मंजीत ठाकुर
ये तो बैमंटी हो गई.
कोई ऐसे थोड़े न मेहमानों के साथ करता है. दिल्ली टेस्ट में भारतीय फिरकी गेंदबाजों ने तो कंगारू बल्लेबाजों को कथक करवा दिया. मेहमानों को दो टेस्ट मैच हार चुके हैं और इस तरह बर्डर गावस्कर ट्रॉफी हिंदुस्तान के पास ही रहने वाली है.
वैसे, दो मैचों में ऑस्ट्रेलिया का खेल लूजर की तरह का रहा है. वरना ऑस्ट्रेलियाई को मैदान पर खासे चंट हुआ करते थे. स्टीव वॉ, मैथ्यू हैडन, सायमंड्स, ब्रेट ली, मैकग्रा, गिलक्रिस्ट जैसे धाकड़ बल्लेबाजों वाली टीम हिंदुस्तान में नागपुर और दिल्ली में ताश के पत्तों की तरह भहरा गई. ऑस्ट्रेलिया अपने पुराने खेल की परछाईं भी नहीं है.
कई लोगों का आरोप है भारत में पिचें जानबूझ कर ऐसी बनाई गईं. बढ़िया, तो ऑस्ट्रेलिया में कैसी पिचें बनाई जाती हैं. नागपुर में लाल मिट्टी थी. तो दिल्ली में क्या हुआ. और क्यों ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी दिल्ली के विकेट पर बार-बार स्वीप शॉट मारने को उतारू थे.
सचाई यही है कि स्टीव स्मिथ, मार्नस लाबूशेन और डेविड वॉर्नर जैसे खिलाड़ी हिंदुस्तान में आकर क्लब दर्जे के खिलाड़ियों की तरह खेल रहे थे. एक मात्र कलाकार ख्वाजा उस्मान रहे, जिनके बल्ले से दिल्ली टेस्ट की पहली पारी में चमक बिखरी थी.
विकेट को दोष देना आसान है. खुद को साबित करना मुश्किल. इसमें कोई दो राय नहीं कि भारतीय गेंदबाजों ने बढ़िया खेल दिखा. बढ़िया नहीं, उनकी गेदबाजी में नश्तर जैसी धार थी जिसमें ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज गाजर मूली की तरह कटे.
यहां तक कि ऑस्ट्रेलिया के कई बल्लेबाज बड़े शॉट लगाने की कोशिश में गिर गए. उनके खेल को देखकरदिनेश कार्तिक और ऑस्ट्रेलिया के पूर्व सलामी बल्लेबाज मैथ्यू हेडन ने उनकी मानसिकता की आलोचना की. कार्तिक और हेडन दोनों ने कहा कि ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों को इस तरह से स्वीप शॉट नहीं खेलने चाहिए.
एक बातचीत में मैथ्यू हेडन ने ऑस्ट्रेलिया की स्वीप शॉट रणनीति पर कहा, "यह यहां एक अच्छा विकल्प है लेकिन आपको यह जानने की जरूरत है कि कैसे. लाइन से बहुत दूर नहीं जा सकते. गेंद की लाइन के साथ आने की जरूरत है.”दिनेश कार्तिक ने कहा, "अगर ऑस्ट्रेलिया के पास ब्लूप्रिंट होता, तो उसे इस विकेट पर बहुत ज्यादा स्वीप शॉट नहीं खेलना चाहिए था, जहां गेंद नीची रखी गई है."
कार्तिक ने इसके बाद प्लान पर ही सवाल खड़े कर दिए. सवाल यही है कि ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट को भारत में आकर क्या हो जाता है.
2018 से लेकर भारत ने कुल 17 टेस्ट मैच खेले हैं. लेकिन इनमें से सिर्फ दो ही पांचवे दिन तक खेला गया. भारतीय पिचों पर विपक्षी बल्लेबाज मुकाबला तो दूर, किसी तरह थोड़े बहुत रन जुटाने की हिकमत में लगे रहते हैं. भारत 15 टेस्ट सीरीज से अविजित रहा है. नागपुर और दिल्ली टेस्ट ने साबित किया है कि ऐसा क्यों है. दिल्ली टेस्ट में जीत के बाद अगर अहमदाबाद में भी भारत मैच जीत जाता है या ड्रॉ हो जाता है तो भारत लगातार 16वीं टेस्ट सीरीज में जीत हासिल करेगा.
इस जीत में भारतीय स्पिनरों का कमाल देखिए, वतन में खेलते हुए 2018 के बाद से अश्विन, जाडेजा और अक्षर पटेल के विकटों का योगदान 202 विकेट हैं. अश्विन ने 18 मैचों में कुल 106 विकेट लिए हैं जबकि जाडेजा ने 13 मैचों में 57 और अक्षर ने 39. इन विकेटों से महज अंदाजा लगाया जा सकता है कि घरेलू पिच पर गेंदों को नचाने के हमारे हुनरबाज कैसे हैं.
ये तीनो ही गेंदबाज बढ़िया ऑलराउंडर हैं और मौका पड़ने पर अच्छे रन भी बना सकते हैं. ऑस्ट्रेलिया कोहली, रोहित और पुजारा को आउट कर भी ले तो कम से कम जाडेजा और अश्विन बल्लेबाजी करने के लिए होते ही हैं.
नागपुर टेस्ट तक के आंकड़ों को देखें तो जाडेजा ने जून 2018 के बाद से 65.9 के औसत से बल्लेबाजी की है और दो शतक और 5 पचासे जोड़े हैं. अक्षर पटेल ने दो अर्धशतक और अश्विन ने एक शतक और एक अर्धशतक जोड़े हैं.
दिल्ली टेस्ट जीतने के बाद से दो बातें तय हो गई हैं. पहला, बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी भारत के पास ही रहेगी और भारत ने इसे लगातार चौथी बार जीत लिया है. दूसरा, भारत अब विश्व टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल में तकरीबन पहुंच गया है. तकरीबन इसलिए क्योंकि अगर इस सीरीज में ऑस्ट्रेलिया के हाथों आखिरी दो टेस्ट भारत हार भी गया तो भी भारत को फाइनल में जाने से रोकने के लिए श्रीलंका को न्यूजीलैंड में 2-0 से टेस्ट सीरीज जीतनी होगी.