आवाज द वाॅयस / नई दिल्ली
भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) की वित्तीय ताकत का बड़ा स्तंभ इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) है. वित्तीय वर्ष 2023-24 में बीसीसीआई की कुल आय 9,742 करोड़ रुपये रही, जिसमें से आईपीएल अकेले 5,761 करोड़ रुपये (कुल आय का 59.10%) का योगदान देता है.
आईपीएल का ब्रांड वैल्यू और प्रसारण अधिकार बीसीसीआई के लिए सबसे बड़ा वित्तीय इंजन साबित हो रहे हैं. वित्तीय विशेषज्ञों का अनुमान है कि आने वाले वर्षों में आईपीएल से बीसीसीआई की आय हर साल 10-12% की दर से बढ़ सकती है, जिससे यह टूर्नामेंट भारतीय क्रिकेट की अर्थव्यवस्था की रीढ़ बन चुका है.
बीसीसीआई को महिला प्रीमियर लीग (डब्ल्यूपीएल), अंतरराष्ट्रीय मैचों के प्रसारण अधिकार और प्रमुख प्रायोजकों से भी अच्छी कमाई होती है. भारतीय टीम के अंतरराष्ट्रीय मैचों से बीसीसीआई ने 361 करोड़ रुपये की आय दर्ज की। इसके अलावा, आईसीसी से 1,042 करोड़ रुपये की आय हुई, जो कुल आय का लगभग 10.70% है.
बीसीसीआई की वित्तीय स्थिति का एक और बड़ा स्तंभ इसकी लगभग 30,000 करोड़ रुपये की सावधि जमा राशि (FDs) है. इस राशि पर मिलने वाले ब्याज से बोर्ड को सालाना करीब 1,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त कमाई होती है.
बीसीसीआई की बढ़ती आर्थिक ताकत ने न केवल भारतीय क्रिकेट को आत्मनिर्भर बनाया है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) भी भारतीय बोर्ड पर अधिक वित्तीय रूप से निर्भर हो रही है. आर्थिक विश्लेषकों का मानना है कि आईपीएल के लगातार विस्तार और ब्रांड वैल्यू में वृद्धि के चलते भारतीय क्रिकेट की आर्थिक पकड़ और मजबूत होती जाएगी.