कौन है शिल्पगुरु दिलशाद हुसैन जिनको मिला 'पद्मश्री' अवॉर्ड, पीएम मोदी भी हैं इनकी कला के कायल

Story by  ओनिका माहेश्वरी | Published by  onikamaheshwari | Date 26-03-2023
कौन है शिल्पगुरु दिलशाद हुसैन जिनको मिला 'पद्मश्री' अवॉर्ड
कौन है शिल्पगुरु दिलशाद हुसैन जिनको मिला 'पद्मश्री' अवॉर्ड

 

ओनिका माहेश्वरी/ नई दिल्ली 

पीतलनगरी का नाम पदमश्री से भी जुड़ गया. पीतल पर नायाब दस्तकारी के उस्ताद दिलशाद हुसैन को महामहिम  ने पद्मश्री अवार्ड देकर नवाजा. बुधवार शाम राष्ट्रपति भवन में आयोजित भव्य समारोह में देश की 105 हस्तियों को पद्मश्री अवार्ड देकर सम्मानित किया. मुरादाबाद के शिल्पकार दिलशाद हुसैन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हाथों पद्मश्री से सम्मानित किया गया. 

 
समारोह में दिलशाद हुसैन के बेटे शहजाद अली, ऑल इंडिया हैंडीक्राफ्ट बोर्ड के पूर्व सदस्य एवं ब्रास कारखानेदार एसोसिएशन के अध्यक्ष आजम अंसारी, हैंडीक्राफ्ट डेवलपमेंट सोसाइटी के अध्यक्ष नोमान मंसूरी भी शामिल रहे. आजम अंसारी ने दिलशाद हुसैन को पद्मश्री से सम्मानित होने को मुरादाबाद समेत देशभर के शिल्पकारों के लिए गौरवमयी क्षण बताया.
 
दिलशाद को पद्मश्री प्राप्त होने की खबर मिलते ही मुरादाबाद के निर्यातकों, कारखानेदारों, शिल्पकारों की तरफ से उन्हें मुबारकबाद मिलने का सिलसिला शुरू हो गया जो देर रात तक जारी रहा.
 
 
राष्ट्रपति भवन में अवार्ड वितरण समारोह से पहले चाय पर सम्मानित होने वाली हस्तियां राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री से रूबरू हुँए. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुरादाबादी के तौर पर दिलशाद हुसैन का नाम लिया. 
 
दिलशाद ने पीएम से कहा कि जर्मनी के चांसलर को आपकी तरफ से दिया गया तोहफा दुनिया भर में अब मोदी मटके के नाम से प्रसिद्ध हो गया है.  79 वर्षीय दिलशाद की कलश पर नक्काशी देखकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लखनऊ में सराहना की थी. उन्होंने अगस्त 2022 में जी-7 सम्मेलन में जर्मनी के चांसलर को दिलशाद हुसैन द्वारा बनाया कलश भेंट किया था.
 
इस मटके को मुरादाबाद के शिल्पकार दिलशाद हुसैन ने अप बेजोड़ नक्काशी से तराशा था. आजम अंसारी ने बताया वितरण समारोह के दौरान केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी व अनुराग ठाकुर ने खुद को मुरादाबादी बताकर मुरादाबाद के शिल्पकारों का उत्साह बढ़ा दिया.
 
दिलशाद हुसैन को राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित होने के साथ ही शिल्पगुरु का खिताब भी मिल चुका है. वह कोई भी उत्पाद तैयार करते हैं तो उद्योग निदेशालय एवं उद्यम प्रोत्साहन को मास्टर पीस के फोटो भी भेज देते हैं.
 
मुरादाबाद शहर के मकबरा दोयम कैथ वाली मस्जिद वाली गली में रहने वाले दिलशाद हुसैन के साथ कई उपलब्धियां जुड़ी हैं. उनके हाथों में जादू है. पीतल पर उनके हाथों से अनूठी कलाकृतियां निकलती है. उन्होंने पीतल की प्लेट पर नक्काशी के माध्यम से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तस्वीर भी बनाई है.
 
वह प्लेन फूलदान, कलश, बोतल, लोटा, लुटिया आदि पर खोदाई करके फूल पत्तियों की झड़ी लगा देते हैं. बारीक नक्काशी किसी मशीन से नहीं बनाई जा सकती, नपे तुले और सधे अंदाज में खुद दिलशाद ही बनाते हैं. इनकी नक्काशी के काम को टर्की, रशिया और दुबई में पसंद किया जाता है.
 
