बल्कि भारत के उभरते फुटबॉल परिदृश्य के लिए भी महत्वपूर्ण संकेत है।