अलीगढ़. अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के दर्शनशास्त्र विभाग ने एक विशेष व्याख्यान ‘वर्तमान विश्व में मूल्यों की प्रासंगिकताः इस्लामी और वेदांतिक दृष्टिकोण’ का आयोजन किया, जिसमें पश्चिम बंगाल के शांतिनिकेतन में विश्व भारती विश्वविद्यालय के दर्शनशास्त्र और तुलनात्मक धर्म विभाग के पूर्व प्रमुख प्रो. सिराजुल इस्लाम ने महत्वपूर्ण विचार साझा किए.
प्रो. सिराजुल इस्लाम ने अपने व्याख्यान में तर्क दिया कि मूल्य एक अनिश्चित इकाई हैं, जो मानवीय आवेगों और नैतिक योग्यता को नियंत्रित करते हैं. उन्होंने मूल्यों को व्यक्तिगत स्तर पर आंतरिक और सामूहिक स्तर पर बाहरी के साथ आंतरिक और बाहरी रूपों में वर्गीकृत किया. व्याख्यान में आज के समाज में मूल्यों की आवश्यकता को पूरा करने के लिए वैज्ञानिक आविष्कारों की आवश्यकता पर जोर दिया गया.
उन्होंने इस्लामी और वेदांतिक शिक्षाओं के निष्कर्षों के साथ समकालीन समय में मूल्य के महत्व पर चर्चा की. उन्होंने कहा कि पवित्र कुरान की कई आयतें, जैसे सूरा 103, अल-असर, नेक कार्य सिखाती हैं और हमें सच्चाई, वास्तविकता, अधिकार और धैर्य की याद दिलाती हैं. इसी प्रकार, वेदांत मूल्यों को दिशाचार (स्थानीय या लोक) और सार्वभौमिक मूल्य (ब्राह्मण) में वर्गीकृत करता है.
विभाग के अध्यक्ष डॉ. अकील अहमद ने अतिथि वक्ता का स्वागत किया और मूल्यों की अवधारणा का परिचय दिया, जिसमें प्राचीन काल से लेकर इस्लामी और वेदांत परिप्रेक्ष्य से लेकर समकालीन काल तक इसकी आवश्यकता को बताया गया.
अपने अध्यक्षीय भाषण में, पूर्व अध्यक्ष, प्रो. लतीफ हुसैन शाह काजमी ने वैश्विक मूल्यों की स्थापना के लिए प्रत्येक व्यक्ति के कार्यों का मूल्यांकन करने के लिए आवश्यक कर्तव्यनिष्ठा की विचारोत्तेजक धारणा पर प्रकाश डाला. कार्यक्रम का संचालन एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ. हिना मुश्ताक ने किया.
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