आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
केरल में जाति-आधारित उत्पीड़न और सामाजिक असमानता के खिलाफ लड़ाई लड़ने वाले महात्मा अय्यंकाली की 162वीं जयंती बृहस्पतिवार को मनाई गई.
इस अवसर पर केरल के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर, मुख्यमंत्री पिनराई विजयन और अन्य नेताओं ने समाज सुधारक को श्रद्धांजलि दी.
अय्यंकाली (1863 से 1941) ने तत्कालीन त्रावणकोर रियासत के जाति-ग्रस्त समाज में दबे-कुचले वर्गों के अधिकारों के लिए आंदोलन का नेतृत्व किया. वह केरल के इतिहास में सबसे महत्वपूर्ण हस्तियों में से एक माने जाते हैं.
आर्लेकर ने एक फेसबुक पोस्ट में कहा कि समाज सुधारक ने ‘‘अपने साहस, समानता और सामाजिक न्याय’’ से पीढ़ियों को प्रेरित किया.
उन्होंने अपने पोस्ट में कहा, ‘‘महात्मा अय्यंकाली की जयंती पर उन्हें मेरा विनम्र नमन। वह एक दूरदर्शी सुधारक थे, उन्होंने जाति-आधारित उत्पीड़न का मुकाबला किया और हाशिए पर पड़े लोगों के लिए शिक्षा का बीड़ा उठाया। अपने साहस, समानता और सामाजिक न्याय से उन्होंने पीढ़ियों को प्रेरित किया.’’
विजयन ने भी एक सोशल मीडिया पोस्ट के माध्यम से समाज सुधारक को श्रद्धांजलि दी. मुख्यमंत्री ने एक फेसबुक पोस्ट में कहा कि अय्यंकाली के नेतृत्व वाले संघर्षों ने आधुनिक केरल की नींव रखने में अमूल्य भूमिका निभाई और इसके इतिहास की दिशा बदल दी.
विजयन ने दलित बच्चों को स्कूल में प्रवेश नहीं देने के खिलाफ अय्यंकाली के संघर्ष और खेतिहर मजदूरों की मजदूरी बढ़ाने के संघर्ष को भी याद किया।
मुख्यमंत्री ने अपने पोस्ट में कहा, ‘‘केरल ने आज तक जो सामाजिक प्रगति हासिल की है, वह अय्यंकाली के नेतृत्व वाले संघर्षों पर आधारित है। उनके संघर्षों की स्मृति हमें इन उपलब्धियों की रक्षा करने और केरल को सांप्रदायिक मतभेदों और सामाजिक असमानता को दूर करते हुए समानता पर आधारित समाज में बदलने की शक्ति देगी.
राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता वी.डी. सतीसन ने भी एक सोशल मीडिया पोस्ट में समाज सुधारक को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि अय्यंकाली का ‘‘गरीबों के अधिकारों के लिए अथक संघर्ष आज भी प्रेरणादायी है’.
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की केरल इकाई के अध्यक्ष राजीव चंद्रशेखर ने अय्यंकाली को एक दूरदर्शी सुधारक बताया, जिन्होंने जातिगत बंधनों को तोड़ा और शिक्षा, सम्मान और समानता का मार्ग प्रशस्त किया.