राकेश चौरासिया
‘चिट्ठी आई है’ की कालजयी रचना को सुरों से सजाने वाले पंकज उधास चिर निद्रा में विलीन हो गए हैं. मखमली आवाज के मालिक पंकज अब नींद से उठने वाले नहीं. उनका लंबी बीमारी के बाद 72 साल की उम्र में निधन हो गया है. गजल सम्राट पंकज उधास को 2006 में भारत के चौथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्मश्री से सम्मानित किया गया था. उनकी बेटी नायाब उधास से जब गजल की दुनिया में इस लेजेंडरी सिंगर के बारे में यह दुखभरी खबर पहुंची, तो मौसीकी की दुनिया में मातम छा गया.
पंकज उधास को गजल गायन के लिए विशेष रूप से प्रसिद्धि मिली है, जो अपनी मधुर आवाज और भावपूर्ण गायकी के लिए जाने जाते हैं. पंकज उधास का जन्म 17 मई 1951 को गुजरात के जेतपुर में हुआ था. उनके पिता केशुभाई उधास एक सरकारी कर्मचारी थे और उनकी माता सुशीला उधास एक गृहिणी थीं. पंकज उधास ने अपनी शुरुआती शिक्षा जेतपुर में ही प्राप्त की.
पंकज उधास को बचपन से ही संगीत में रुचि थी. उन्होंने अपने पिता से संगीत सीखना शुरू किया. उन्होंने शास्त्रीय संगीत और गजल दोनों सीखीं. पंकज उधास ने अपने करियर की शुरुआत एक गायक के रूप में आकाशवाणी से की. उन्होंने कई गजलें और भक्ति गीत गाए. पंकज उधास को 1980 के दशक में फिल्म नाम में गायकी से प्रसिद्धि मिली. इस फिल्म में उनका गाया गीत ‘चिट्ठी आई है’ बहुत लोकप्रिय हुआ.
मधुर आवाजः पंकज उधास की आवाज बहुत ही मधुर और मधुर है. उनकी आवाज में एक गहरापन है, जो गजल के भावों को बखूबी व्यक्त करता है.
भावपूर्ण गायकीः पंकज उधास गजल को केवल गाते नहीं, बल्कि उसे जीते हैं. वे गजल के हर शब्द को महसूस करते हैं और उसे अपनी आवाज में ढालते हैं.
शब्दों का चयनः पंकज उधास गजल के लिए शब्दों का चयन बहुत ही सावधानी से करते हैं. वे ऐसे शब्दों का चयन करते हैं, जो गजल के भावों को बखूबी व्यक्त करते हैं.
प्रसिद्ध गजलेंः पंकज उधास ने कई प्रसिद्ध गजलें गाई हैं, जिनमें ‘चित्ठी आई है’, ‘दिल जब से टूट गया’, ‘हमने खामोशी से’, और ‘जिंदगी को गुजारने के लिए’ शामिल हैं.
पुरस्कार और सम्मानः पंकज उधास को उनके गायन के लिए कई पुरस्कार और सम्मान मिले हैं, जिनमें पद्म श्री, संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार और फिल्मफेयर पुरस्कार शामिल हैं.
पंकज उधास ने गजल को लोकप्रिय बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. वे गजल के सबसे लोकप्रिय गायकों में से एक हैं और उनकी गायकी दुनिया भर में लोगों द्वारा पसंद की जाती है. पंकज उधास गजल के अलावा भक्ति गीत और फिल्म गीत भी गाए हैं. पंकज उधास ने कई एल्बम भी रिकॉर्ड किए हैं. पंकज उधास ने कई देशों में प्रदर्शन किया है और दुनिया भर में उनके प्रशंसक हैं.
उनकी गायी कुछ मशहूर गजलेंः
हम्म.. हम्म.. हम्म..
चिट्ठी आई है, आई है, चिट्ठी आई है
चिट्ठी आई है, आई है, चिट्ठी आई है
चिट्ठी आई है वतन से, चिट्ठी आयी है
बड़े दिनों के बाद, हम बेवतनों को याद
बड़े दिनों के बाद, हम बेवतनों को याद
वतन की मिट्टी आई है..ए..
