प्रदीप शर्मा खुसरो के पास अमीर खुसरो की कृतियों का दुनिया का सबसे बड़ा संग्रह

Story by  ओनिका माहेश्वरी | Published by  onikamaheshwari | Date 17-08-2023
Pradeep Sharma Khusro has the world's largest collection of Amir Khusro's works
Pradeep Sharma Khusro has the world's largest collection of Amir Khusro's works

 

ओनिका माहेश्वरी/ नई दिल्ली 

“मुझे ऐसा लगता है जैसे अमीर खुसरो के लिए मेरे मन में जो जुनून है वह वास्तव में एक चमत्कार है क्योंकि मेरा जीवन विशेष रूप से वित्तीय समस्याओं से भरा रहा इसके बावजूद ये जुनून अब भी जोशीला है: प्रदीप शर्मा खुसरो 

प्रदीप शर्मा खुसरो के मुताबिक उनके पास अमीर खुसरो की कृतियों का दुनिया का सबसे बड़ा संग्रह है. हालाँकि, वह अभी भी और अधिक की तलाश में है!
 
 
Collection of Ameer Khusroo by Pradeep Sharma 

दिलचस्प बात यह है कि अमीर खुसरो शायद उन कुछ भारतीयों में से एक हैं जिन्हें दुनिया के अधिकांश विश्वविद्यालयों में उनके कई विभागों जैसे संगीत, इतिहास, दर्शन, सूफीवाद आदि में पढ़ाया जाता है." दरअसल, अब मैंने खुसरो की शैली में बॉलीवुड फिल्मों के लिए गीत लिखना शुरू कर दिया है. मैंने अपना पहला गाना 2018 में 'अंग्रेजी में कहते हैं' नामक फिल्म के लिए बनाया था.
 
अमीर खुसरो तोता-ए-हिंद के नाम से विख्यात दार्शनिक और प्रथम मुस्लिम कवि थें. जिन्होंने हिंदी शब्दों का खुलकर प्रयोग किया है. वह पहले व्यक्ति थे जिन्होंने हिंदी, हिन्दवी और फारसी में एक साथ लिखा. उन्हे खड़ी बोली के आविष्कार का श्रेय दिया जाता है. 
 
प्रदीप शर्मा खुसरो ने आवाज द वॉयस को बताया कि मैंने ललित कला में स्नातक और शिक्षा में स्नातक किया है. मैंने एक कार्टूनिस्ट के रूप में शुरुआत की. मैंने बी.एड के बाद स्कूलों में पढ़ाया. मैं परीक्षा देता रहा ताकि मैं सरकारी स्कूलों में ड्राइंग शिक्षक के रूप में काम कर सकूं.
 
 
अमीर खुसरो का खज़ाना 
प्रदीप शर्मा खुसरो ने आवाज द वॉयस को बताया कि मैं भले ही दुनिया का सबसे अमीर आदमी नहीं हूं लेकिन मेरे पास अमीर खुसरो पर दुनिया का सबसे बड़ा संग्रह है. मेरे पास अमीर खुसरो पर 14 देशों की 12 भाषाओं में फारसी, अंग्रेजी, अरबी, उर्दू, तुर्की, हिंदी, मराठी, बंगाली, मुल्तानी, पंजाबी, उज़्बेक और कई अन्य भाषाओं में लगभग 3000 किताबें हैं. मेरे पास लगभग 300 ऑडियो कैसेट, डीवीडी, सीडी और ऑडियो कैसेट हैं. अमीर खुसरो ने फ़ारसी और यहाँ तक कि हिंदी में भी बहुत सारी किताबें लिखीं. 
 
प्रदीप शर्मा खुसरो कहते हैं कि “जब मैंने पहली बार ख़ुसरो पर रचनाएँ एकत्र करना शुरू किया, तो मुझे केवल कुछ किताबें ही मिलीं. मैंने कलेक्टर्स और ऐसे कई लोगों से बात की. मैंने किताबों और फर्नीचर का कारोबार करने वाले प्राचीन वस्तुओं के डीलरों से भी संपर्क किया. मेरे द्वारा खरीदी गई प्रत्येक पुस्तक 20,000 रुपये की थी, जिसका अंतर्राष्ट्रीय बाजार में शायद बहुत अधिक मूल्य होगा. कई विद्वानों ने अपने दिनों के अंत में मुझे अपनी पुस्तकों का संग्रह उपहार में दिया क्योंकि वे जानते थे कि उनकी मृत्यु के बाद उन पुस्तकों को फेंक दिया जा सकता है. मैंने अफगानिस्तान, इराक, ताजिकिस्तान आदि जैसे विभिन्न देशों के छात्रों से दोस्ती की और उन्होंने किताबें खरीदने में मेरी मदद की. 
 
 
Appreciation Letter to Pradeep Sharma from Bill Clinton 

प्रदीप शर्मा खुसरो कहते हैं कि खालिक बहारी को छोड़कर अमीर खुसरो की बहुत सी किताबें आपको हिंदी भाषा में लिखी हुई नहीं मिलतीं, अमीर खुसरो ने कृष्ण पर हालात-ए-कन्हैया नाम से एक किताब लिखी, लेकिन मैं अपने तमाम प्रयासों के बावजूद अब तक वह किताब हासिल नहीं कर पाया हूं. मेरे पास चेहेल रोज़ा नाम से उनकी एक किताब है.
 