पूरा परिवार है हस्तशिल्पी
 
दिलशाद हुसैन को पद्मश्री, राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित होने के साथ ही शिल्पगुरु का खिताब भी मिल चुका है. वह कोई भी उत्पाद तैयार करते हैं तो उद्योग निदेशालय एवं उद्यम प्रोत्साहन को मास्टर पीस के फोटो भी भेज देते हैं. जिससे उनके द्वारा तैयार किए गए नक्काशी के कलश और अन्य उत्पाद की मांग रहती है. उनकी पत्नी, बेटा, बेटियां और बहू भी इस काम में विशेषज्ञता रखते हैं. उनकी दोनों पुत्रवधुओं को राज्यपाल से पुरस्कार मिल चुका है.
 
 
मुरादाबाद में पहली बार मिलेगा किसी शख्सियत को पद्मश्री का सम्मान
 
ईरान में भी नक्काशी सिखाकर आए हैं दिलशाद को राष्ट्रपति पुरस्कार मिलने के साथ ही शिल्पगुरु का खिताब भी मिल चुका था. वर्ष 2015 में वह विशेष आमंत्रण पर ईरान भी गए थे. वहां लोगों को मुरादाबाद कलम (नक्काशी करने वाला औजार) चलाना सिखाया. वह बताते हैं कि नक्काशी की कला दादा अब्दुल अखलाक हमीद से 10 साल की उम्र में सीखनी शुरू की थी. दादा के स्वर्गवास होने के बाद उनके चाचा कल्लू अंसार ने उन्हें सिखाया.
 
आधी दुनिया में कर चुके हैं लाइव प्रदर्शन
 
शिल्पगुरु दिलशाद हुसैन यूं ही इस मुकाम तक नहीं पहुंचे हैं. छोटी सी उम्र में ही उन्होंने दस्तकारी का हुनर सीखा. समय के साथ उसे मांझा. अपनी कल्पनाओं के रंग भरे. परंपरागत कला को नए आयाम दिए. उनकी कला में जो बात है, वह अन्य दस्कारों की बस की बात नहीं. हस्तशिल्प निर्यात संवर्धन परिषद के वह सदस्य है. भारत व विदेश में लगने वाले फेयर में ईपीसीएच की ओर से उन्हें ले जाया जाता है. सभी फेयर में वह लाइव प्रदर्शन करते हैं.
 
विदेशी खरीदार भी उनकी कला को देखने के लिए रुक जाते हैं और घंटों खड़े होकर एकटक देखते रहते हैं. घंटों बैठने के लिए जो संयम, धैर्य, लगातार निगाहें गढ़ाए रखकर काम करना का हुनर उन्हें दूसरों से अलग बनाता है. वह कलश, जार व अन्य पीतल के उत्पाद पर कलम (नक्काशी करने वाला बारीक पेंसिल की तरह औजार) की मदद से वह नक्काशी करके दिखाते हैं.
 
घर में भी लगाते हैं नक्काशी की क्लास
 
शिल्पगुरु दिलशाद हुसैन मकान के भूतल में अपनी क्लास चलाते हैं. बारीक नक्काशी वह स्वयं करते हैं. इस दौरान जो सीखने के लिए आते हैं. उन्हें भी वहीं बैठा लेते हैं. उन्होंने एक दो नहीं बल्कि सैकड़ों नक्काशी के कारीगर शहर में पैदा कर दिए हैं. उनका कहना है कि काम करने वाले की कोई उम्र नहीं होती है. इसलिए मेहनत करते रहिये.
 
आंख, हाथ और दिमाग की एकाग्रता से आता निखार
 
शिल्पगुरु दिलशाह हुसैन बताते हैं कि नक्काशी के लिए दिमाग, आंख और हाथों को एकाग्र होकर लगाया जाता है. पीतल के किसी भी बर्तन पर पहले पेंसिल से कच्चा डिजाइन बनाया जाता है. इसके बाद फिर नुकीली कलम चलाई जाती है. देश की सरकार हर हुनर कि पहचान कर उसका सम्मान कर रही है. युवाओं को भी सिखाने का काम हो रहा है. जिससे युवा मुरादाबाद की पहचान को आगे बढ़ा सकें.