मलिक असगर हाशमी/ नई दिल्ली
क्या आपने कभी सोचा है कि कोई पाकिस्तानी भारत में खुलेआम घूम-घूमकर भारतीय हॉकी की तारीफ करता दिखेगा? पर आज यही हकीकत है। जब भारतीय हॉकी अपने गौरवशाली 100 वर्ष पूरे होने का ऐतिहासिक जश्न मना रही है, तो इस जश्न में शामिल एक खास मेहमान सबका ध्यान खींच रहा है, अंतर्राष्ट्रीय हॉकी महासंघ (FIH) के अध्यक्ष दातो तैयब इकराम (Born 9 May 1958), जो पाकिस्तान मूल के हैं।
नई दिल्ली के ऐतिहासिक मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम में हाल ही में हुए भव्य आयोजन में भारत की हॉकी यात्रा के सौ वर्ष पूरे होने का उत्सव मनाया गया। इस समारोह में केंद्रीय युवा मामले और खेल मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया, संसदीय कार्य और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू, तमिलनाडु के उपमुख्यमंत्री थिरु उदयनिधि स्टालिन, ओडिशा के खेल मंत्री सूर्यवंशी सूरज, हॉकी दिग्गजों और राष्ट्रीय टीम के खिलाड़ियों के साथ-साथ दातो तैयब इकराम की मौजूदगी ने पूरे माहौल को और खास बना दिया।

समारोह के दौरान दातो तैयब इकराम ने भारत की हॉकी यात्रा की जमकर सराहना करते हुए कहा,“भारतीय हॉकी के इस ऐतिहासिक मील के पत्थर का हिस्सा बनना मेरे लिए सम्मान की बात है।
सौ वर्षों में भारत ने जिस दृढ़ता, नवाचार और जुनून का परिचय दिया है, वह विश्व हॉकी के लिए प्रेरणा है। मैं भारत सरकार और हॉकी इंडिया को उनके सतत सहयोग के लिए धन्यवाद देता हूँ। टोक्यो और पेरिस ओलंपिक में भारत का फिर से उभार इसकी मजबूती और आत्मा को दर्शाता है। मुझे विश्वास है कि अगले 100 वर्ष भारतीय हॉकी के लिए और भी उज्जवल होंगे।”
कौन हैं दातो तैयब इकराम?
दातो तैयब इकराम, जो पाकिस्तान मूल के हैं, आज अंतर्राष्ट्रीय हॉकी जगत की सबसे प्रभावशाली हस्तियों में से एक माने जाते हैं। वे अंतर्राष्ट्रीय हॉकी महासंघ (FIH) के वर्तमान अध्यक्ष हैं और खेल प्रशासन, कोचिंग तथा विकास के क्षेत्र में चार दशकों का अनुभव रखते हैं। उनका जीवन खेल और शिक्षा का सुंदर मिश्रण है।
उन्होंने स्पोर्ट्स मैनेजमेंट में एमबीए, स्पोर्ट्स साइंस में हायर डिप्लोमा, मेडिकल साइंस में फेलोशिप और FIH मास्टर कोच की उपाधि हासिल की है। इकराम ने अपने करियर की शुरुआत कोचिंग से की और धीरे-धीरे अंतर्राष्ट्रीय खेल प्रशासन की ऊँचाइयों तक पहुँचे। उन्होंने 40 से अधिक देशों में कोचिंग और प्रशिक्षण कार्यक्रमों का नेतृत्व किया है और छह राष्ट्रीय टीमों को प्रशिक्षित करने का गौरव प्राप्त किया है, जिनमें से कई खिलाड़ियों ने सियोल (1988), बार्सिलोना (1992), अटलांटा (1996) और सिडनी (2000) ओलंपिक में अपने देशों का प्रतिनिधित्व किया।
ओलंपिक मंच से लेकर विश्व हॉकी नेतृत्व तक
दातो तैयब इकराम ने सिडनी 2000, एथेंस 2004, बीजिंग 2008, लंदन 2012, और रियो 2016 ओलंपिक खेलों में महत्वपूर्ण पेशेवर भूमिकाएँ निभाईं। उन्होंने टोक्यो 2020 ओलंपिक की तैयारी में FIH की ओर से सात वर्षों तक अहम जिम्मेदारी निभाई।
उन्होंने नानजिंग युवा ओलंपिक खेलों में ‘हॉकी फाइव्स’ प्रारूप को पेश कर हॉकी में एक नई ऊर्जा भरी। कोचिंग शिक्षा, प्रदर्शन मॉडल और खेल विरासत (Sports Legacy) के क्षेत्र में उनकी विशेष विशेषज्ञता है। उनका मानना है कि खेल आयोजन केवल प्रतिस्पर्धा नहीं, बल्कि समाज में सकारात्मक परिवर्तन की प्रक्रिया होते हैं।
पुरस्कार और सम्मान
दातो तैयब इकराम को खेल क्षेत्र में योगदान के लिए कई अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कारों से नवाज़ा गया है —
मलेशिया सरकार से ‘दातो’ की प्रतिष्ठित उपाधि (2010)
FIH प्रेसिडेंट्स अवॉर्ड (2002)
गवर्नो डी मकाऊ परफॉर्मेंस मेडल (1998)
मकाऊ नेशनल मेरिट मेडल (1999)
इन सम्मानों ने न केवल उन्हें एशियाई खेल प्रशासन का अग्रणी चेहरा बनाया बल्कि यह भी सिद्ध किया कि खेल सीमाओं से परे एकता का संदेश देते हैं।
अंतर्राष्ट्रीय भूमिकाएँ और योगदान
वर्तमान में वे FIH के कार्यकारी बोर्ड सदस्य, FIH फाउंडेशन के कोषाध्यक्ष, और विकास व शिक्षा समिति के सह-अध्यक्ष हैं।इसके साथ ही वे एशियाई हॉकी महासंघ (AHF) के मुख्य कार्यकारी, अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति (IOC) की विभिन्न समितियों,जैसे ओलंपिक सॉलिडेरिटी आयोग, एथलीट अधिकार समिति, और एशियाई ओलंपिक परिषद के समन्वय आयोग के भी प्रमुख सदस्य रहे हैं।
उन्होंने 2010 से 2022 के बीच कई एशियाई खेलों और शीतकालीन खेलों के आयोजन, मूल्यांकन और अनुशासन आयोगों में नेतृत्वकारी भूमिकाएँ निभाईं। उनके मार्गदर्शन में हॉकी को आधुनिक खेल प्रबंधन और तकनीकी नवाचार के साथ जोड़ा गया।

