'बुल्ला की जाणा मैं कौन' से मशहूर हुए रब्बी शेरगिल बोले, संगीत एकता का धागा है

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  onikamaheshwari | Date 29-02-2024
Rabbi Shergill, who became famous with 'Bulla Ki Jaana Main Kaun', said, music is the thread of unity.
Rabbi Shergill, who became famous with 'Bulla Ki Jaana Main Kaun', said, music is the thread of unity.

 

16 अप्रैल 1973 में जन्मे गुरप्रीत सिंह शेरगिल को शुरू से ही गायन और संगीत का शौक रहा. खासकर सूफ़ी संगीत का. 2004 में अपने पहले म्यूजिक एल्बम 'रब्बी' से वे काफी सुर्खियों में आए. इस एल्बम के लिए उन्होंने सूफी संत बाबा बुल्लेशाह की  'बुल्ला की जाणा मैं कौन'? यह कविता गाई और उसे संगीतबद्ध भी किया. यह गाना बहुत लोकप्रिय हुआ.


 
गाने और एल्बम ने बिक्री के कई रिकॉर्ड तोड़ दिए. इसके बाद उन्हें रब्बी शेरगिल के नाम से जाना जाने लगा. आगे चल कर उन्होंने कुछ हिंदी फिल्मों के लिए भी संगीत दिया और गाने भी गाए. लेकिन उनकी खास पहचान एक सूफ़ी गायक के रूप में ही रही. कुछ समय पहले जब वे पुणे आए थे तब  तब उनसे आवाज द वाॅयस मराठी की महिमा ठोंबरे ने बातचीत की थी. यहां प्रस्तुत है उसके मुख्य अंश...
 
 
संगीत की दुनिया का आपका अब तक का सफर कैसा रहा?

- मेरा गाना 'बुल्लाह की जाना मैं कौन' करीब बीस साल पहले रिलीज हुआ था. उसके बाद अपने सफर को जब मैं पीछे मुड़कर देखता हूँ तो बेहद ख़ुशी होती है. इस सफर में कई रुकावटें आईं, लेकिन जो रास्ता मैंने चुना था उससे मैं जरा सा भी नही भटका, इसकी मुझे ज्यादा ख़ुशी है.  
 
संगीत की क्या विशेषता है? 

मेरा मानना ​​है कि अच्छा संगीत और अच्छी सेहत एक दूसरे पर निर्भर हैं. क्योंकि अच्छे स्वास्थ्य से अच्छा संगीत पैदा होता है और अच्छे संगीत से अच्छा स्वास्थ्य बनता है. संगीत वह धागा है जो समाज के विभिन्न तत्वों को एक साथ बांधता है. जिस तरह का संगीत लोग सुनते हैं, उससे उनके बीच वैसा ही एकता का धागा बुना जाता है.  
 
 
सूफ़ी संगीत के बारे में आपका क्या ख्याल है?

- सूफी ही मेरे संगीत का मूल है. मैं उन कुछ कलाकारों में से एक हूं जिन्होंने रॉक संगीत को सूफी संगीत के साथ जोड़ने का, फ्यूजन करने का काम किया है. और यही बात फैंस को सबसे ज्यादा पसंद आयी. हां लेकिन मैंने लोगों को खुश करने के लिए सूफी संगीत नहीं गाया. सूफी संगीत मेरे दिल के बेहद करीब है. इसलिए मैं इसे गाता जा रहा हूं. मैंने दिल से की हुई इबादत शायद चाहनेवालों के दिल को छु गयी हो. भक्तों को इसमें हार्दिक प्रार्थना का अहसास हुआ होगा.
 
आजकल पंजाब में जिस तरह का संगीत सुना जा रहा है, उससे आपका संगीत बहुत अलग है. ऐसा क्यों?

- मैं पैदा दिल्ली में हुआ, और यही पला बढ़ा. जाहिर है मेरा संगीत भी पंजाबी से हमेशा अलग रहा. इसके अलावा, चूँकि पंजाब दिल्ली से बहुत दूर है, इसलिए कंटेंपररी संगीत के बजाय मैं पंजाब के क्लासिकल संगीत के करीब पहुँच सका. साथ ही, मैंने हमेशा अपनी कलात्मक धारणाओं के प्रति सच्चा रहने की कोशिश की है. उन धारणाओं से पैदा हुई मौसिकी को ईमानदारी से पेश करने की कोशिश की है, और मुझे लगता है की शायद इसीलिए मैं आज के दौर में भी रेलीवेंट रह पाया हूँ.  
 
एक अच्छे और मशहूर कलाकार का लगातार सुर्खियों में बने रहना है. क्या यह आपके मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है? आप इसे कैसे संतुलित करते हैं?

- मुझे नहीं लगता कि आप इसे संतुलित कर सकते हैं. हाँ, आप ज्यादा एक्टिव होने की कोशिश जरुर कर सकते हैं.  इसके बरअक्स, बहुत ज्यादा संतुलन बनाने की कोशिशे आपकी क्रिएटिव्ह प्रेरणाओ में रोड़ा डाल सकती है. इसलिए मैं जिंदगी में पारंपरिक भारतीय तरीकों को अपनाने की कोशिश करता हूं.
 
 
वक़्त के साथ लोगों का म्यूजिक टेस्ट भी बदल रहा है. ऐसे दौर में रेलीवेंट रहने के लिए खुद को नये अंदाज में पेश करना कितना ज़रूरी है?

- पॉप संगीत में, लंबे वक़्त तक रिलिवंट रहने के लिए बदलते रहना शायद जरूरी हो सकता है. लेकिन मुझे लगता है कि बाकी जगहों पर इसकी जरूरत नहीं है.जिन लोगों को मैं आदर्श मानता हूं, उन्होंने कभी खुद को नया रूप देने के बारे में नहीं सोचा था और फिर भी उन्होंने मेरे जैसे कई लोगों को समृद्ध किया है.
 
म्यूजिक इंडस्ट्री में हो रहे बदलावों पर आपकी क्या राय हैं?

- म्यूजिक इंडस्ट्री को अभी भी एक लंबा सफर तय करना है. कॉर्पोरेट पब्लिशिंग से सेल्फ पब्लिशिंग की ओर बढ़ना उसमें एक बेहद जरूरी कदम है. हालाँकि सेल्फ पब्लिशिंग की अभी भी अपनी सीमाएँ हैं, फिर भी इसमें काफी नये आयडियाज को जगह मिलती है. हालाँकि उन्हें कुछ मुसीबतों का सामना करना पड़ा है, लेकिन फिर भी इसे बड़े तौर पर आजमाया जा रहा है.