खुसरो क्यों?
मैं जहां भी जाता हूं, जो भी करता हूं, खुसरो के बारे में ही सोचता हूं. मेरा नाम प्रदीप शर्मा खुसरो है क्योंकि मेरा मानना है कि खुसरो से मेरा कुछ नाता है. मैंने जानबूझकर यह जुनून विकसित नहीं किया. जिन परिस्थितियों, जिन लोगों से मैं मिला, उन्होंने मुझे इस रास्ते पर आगे बढ़ने में मदद की. मैंने इसे लाभ या हानि के विचार से नहीं अपनाया। यह वही है जो मीराबाई ने कृष्ण के लिए महसूस किया था. उन्होंने कृष्ण के अलावा किसी और चीज के बारे में नहीं सोचा. मुझे लगता है कि यह ईश्वर के प्रति दिव्य प्रेम का एक रूप है.
 
भगवान राम या सुभाष चंद्र बोस या राम कृष्ण परमहंस या ऐसे लोगों को उनके जाने के दशकों, वर्षों या सदियों बाद भी क्यों याद किया जाता है? हम अपनी किताबों में इनके बारे में क्यों पढ़ते हैं? सिर्फ इसलिए कि, वे जीवन में एक मिशन और एक उद्देश्य के साथ आए थे. वे अपने मिशन के लिए जिए और उसके लिए मर भी गए. मेरा मिशन ख़ुसरो के बारे में है. हो सकता है कि मेरे जाने के वर्षों बाद लोग मेरी किताबें पढ़ेंगे और कहेंगे कि यह वह आदमी है जिसने खुसरो की ऐसी खोज की जिसके बारे में कोई सपने में भी नहीं सोच सकता.
 
 
प्रदीप शर्मा खुसरो ने आवाज द वॉयस को बताया कि दरअसल, मैं कभी भी करियर ओरिएंटेड नहीं था. यह ऐसा था मानो मैं इसके लिए सम्मोहित हो गया था, मानो मेरा पूरा विचार इसी जुनून के लिए था. हर चीज़ के लिए एक कीमत चुकानी पड़ती है. मैंने बहुत सी चीज़ें खो दी हैं. 
 
आपकी जानकारी के लिए बता दें के अमीर खुसरो अपनी पहेलियों और मुकरियों के लिए जाने जाते हैं. सबसे पहले उन्हीं ने अपनी भाषा के लिए हिन्दवी का उल्लेख किया था. वे फारसी के कवि भी थे. उनको दिल्ली सल्तनत का आश्रय मिला हुआ था. उनके ग्रंथो की सूची लम्बी है. साथ ही इनका इतिहास स्रोत रूप में महत्त्व है. समग्र भारतीय संस्कृति के साथ पूर्ण सामंजस्य में, ख़ुसरो की फ़ारसी और अवधी कविता के रूप में उनकी शिक्षाओं ने बहुलवादी भारत-इस्लामी परंपरा पर जोर दिया. 653 में जन्मे ख़ुसरो बचपन से ही आध्यात्मिक रुझान वाले कवि थे.
 
 
सफर जारी है 
प्रदीप को लगता है कि उन्हें अभी भी इस रास्ते पर लंबा सफर तय करना है. “मैं अमीर ख़ुसरो की हिंदी कृतियों का संकलन कर रहा हूँ. मैं शायद दुनिया का एकमात्र व्यक्ति हूं जिसने व्यक्तिगत रूप से अमीर खुसरो की फ़ारसी रचनाओं के 5000 से अधिक पृष्ठों का अनुवाद करवाया है. मैंने जो पैसा कमाया, उसका इस्तेमाल आगा खान फाउंडेशन में किया. मैं पाकिस्तान में अपने दोस्तों से लगभग रोजाना बात करता रहता हूं और वे मुझे खुसरो की रचनाएं ईमेल या व्हाट्सएप पर भेजते रहते हैं क्योंकि वे खुसरो के बारे में मेरे जुनून को साझा करते हैं.
 
प्रदीप ने कहा कि "मैं ख़ुसरो पर एक इतिहासकार, एक दार्शनिक, एक फ़ारसी कवि और सूफी फकीर के रूप में भी शोध कर रहा हूं. एक इतिहासकार के रूप में उन्होंने न केवल प्रचलित राजनीतिक परिदृश्य बल्कि सांस्कृतिक पहलुओं के बारे में भी लिखा. उन्होंने अपने युग के जानवरों, भोजन, कपड़ों, भाषाओं, धर्म, जातीयताओं के बारे में विस्तार से लिखा. उन्होंने समोसे और उनमें इस्तेमाल होने वाले मसालों और भारतीय भोजन में मौजूद प्रभावों के बारे में बात की. 
 
उन्होंने महिलाओं द्वारा उपयोग किए जाने वाले श्रृंगार, त्योहारों, अमीर और गरीब दोनों समाजों में अपनाए जाने वाले अनुष्ठानों के बारे में भी लिखा. एक संगीतकार के रूप में उन्होंने हिंदुस्तानी संगीत में बहुत योगदान दिया. अमीर खुसरो के ऐसे कई किस्से हैं जिनके बारे में लोग नहीं जानते. मैं उनके बारे में भी लिख रहा हूं. 
 
वह एक बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी थे जो एक ज्योतिषी और खगोलशास्त्री भी थे." लोग कहते हैं कि किसी अन्य कवि ने इतना विस्तार से नहीं लिखा. दरअसल, अब मैंने खुसरो की शैली में बॉलीवुड फिल्मों के लिए गीत लिखना शुरू कर दिया है. मैंने अपना पहला गाना 2018 में 'अंग्रेजी में कहते हैं' नामक फिल्म के लिए बनाया था, जिसे हरीश व्यास ने निर्देशित किया था और मानव मल्होत्रा, बंटी खान और एनएफडीसी (नेशनल फिल्म डेवलपमेंट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया) द्वारा निर्मित किया गया था.