दिल्ली में ‘100 ईयर्स ऑफ इंडियन हॉकी’ का विमोचन
भारत दौरे के दौरान दातो तैयब इकराम की उपस्थिति में भारतीय हॉकी की शताब्दी को समर्पित स्मारक पुस्तक ‘100 ईयर्स ऑफ इंडियन हॉकी’ का विमोचन किया गया। इस ऐतिहासिक अवसर पर भारत के हॉकी दिग्गज गुरबख्श सिंह, हरबिंदर सिंह, अजीत पाल सिंह, अशोक कुमार, बी.पी. गोविंदा, असलम शेर खान, जफर इकबाल, ब्रिगेडियर हरचरण सिंह, असुन्ता लाकड़ा और सुभद्रा प्रधान भी मौजूद रहे।
हॉकी के भविष्य को लेकर दातो की दृष्टि
इकराम का कहना है कि हॉकी का असली केंद्र बिंदु खिलाड़ी हैं। उनका मानना है कि खिलाड़ियों के लिए एक समर्पित विभाग बनाया जाना चाहिए जो उनके करियर, मानसिक स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन कौशल विकास पर ध्यान दे।उनके अनुसार ,हॉकी को युवा-केंद्रित खेल के रूप में आगे बढ़ाया जाए।फेयर प्ले (स्वच्छ खेल) और लैंगिक समानता को प्राथमिकता दी जाए।
खेल के हर रूप , 11-ए-साइड, हॉकी 5s, और इनडोर हॉकी को समान महत्व दिया जाए।क्षेत्रीय हॉकी केंद्रों को स्मार्ट और टिकाऊ इंफ्रास्ट्रक्चर से सुसज्जित किया जाए ताकि खेल हर स्तर पर सुलभ बने।और सबसे अहम, हॉकी को सस्टेनेबल और पर्यावरण-सचेत खेल के रूप में विकसित किया जाए।
वे कहते हैं,“अच्छा शासन, समावेशिता, पारदर्शिता और ईमानदारी ही किसी खेल संस्था की असली ताकत है। हॉकी को वैश्विक स्तर पर उस उदाहरण के रूप में स्थापित करना होगा, जिससे बाकी खेल महासंघ प्रेरणा लें।”

भारत की हॉकी यात्रा : एक प्रेरणा
भारतीय हॉकी की 100 वर्षीय यात्रा केवल पदकों या ट्रॉफियों की कहानी नहीं है, बल्कि यह उस जज़्बे की दास्तान है जिसने देश को ओलंपिक में गौरवान्वित किया। मेजर ध्यानचंद, बलबीर सिंह, अजीत पाल सिंह जैसे दिग्गजों की विरासत आज भी नई पीढ़ी के खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा है।
जब पाकिस्तान मूल के दातो तैयब इकराम भारत की हॉकी की खुलकर प्रशंसा करते हैं, तो यह साबित करता है कि खेल सीमाओं से ऊपर उठकर एकजुटता और सम्मान का संदेश देता है। उन्होंने कहा,“भारत ने हॉकी को आत्मा दी है। यह सिर्फ एक खेल नहीं, बल्कि हमारी साझा सांस्कृतिक विरासत है। मुझे पूरा विश्वास है कि भारतीय हॉकी का अगला शतक सुनहरे अक्षरों में लिखा जाएगा।”
भारत में हॉकी के सौ वर्ष पूरे होने का यह उत्सव केवल इतिहास की स्मृति नहीं, बल्कि भविष्य की तैयारी का प्रतीक है और इस यात्रा में दातो तैयब इकराम जैसे वैश्विक नेता का साथ इस बात का प्रमाण है कि खेल वाकई सीमाओं को मिटाकर दिलों को जोड़ते हैं।