चिट्ठी आई है आई है, चिट्ठी आई है
चिट्ठी आई है वतन से, चिट्ठी आयी है
ऊपर मेरा नाम लिखा है
अंदर ये पैगाम लिखा है
ओ परदेस को जाने वाले
लौट के फिर ना आने वाले
सात समुंदर पार गया तू
हमको जिंदा मार गया तू
खून के रिश्ते तोड़ गया तू
आँख में आँसू छोड़ गया तू
कम खाते हैं, कम सोते हैं
बहुत ज्यादा हम रोते हैं
चिट्ठी आई है
चिट्ठी आई है, आई है, चिट्ठी आई है
चिट्ठी आई है वतन से, चिट्ठी आयी है
सूनी हो गईं शहर की गलियाँ
कांटे बन गईं बाग की कलियाँ
केहते हैं सावन के झूले
भूल गया तू हम नहीं भूले
तेरे बिन जब आई दीवाली
दीप नहीं दिल जले हैं खाली
तेरे बिन जब आई होली
पिचकारी से छूटी गोली
पीपल सूना पनघट सूना
घर शमशान का बना नमूना
फसल कटी आई बैसाखी
तेरा आना रह गया बाकी
चिट्ठी आई है
चिट्ठी आई है, आई है, चिट्ठी आई है
चिट्ठी आई है वतन से, चिट्ठी आयी है
पेहले जब तू खत लिखता था
कागज में चेहरा दिखता था
बंद हुआ ये मेल भी अब तो
खतम हुआ ये खेल भी अब तो
डोली में जब बैठी बहना
रस्ता देख रहे थे नैना
मैं तो बाप हूँ मेरा क्या है
तेरी माँ का हाल बुरा है
तेरी बीवी करती है सेवा
सूरत से लगती है बेवा
तूने पैसा बहोत कमाया
इस पैसे ने देश छुड़ाया
देस पराया छोडके आजा
पंछी पिंजरा तोड़ के आजा
देस पराया छोड़ के आजा
पंछी पिंजरा तोड़ के आजा
आजा उमर बहुत है छोटी
अपने घर में भी है रोटी
चिट्ठी आई है
चिट्ठी आई है, आई है, चिट्ठी आई है
बड़े दिनों के बाद, हम बेवतनों को याद
वतन की मिट्टी आई है..ए..
चिट्ठी आई है आई है, चिट्ठी आई है
चिट्ठी आई है वतन से, चिट्ठी आयी है
बड़े दिनों के बाद३ हमने बे-वतनो को याद
वतन की मिट्टी आई है
चिट्ठी आई है आई है, चिट्ठी आई है
चांदी जैसा रंग है तेरा , सोने जैसे बाल
एक तू ही धनवान है गोरी , बाकी सब कंगाल
जिस रस्ते से तू गुजरे , वो फूलों से भर जाये
तेरे पैर की कोमल आहट सोते भाग जगाये
जो पत्थर छु ले गोरी तू वो हीरा बन जाये
तू जिसको मिल जाये वो हो जाये मालामाल
एक तू ही धनवान है गोरी , बाकी सब कंगाल
जो बे -रंग हो उस पर क्या क्या रंग जमाते लोग
तू नादाँ न जाने कैसे रूप चुराते लोग
नजरें भर भर देखें तुझको आते जाते लोग
छैल छबीली रानी थोडा घूंघट और निकाल
एक तू ही धनवान है गोरी , बाकी सब कंगाल
धनक घटा कलियाँ और तारे सब हैं तेरा रूप
गजलें हों या गीत हों मेरे सब में तेरा रूप
यूँही चमकती रहे हमेशा तेरे हुस्न की धुप
तुझे नजर न लगे किसी की जिए हजारों साल
एक तूही धनवान है गोरी , बाकी सब कंगाल
चांदी जैसा रंग है तेरा , सोने जैसे बाल
एक तू ही धनवान है गोरी , बाकी सब कंगाल
दीवारों से मिलकर रोना अच्छा लगता है
हम भी पागल हो जायेंगे, ऐसा लगता है
दीवारों से मिलकर रोना अच्छा लगता है
हम भी पागल हो जायेंगे, ऐसा लगता है
दीवारों से
दुनिया भर की यादें हमसे मिलने आती हैं
दुनिया भर की यादें हमसे मिलने आती हैं
