पवित्र कुरान के अनुवादक Maulana Farooq Khan passed away

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 24-07-2023
पवित्र कुरान के अनुवादक मौलाना फारूक खान का निधन
पवित्र कुरान के अनुवादक मौलाना फारूक खान का निधन

 

नई दिल्ली. कुरान के प्रसिद्ध अनुवादक, टिप्पणीकार, कलाम नबूबत और कई अन्य पुस्तकों के लेखक मौलाना मुहम्मद फारूक खान का निधन हो गया. मौलाना फारूक खान एक सर्वश्रेष्ठ समकालीन लेखक, कुरान अध्ययन और धर्मों के विशेषज्ञ थे. तहरीक-ए-इस्लामी के प्रति उनकी प्रतिबद्धता अद्भुत थी. वे सदैव बौद्धिक नेतृत्व के पद पर रहे.

उनके साहित्य को तीन भागों में बाँटा जा सकता हैः कुरान का अध्ययन, हदीस, हिंदू धर्मों की व्याख्या. उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि पवित्र कुरान का हिंदी भाषा में अनुवाद है. यह अनुवाद प्रामाणिक अनुवाद माना जाता है.

उनकी दूसरी बड़ी उपलब्धि धन्य हदीसों की व्याख्या है, जो कलाम नबुवत के रूप में सात खंडों में उपलब्ध हैं. हदीस की व्याख्या पर तहरीक-ए-इस्लामी में बहुत कम साहित्य था, लेकिन उनके पैगम्बरी भाषण ने इस कमी को पूरा कर दिया. उनकी तीसरी बड़ी उपलब्धि यह है कि उन्होंने आम भाषा में हिंदू धर्मों पर कई महत्वपूर्ण पुस्तकें लिखीं, जिनमें कुछ भारतीय धर्म, वेदों का परिचय, भारत की धार्मिक पुस्तकें और गैर-मुसलमानों के लेखन में रसूल और कुरान का उल्लेख उल्लेखनीय है.’’

 


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कुरान उनके चिंतन का स्रोत था और वह कुरान पर पैनी नजर रखते थे और बहुत आसानी से वांछित निष्कर्ष निकाल लेते थे. इस संबंध में उनकी कई महत्वपूर्ण पुस्तकें पढ़ने लायक हैं. मौलाना मुहम्मद फारूक खान की प्रसिद्धि कुरान के अनुवादक की है. उन्होंने बहुत पहले इसका हिंदी भाषा में अनुवाद किया था, जो मकतबा अल-हसनत रामपुर से प्रकाशित हुआ था. बाद में उन्होंने मौलाना मौदूदी के कुरान का अनुवाद भी हिन्दी में कराया.

इसके अलावा, उन्होंने मधार संदेश संगम, नई दिल्ली द्वारा प्रकाशित पवित्र कुरान का उर्दू भाषा में अनुवाद भी किया है, लेकिन उनकी पुस्तक ‘कलाम-ए नबूबत’ ने भी धार्मिक, शैक्षणिक और आंदोलन क्षेत्रों में असाधारण लोकप्रियता हासिल की है. इसमें मान्यताओं, पूजा, समाज, मामलों, दावा और आंदोलन, नैतिकता और अन्य विषयों पर पैगंबर की हदीसों का अनुवाद और संक्षिप्त व्याख्या शामिल है. यह पुस्तक पहले पांच (5) खंडों में प्रकाशित हुई थी. कुछ खंडों की मोटाई के कारण .अब यह सात (7) खंडों में प्रकाशित हुई है.

 


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