नई दिल्ली. "तन्हा-तन्हा हम रो लेंगे महफिल-महफिल गाएंगे... जब तक आंसू पास रहेंगे तब तक गीत सुनाएंगे", "कभी किसी को मुकम्मल जहां नहीं मिलता... कहीं जमीं कहीं आसमां नहीं मिलता". ये नज्म हैं प्रसिद्ध उर्दू शायर और गीतकार निदा फाजली के. दिल्ली में साल 1938 में 12 अक्टूबर को जन्मे निदा फाजली का असली नाम 'रुस्तम' था. उनकी रचनाएं आज भी लोगों के दिलों में जिंदा हैं.
निदा फाजली का पालन-पोषण साहित्यिक माहौल में हुआ. उनके पिता उर्दू शिक्षक थे, जिसके चलते वह साहित्य की ओर आकर्षित हो गए. दिल्ली में प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद वह मुंबई चले गए और अपने सपनों को उड़ान दी. निदा की शायरी का पहला दौर उन दिनों में शुरू हुआ जब उन्होंने अपने विचारों को कागज शब्द देने शुरू किए. उनकी रचनाएं मानवीय भावनाओं और जटिलताओं को सरलता से व्यक्त करती हैं. वह अपने गीतों में जिंदगी की सच्चाइयों को एक नई दृष्टि से प्रस्तुत करते थे.
निदा फाजली की रचनाएं प्रेम और विरह की कहानियों के साथ-साथ सामाजिक मुद्दों पर भी गहरी पकड़ रखती हैं. उन्होंने अपने काम के माध्यम से गरीबी, असमानता और मानवाधिकार जैसी समस्याओं को उठाया जिनका सामना समाज कर रहा था. निदा फाजली ने कविताओं के अलावा कई फिल्मों के लिए गीत भी लिखे. उनके गीतों ने कई फिल्मों को प्रसिद्धि दिलाई. 'गजल' और 'कविता' के साथ-साथ उनके गीत भी आज के समय में बेहद लोकप्रिय हैं. फिल्म 'गालिब' के लिए लिखे गए उनके गीतों ने उन्हें और भी प्रसिद्धि दिलाई.
निदा फाजली की शायरी की एक खासियत है उनकी अद्वितीय शैली. वह सरल शब्दों में गहरी बातें कहने के लिए जाने जाते हैं. उनकी कविताओं में भावनाओं की गहराई और संवेदनशीलता होती है, जो पाठकों और श्रोताओं को तुरंत आकर्षित करती है. निदा फाजली ने अपनी शायरी में आधुनिकता को भी स्थान दिया. उनकी रचनाएं आज की युवा पीढ़ी को भी आकर्षित करती हैं, क्योंकि वह जीवन के जटिल पहलुओं को सरलता से व्यक्त करते थे.
निदा फाजली ने अपने लेखन के माध्यम से एक अद्वितीय विरासत छोड़ी है. उनकी शायरी ने न केवल उर्दू साहित्य को समृद्ध किया है, बल्कि समाज में एक सकारात्मक परिवर्तन लाने का भी प्रयास किया है. निदा फाजली का योगदान साहित्य और संगीत की दुनिया में अनमोल है. उनकी रचनाएं आज भी लोगों के दिलों में बसी हुई हैं और आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेंगी. एक सच्चे शायर के रूप में अपने शब्दों के माध्यम से वह हमेशा हमारे बीच रहेंगे, जो आज भी हमारे दिलों को छूते हैं.
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