शाम ढले इस सूने घर में मेला लगता है
शाम ढले इस सूने घर में मेला लगता है
हम भी पागल हो जायेंगे, ऐसा लगता है
दीवारों से
कितने दिनों के प्यासे होंगे यारों सोचो तो
कितने दिनों के प्यासे होंगे यारों सोचो तो
शबनम का कतरा भी जिनको दरिया लगता है
शबनम का कतरा भी जिनको दरिया लगता है
हम भी पागल हो जायेंगे, ऐसा लगता है
दीवारों से
किसको कैसर पत्थर मारूं कौन पराया है
किसको कैसर पत्थर मारूं कौन पराया है
शीश-महल में एक एक चेहरा अपना लगता है
शीश-महल में एक एक चेहरा अपना लगता है
हम भी पागल हो जायेंगे, ऐसा लगता है
दीवारों से मिलकर रोना अच्छा लगता है
हम भी पागल हो जायेंगे, ऐसा लगता है
दीवारों से
ये इंतजार गलत है के शाम हो जाए
जो हो सके तो अभी दौर-ए-जाम हो जाए
मुझ जैसे रिंद को भी तूने हश्र में, या रब
बुला लिया है तो कुछ इंतिजाम हो जाये
हुई महँगी बहुत ही शराब
के थोड़ी थोड़ी पिया करो
पियो लेकिन रखो हिसाब
के थोड़ी थोड़ी पिया करो
गम का दौर हो या हो खुशी
समाँ बाँधती है शराब
एक मशवरा है जनाब
के थोड़ी थोड़ी पिया करो
दिल के जख्मों को सीना क्या
पीने के लिये जीना क्या
फूँक डाले जिगर को शराब
के थोड़ी थोड़ी पिया करो
दिलबर की बातों में नशा
जुल्फों में नशा, आँखों में नशा
मय से बढ़ के उसका शबाब
के थोड़ी थोड़ी पिया करो
सब को मालूम है मैं शराबी नहीं
फिर भी कोई पिलाए तो मैं क्या करूँ
सिर्फ एक बार नजरों से नजरें मिलें
और कसम टूट जाए तो मैं क्या करूँ
मुझको मयकश समझते हैं सब वादाकश
क्यूँ कि उनकी तरह लड़खड़ाता हूँ मैं
मेरी रग-रग में नशा मुहब्बत का है
जो समझ में ना आए तो मैं क्या करूँ
मैंने मांगी थी मस्जिदों में दुआ
मैं जिसे चाहता हूं वो मुझको मिले
मेरा जो फर्ज था मैं पूरा किया
गर ख़ुदा ही न चाहे तो मैं क्या करूं
हाल सुन कर मेरा सहमे-सहमे हैं वो
कोई आया है जुल्फें बिखेरे हुए
मौत और जिंदगी दोनों हैरान हैं
दम निकलने न पाए तो मैं क्या करूँ
तेरी निगाह से ऐसी शराब पी मैने की
फिर ना होश का दावा किया कभी मैने
वो और होंगे जिन्हें मौत आ गई होगी
निगाहें यार से पाई है जिंदगी मैने
ऐ गम-ए-जिंदगी कुछ तो दे मशवरा
एक तरफ उसका घर, एक तरफ मयकदा
मैं कहाँ जाऊँ होता नहीं फैसला
एक तरफ उसका घर, एक तरफ मयकदा
एक तरफ बाम पर कोई गुलफाम है
एक तरफ महफिलें बादा-ओ-जाम है
मेरा दोनोसे है कुछ ना कुछ वास्ता
एक तरफ उसका घर, एक तरफ मयकदा
उसके दर से उठा तो किधर जाऊँगा
मयकदा छोड़ दूँगा तो मैं मर जाऊँगा
सख़्त मुश्किल में हूँ क्या करूँ ऐ खुदा
एक तरफ उसका घर, एक तरफ मयकदा
जिंदगी एक है और तलबगार दो
जां अकेली मगर जां के हकदार दो
दिल बता पहले किसका करूँ हक अदा
एक तरफ उसका घर, एक तरफ मयकदा
इस ताल्लूक को मैं कैसे तोडूँ जफर
किसको अपनाऊँ मैं किसको छोडूँ जफर
मेरा दोनोसे रिश्ता है नजदीक का
एक तरफ उसका घर, एक तरफ मयकदा
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