मेरी मां : जिसने आजादी की उड़ान भरना सिखाई

Story by  अर्सला खान | Published by  [email protected] | Date 05-09-2025
My mother: the one who taught me to fly for freedom
My mother: the one who taught me to fly for freedom

 

अर्सला खान/नई दिल्ली

कहा जाता है कि अगर जीवन में किसी ने हमें सही मायनों में गढ़ा है या कुछ सिखाया है, तो वो हमारी मां है...मेरी मां

शिक्षक दिवस पर जब देश अपने-अपने शिक्षकों को याद करता है, मेरी कलम बार-बार मेरी अपनी मां शहनाज़ ख़ान पर रुक जाती है. वह कोई स्कूल की टीचर नहीं हैं, न ही किसी क्लासरूम में पढ़ाती थीं, लेकिन उन्होंने जिस तरह अपने जीवन की पूरी ऊर्जा हमें सिखाने, संवारने और सही रास्ता दिखाने में लगाई, वह उन्हें मेरे लिए सबसे महान गुरु बना देती है.
 
मां....जिसकी कहानी 20 साल की उम्र से शुरू होती है. ये वो उम्र है, जब मुझे वो इस दुनिया में लाईं. 18 साल की थीं वो जब उनकी शादी होई. इतनी कम उम्र में शादी, और वह भी एक बड़े परिवार में जहां ज़िम्मेदारियां घर के हर कोने से उन्हें पुकार रही थीं.
 
खुद की पढ़ाई, खुद के सपने, सब पीछे छूट गए, और उन्होंने अपनी पूरी ज़िंदगी परिवार की सेवा और अपने तीन बच्चों की परवरिश में लगा दी. यह वो ममता थी जिसमें बड़े बलिदान थे, सब्र भी था और एक अटूट साहस भी.
 
रसोई से लेकर होमवर्क तक : हर मोर्चे पर साथ

बचपन की कई तस्वीरें आज भी याद आती हैं. सुबह-सुबह मां का रसोई में व्यस्त रहना, घर के बुजुर्गों की देखभाल, और फिर हमारी स्कूल की तैयारियों में हाथ बंटाना. वो थकती नहीं हैं, फिर भी उनके चेहरे पर मुस्कान रहती. हमारी कॉपी-किताबें, हमारी फ़ीस, हमारा होमवर्क, हमारा अच्छा-बुरा हर काम, हर चीज़ पर उनकी पैनी नज़र रहती है.
 
जिंदगी को जिना सिखाया

मां ने सिर्फ खाना बनाने या घर संभालने का सबक नहीं दिया, बल्कि जिंदगी जीने का सबक दिया. जब मां से कोई कहता है ना संभालो बेटी है, तो मां कहती है 'ये मेरा बेटा है'. उन्होंने हमें सिखाया कि सम्मान क्या होता है, मेहनत का स्वाद कैसा होता है, और किसी भी हालात में हिम्मत नहीं हारनी चाहिए. उन्होंने अपने तीनों बच्चों को केवल पढ़ाई में ही नहीं, इंसानियत में भी पास कराना चाहा. मां ने मुझे जीवन में उड़ान भरना सिखाया.
 
मेरी मां में एक खास बात यह है कि वो हमें आज़ादी देती से जीना सिखाती हैं, मां कहती हैं सोचने की, पढ़ने की, अपने फैसले लेने के लिए तुम खुद काबिल हो. उन्होंने परिवार के अंदर भी इस बात के लिए कई बार लड़ाई लड़ी कि उनके बच्चे खासकर बेटियां अपने सपने पूरे कर सकें. यह उनका साहस था जो हमें आज आत्मनिर्भर और मजबूत बनाता है.
 
डांट, दुलार और आंसू : हर रूप में शिक्षा

आज भी मेरी मां मुझे डांटती हैं, जब हम गलती करते, तो वो गुस्सा भी होतीं, डांटतीं भी, लेकिन वही डांट अंदर से गहराई तक हमें संवारती. बाद में चुपचाप हमारे सिर पर हाथ फेरकर, हमारे आंसू पोंछकर, हमें फिर हिम्मत देतीं. उनके अपने भी आंसू होते हैं, जिन्हें वो अक्सर किसी को नहीं देखातीं, लेकिन हम महसूस करते है कि उनके दर्द के पीछे भी हमारी ही चिंता और हमारा ही भविष्य होता.
 
मेरी असली गुरु 

आज शिक्षक दिवस पर जब मैं सोचती हूं कि मेरी असली गुरु कौन हैं? तोसबसे पहले मेरी मां का चेहरा मेरे सामने आता है. मां ने हमें किताबों का ज्ञान नहीं, जीवन का ज्ञान दिया. उन्होंने सिखाया कि मुश्किल हालात में कैसे खड़े रहना है, कैसे अपने अधिकारों के लिए आवाज़ उठानी है, कैसे इंसान बने रहना है.

 
मेरी मां शहनाज़ ख़ान के जीवन की यह यात्रा हमें यह भी बताती है कि मां होना कितना बड़ा और कठिन काम है. एक ओर वो घर के बुजुर्गों की सेवा करतीं, दूसरी ओर हमारे स्कूल-कॉलेज की पढ़ाई, फीस, कपड़े, खाने-पीने की चिंता में लगी रहतीं. उनके पास अपने लिए समय ही नहीं बचता था, लेकिन उन्होंने कभी शिकायत नहीं की, कभी हार नहीं मानी.
 
मां, मेरी सबसे बड़ी गुरु 

उन्होंने मुझे यह भी सिखाया कि असली शिक्षक वो है जो आपको स्वतंत्र सोच दे, सही और गलत का भेद करना सिखाए और हर परिस्थिति में आपके साथ खड़ा रहे. मां ने अपनी ममता से, अपने साहस से, अपने आंसुओं से हमें तैयार किया. उनके आंसू हमारे लिए वो स्याही बने, जिससे उन्होंने हमारे भविष्य के पन्ने लिखे.
 
आज हम तीनों भाई-बहन जब अपने पैरों पर खड़े हैं, अपने सपनों को जी रहे हैं, तो उसमें हमारी मां की मेहनत, त्याग और शिक्षा की गहरी छाप है. शिक्षक दिवस पर जब स्कूलों, कॉलेजों और ऑफिस में बच्चों से उनके गुरु के बारे में पूछा जाता है, तो मेरा दिल चाहता है कि मैं अपनी मां का नाम लिखूं. 
 
क्योंकि सच यही है. मेरी मां ही मेरी पहली और सबसे बड़ी गुरु हैं. उन्होंने हमें प्यार किया, डांटा, मार्गदर्शन दिया, गलत रास्ते से रोका, सही रास्ते पर चलना सिखाया और सबसे बढ़कर हमें वह आत्मविश्वास दिया जिससे हम आज दुनिया का सामना कर सकें.
 
 
मेरी मां जैसी मां सिर्फ घर नहीं संभालतीं, वह भविष्य गढ़ती हैं. वह परिवार को ही नहीं, समाज को भी शिक्षित करती हैं. उनकी ममता, उनका साहस और उनकी शिक्षा मेरे जीवन की सबसे बड़ी पूंजी हैं.
 
मेरी मां मेरी ताक़त

शिक्षक दिवस के इस मौके पर मैं अपनी मां को ढेर सारा प्यार देती हूं और यह कहना चाहता हूं कि आपने जो संघर्ष किया, जो त्याग किया, उसकी वजह से हम आज जो हैं, वो हमें कोई नहीं बना पाता. आपने हमें जीवन का सबसे बड़ा पाठ पढ़ाया. निडर रहो, ईमानदार रहो और इंसान रहो.