जामिया मिल्लिया इस्लामिया (जेएमआई) के शिक्षा संकाय के शैक्षिक अध्ययन विभाग (डीईएस) को भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएसएसआर), भारत द्वारा वित्तपोषित एक प्रतिष्ठित दीर्घकालिक अनुसंधान परियोजना प्राप्त हुई है. यह परियोजना, जिसकी कुल राशि 1.38 करोड़ रुपये है, आईसीएसएसआर की सामाजिक एवं मानविकी विज्ञान में दीर्घकालिक अध्ययन की दूसरी कॉल के अंतर्गत स्वीकृत हुई है.
परियोजना का शीर्षक है – "असम के चाय जनजातियों का सशक्तिकरण: डिजिटल एवं गैर-डिजिटल कौशल विकास कार्यक्रमों के माध्यम से". इसका उद्देश्य असम के चाय बागानों में कार्यरत श्रमिकों के सामाजिक-आर्थिक सशक्तिकरण पर कौशल विकास पहलों के प्रभाव का अध्ययन करना है.
इस उल्लेखनीय उपलब्धि पर जामिया के कुलपति प्रोफेसर मजहर आसिफ और कुलसचिव प्रोफेसर मोहम्मद महताब आलम रिज़वी ने परियोजना टीम को बधाई दी. उन्होंने कहा कि यह परियोजना असम के चाय बागान श्रमिकों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है और यह जामिया की उत्तर-पूर्व भारत पर केंद्रित शोध गतिविधियों को और अधिक सशक्त बनाएगी.
गौरतलब है कि बीते सप्ताह, 08 जुलाई 2025 को, कुलपति प्रो. आसिफ और कुलसचिव प्रो. रिज़वी ने पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास और शिक्षा मंत्रालय के माननीय राज्य मंत्री डॉ. सुकांत मजूमदार से एक महत्वपूर्ण बैठक की थी. इस बैठक में जामिया में पूर्वोत्तर छात्रों के लिए 400-बेड वाले छात्रावास के निर्माण पर चर्चा हुई थी, जिसमें मंत्री महोदय ने पूर्ण समर्थन और सहयोग का आश्वासन दिया.
कुलपति प्रो. मजहर आसिफ ने कहा, "इस परियोजना के माध्यम से जामिया उत्तर-पूर्व भारत में अपने शोध सहयोग को और गहरा करने में सक्षम होगा." उन्होंने यह भी कहा, "मुझे पूरा विश्वास है कि असम की चाय जनजातियों से एकत्रित प्रत्यक्ष आंकड़ों के आधार पर निकलने वाले निष्कर्ष न केवल उनके जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाएंगे, बल्कि उनके आजीविका के अवसरों को भी बढ़ाएंगे और साथ ही उनके सामाजिक-सांस्कृतिक पहलुओं को भी गहराई से उजागर करेंगे."
वहीं, कुलसचिव प्रो. महताब रिज़वी ने परियोजना टीम को शुभकामनाएं देते हुए कहा, "यह शोध परियोजना इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह एक कम अध्ययन किया गया विषय है और इसके निष्कर्ष क्षेत्र में भविष्य की नीति और विकास परियोजनाओं को आकार देने की क्षमता रखते हैं."
उन्होंने आगे कहा, "जामिया का संकल्प है कि वह सामाजिक, सांस्कृतिक, भौगोलिक और भाषायी रूप से हाशिए पर रह रहे समुदायों के जीवन पर केंद्रित शिक्षण और अनुसंधान को बढ़ावा देता रहेगा. असम की चाय जनजातियों पर आधारित यह दीर्घकालिक अध्ययन इसी दिशा में एक बड़ा कदम है."
इस परियोजना का समन्वय डॉ. क़ाज़ी फर्दौसी इस्लाम करेंगी, जबकि परियोजना निदेशक मंडल में शैक्षिक अध्ययन विभाग के अध्यक्ष प्रो. कौशल किशोर, विभाग के पूर्व अध्यक्ष और शिक्षा संकाय के पूर्व डीन प्रो. अहरार हुसैन (वर्तमान में एसजीटी विश्वविद्यालय में सलाहकार), गौहाटी विश्वविद्यालय की प्रो. निवेदिता गोस्वामी, विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. समीर बाबू एम और सहायक प्रोफेसर डॉ. ज़ेबा तबस्सुम शामिल होंगे.
यह परियोजना अनुसंधान, डेटा संग्रह और विश्लेषण के विभिन्न चरणों में टीम की शोध दक्षताओं और विश्लेषणात्मक कौशल का उपयोग करेगी, जिसमें गुणात्मक और मात्रात्मक अनुसंधान पद्धतियों को व्यावहारिक स्थितियों में लागू किया जाएगा.
इसका उद्देश्य मिश्रित शोध विधियों की समझ को सुदृढ़ करना और आजीवन सीखने तथा निरंतर सुधार की सोच को विकसित करना है, ताकि असम के चाय बागानों में रहने वाले समुदायों की वास्तविक समस्याओं का समाधान किया जा सके और समाज के समग्र विकास में योगदान दिया जा सके.Office of the Chief Public Relations Officer
— Jamia Millia Islamia (NAAC A++ Grade Central Univ) (@jmiu_official) July 15, 2025
Jamia Millia Islamia
Press Release
Department of Educational Studies, JMI, awarded a Rs. 1.38 crore ICSSR project to empower Tea Tribes of Assam
New Delhi, July 15, 2025
The Department of Educational Studies (DES), Faculty of… pic.twitter.com/UgasqWhjO1